बिग थैंक यू...समझता हूं हालात बुरे हैं, लेकिन आपकी कोशिशें रंग लाएगी
12 अप्रैल से मैं गड़चिरोली जिले के वडसा- देसाईगंज में हु। पापा और मम्मी की तबियत बिगड़ने की वजह से मुझे तत्काल नागपुर से यहां आना पड़ा। हालांकि पापा की कोविड रिपोर्ट निगेटिव आई लेकिन सिटी स्कोर 15 होने से उनको निजी अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। इसी बीच मम्मी की कोविड रिपोर्ट पॉजिटिव आई। दोनों एक ही निजी अस्पताल में इलाज करा रहे थे। इसी बीच 14 तारीख को डॉक्टर ने बता दिया था कि पापा को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है। मैने गड़चिरोली, चंद्रपुर, अमरावती, कामठी और नागपुर में वेंटिलेटर के लिए हर प्रयास कर लिए लेकिन कहीं पर कुछ हासिल नहीं हुआ। सभी ने हाथ खड़े कर दिए। 15 तारीख को सुबह से ही पापा की तबियत बिगड़ती गई। इस बीच भी मेरी कोशिशें जारी रही लेकिन वेंटिलेटर वाला बेड तब भी कहीं नहीं मिला। 5 लीटर/मिनट ऑक्सीजन के सहारे पापा किसी तरह जीते रहे। उनका ऑक्सीजन लेवल तेजी से गिरता रहा। आखिरकार शाम होते - होते 5.45 बजे पापा वेंटिलेटर के अभाव में इस दुनिया से चल बसे। 15 को रातों रात पापा को वड़सा में सुपुर्दे खाक करके अगले दिन 16 अप्रैल को मम्मी की हालत बिगड़ती देख हमें उसे गड़चिरोली जिला अस्पताल ले ज...