हां, अलाद्दीन का चिराग है

हां, अलाद्दीन का चिराग है
यकीन जानिए साहब मैंने जो हेडिंग लिखी है वो पूरे होश में लिखी है. भले ही कुछ लोग खुद को बड़े विद्वान बताकर अलाद्दीन के चिराग वाली बात को कहानी कह देते हो लेकिन मैं सौ फीसदी दावे के साथ कह सकता हूं कि ये कोई परी कथा नहीं है. आपको यकीन नहीं हो रहा हो तो आगे की बात करता हूं.
दोपहर को मैंने हेडिंग पढ़ी ‘‘पांच महीने में 23 गुना बढ़ी चंद्रबाबू नायडू के बेटे की संपत्ति’’. मैंने तुरंत से इंटरनेट आॅन किया और गूगल सर्च इंजन का सहारा लेकर भारत में चित्र विचित्र नाम की फलां फलां कंपनियों द्वारा निवेश को दुगना -तिगना करने के दावों वाली सभी वेबसाइट्स खंगाल डाली. लेकिन कमबख्त किसी भी कंपनी ने मूल राशि को 10 गुना करने का दावा किया नजर नहीं आया. किसी एक कंपनी ने 30-35 फीसदी का दावा किया भी तो वो लांग टर्म इंवेस्टमेंट में. लेकिन शॉर्ट टर्म में ऐसा कोई फॉर्मुला मुझे दिखाई नहीं दिया. मेरे एक मित्र फाइनेंशियल एडवाइजर है. उन्हें भी फोन किया और पूछा ऐसा कोई प्लान अवेलेबल है क्या? लेकिन छोटे लोग, छोटी सोच. कमबख्त उसके पास भी कोई 15 गुना करने तक का प्लान नहीं मिला. तब मैंने सोचा जब भारत में शॉर्ट टर्म इंवेस्टमेंट पर 10 गुना ही राशि करने के प्लान अवेलेबल नहीं है तो फिर चंद्रबाबू नायडू के बेटे की संपत्ति महज 5 महीनों में 23 गुना कैसी बढ़ गई? तभी मुझे खयाल आया अलाद्दीन के चिराग का. विश्वास हो गया कि चंद्रबाबू नायडू को या उनके बेटे को जरूर ये चिराग मिल गया है, जिसकी मदद से उन्होंने 5 महीनों में ही अपनी कुल 14.5 करोड़ रुपए की संपत्ति को 330 करोड़ रुपए कर डाला.
देश का भला हो जाए...
आर्थिक सुधारों के नाम पर पिछले कुछ महीनों से भारत सरकार देशवासियों को बड़ी कड़वी दवा पिला रही है. अच्छा हो कि चंद्रबाबू नायडू ये अलाद्दीन का चिराग मोदी जी को भी कुछ दिनों के लिए इस्तेमाल करने दे. कम से कम देश की मूल संपत्ति को 23 गुना बढ़ा दिया जाए. यदि ऐसा हो जाए, सरकारी तिजोरी में पड़ा अरबों रुपया 23 गुना बढ़ जाए, गरीबों को दी जा रही सब्सीडी की राशि को 23 गुना बढ़ा दिया जाए, सैलेरी 23 गुना बढ़ जाए, हर किसी की आय 23 गुना बढ़ जाए, सभी का मुनाफा 23 गुना बढ़ जाए तो कितना अच्छा हो.
(ये मेरे अपने विचार है. जरूरी और अनिवार्य नहीं कि सभी को पसंद आए. लेकिन जिन्हें पसंद न आए उन्हें अपनी राय अपने पास ही रखने की पूरी आजादी है.

- फहीम खान, सीनियर जर्नलिस्ट, लोकमत समाचार नागपुर.

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