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Showing posts from January, 2020

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...

हमारे बचपन के दिनों की बात है. उस समय सिर्फ दूरदर्शन ही हमारे मनोरंजन का साधन हुआ करता था. उस समय प्रस्तुत किए जाने वाले ज्यादातर कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण कराने की कोशिश होती थी. गौरतलब बात यह भी थी कि उस समय आने वाले विज्ञापन तक हमें कोई न कोई मैसेज दे जाते थे. एक ऐसा ही विज्ञापन मेरे जेहन में घर कर गया. अलग -अलग दृश्यों में इंसान की इंसानियत को भूल जाने की आदत को दिखाकर एक मैसेज टीवी की स्क्रीन पर दिखाया जाता था कि ‘शैतान बनना आसान है, लेकिन क्या इंसान बने रहना इतना मुश्किल है?’. वाकई में दूरदर्शन के इस मैसेज ने मेरी और शायद मेरे जैसे हजारों -लाखों दर्शकों के दिलों -दिमाग पर गहरा असर किया. मेरे स्कूल के दिनों में मैंने अपने शिक्षकों से यही सीखा कि गोली किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती. हमारे शिक्षक तो अक्सर विश्व का नक्शा फाडने और उसे जोड़ने की कहानी सुनाया करते थे. हमें अंत में ये मैसेज देते कि विश्व के फटे हुए नक्शे को एक शिष्य ने तुरंत जोड़ दिया. जब उसे पूछा गया तो उसने बताया कि उसने तो नक्शे के पीछे जो इंसान का चित्र था उसे जोड़ा था. हमें ये मैसेज दिया जाता रहा कि इंस

फ्लाईओवर के उद्घाटन की इतनी जल्दबाजी क्यों

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फ्लाईओवर के उद्घाटन की इतनी जल्दबाजी क्यों नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी का शहर है। यहाँ पर वैसे तो अक्सर किसी न किसी मामले की जल्दबाजी दिखाई दे जाती है। शहर के वाहन चालकों को इतनी जल्दबाजी है कि सिग्नल का वेट करना किसी को जरूरी नही लगता। ऐसी ही जल्दबाजी हाल के दिनों में सदर के नए फ्लाईओवर को शुरू करने को लेकर नजर आई। अब देखिए ये फ्लाईओवर इस इलाके के हजारों लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, इसे हम क्या कोई भी नकार नहीं सकता। लेकिन महत्वपूर्ण है इसलिए इसे लेकर ऐसी राजनीति हुई कि इससे आम लोग परेशान हुए। 10 जनवरी को इस फ्लाईओवर का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथों किया गया। इस समय राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। माना ये जा रहा था कि जैसे ही लोकार्पण का कार्यक्रम सम्पन्न होगा लोग अपने वाहन इस फ्लाईओवर पर से सरपट दौड़ाने लगेंगे। लेकिन साहब ऐसा कुछ हुआ नहीं। बल्कि अगले दिन भी मानकापुर की और जाने वाले लोगो को सुरक्षा रक्षको ने रोका और बताया कि अभी ये मार्ग बंद है। ऐसे में सैकड़ो लोगो को उल्टे पांव लौटना पड़ा। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या लोकार्पण की इतनी जल्दब