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Showing posts from September, 2024

एआई तकनीक: वर्तमान स्थिति और भविष्य की संभावनाएं

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की तकनीक ने हाल के वर्षों में बहुत प्रगति की है। आज, एआई हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। एआई के विभिन्न उपयोग जैसे कि वॉइस असिस्टेंट (जैसे कि सिरी और एलेक्सा), स्पैम फिल्टरिंग, पर्सनलाइज्ड कंटेंट रिकमेंडेशन, स्वचालित ड्राइविंग, और स्वास्थ्य देखभाल में बीमारी का निदान आदि ने इसे हमारे जीवन का अभिन्न हिस्सा बना दिया है। एआई मशीन लर्निंग और डीप लर्निंग जैसे तकनीकों के माध्यम से लगातार सीख और विकसित हो रहा है, जिससे यह और भी स्मार्ट और उपयोगी होता जा रहा है। भविष्य में एआई की संभावनाएँ भविष्य में, एआई के कारगर साबित होने की संभावनाएँ अनगिनत हैं। चिकित्सा क्षेत्र में, एआई का उपयोग कैंसर जैसे गंभीर रोगों का प्रारंभिक चरण में पता लगाने और उपचार करने के लिए किया जा सकता है। शिक्षा में, यह छात्रों के लिए पर्सनलाइज्ड लर्निंग अनुभव प्रदान कर सकता है। एआई का उपयोग स्मार्ट सिटी और स्मार्ट घरों को विकसित करने के लिए भी किया जा सकता है, जो ऊर्जा बचाने और सुरक्षा में सुधार करने में मदद करेंगे। व्यवसायों के लिए, ए

क्या इंसान बने रहना इतना मुश्किल हो गया है?

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- मासूम बच्चियों तक को बलात्कार का बनाया जा रहा है शिकार by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  आज की दुनिया में जिस तेजी से महिला अत्याचार की घटनाएं बढ़ रही हैं, वह हमें एक गंभीर और चिंताजनक स्थिति की ओर इशारा करती हैं। चाहे वो सड़क हो, घर हो, या कार्यस्थल, महिलाओं और मासूम बच्चियों के साथ हो रहे अत्याचार और हिंसा की घटनाएं दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। मासूम बच्चियों तक को बलात्कार का शिकार बनाया जा रहा है, जो समाज के नैतिक पतन का जीता-जागता उदाहरण है। यह सवाल उठता है कि हमारे समाज में किस तरह की मानसिकता विकसित हो रही है, जहां दया, करुणा, और मानवीयता की जगह क्रूरता, हिंसा और दरिंदगी ने ले ली है? शैतान बनना हमेशा आसान रहा है, क्योंकि उसमें संवेदनाओं की जगह स्वार्थ और हिंसा की प्रधानता होती है। लेकिन इंसान बने रहना, संवेदनशील और न्यायप्रिय बने रहना, क्या आज के दौर में इतना मुश्किल हो गया है? समाज का यह अंधकारमय पक्ष हमारे सभ्य समाज होने पर सवाल खड़े करता है। क्या हमारा समाज अब इतना संवेदनहीन हो गया है कि मासूमों की चीखें भी हमें झकझोर नहीं पातीं? महिला अत्याचार की घटनाएं सिर्फ अपराध नहीं ह