"मिस इंफॉर्मेशन वार"

हम लोग एक ऐसे युग में जी रहे हैं जिसे इंफॉर्मेशन युग कहां जाता है. इंफॉर्मेशन मतलब जानकारी या तथ्य होता है. लेकिन जरूरी नहीं है कि हम तक पहुंचने वाली हर इंफॉर्मेशन सही ही हो. इस युग में जब सोशल मीडिया का प्रभाव तेजी से बढ़ रहा है, एक बड़ी आबादी अपना अधिकतम समय विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुजारने लगी है, तो इंफॉर्मेशन का आदान-प्रदान तेजी से होना लाजमी है. इसी के साथ तेजी से वायरल होने वाली इंफॉर्मेशन की सच्चाई को टटोलने का समय भी लगभग खत्म होने लगा है. 


यही कारण है कि इंफॉर्मेशन के इस युग में कई बार मिस इंफॉर्मेशन फैलने की आशंका बनी रहती है. इन दिनों इंफॉर्मेशन का एक नया रूप हम सभी यूक्रेन और रूस की लड़ाई में देख रहे हैं. इन दो देशों के बीच चल रही लड़ाई जितनी जमीन पर लड़ी जा रही है, उससे कई गुना अधिक यह लड़ाई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लड़ती हुई दिख रही है. यही कारण है कि इन दो देशों के बीच की लड़ाई को इंफॉर्मेशन वार भी कहा जाने लगा है. 


जिस दिन रूस ने यूक्रेन पर हमले की घोषणा की थी, उसी दिन से रूस ने यूक्रेन के खिलाफ एक इंफॉर्मेशन वार भी छेड़ दिया। लेकिन जैसे -जैसे ये युद्ध आगे बढ़ रहा है, इस नए जमाने के युद्ध में अब यूक्रेन, अमेरिका की मदद से बाजी मारता दिख रहा है. क्योंकि सोशल मीडिया के अधिकांश प्लेटफार्म अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रभाव में है ऐसे में जब इस युद्ध को लेकर अमेरिका तथा अन्य पश्चिमी देश रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगा चुके हैं तो इंफॉर्मेशन वार में रूस का पलडा आखिर यूक्रेन से भारी कैसे हो सकता है? 


इस इंफॉर्मेशन वार को लेकर जानकारी तो यह भी मिल रही है कि यूक्रेन की डिजिटल सेना ने भी रूस के खिलाफ मोर्चा संभाल लिया है. सैकड़ों की संख्या में स्वयंसेवी हैकर इकट्ठा हुए हैं और उन्होंने अपना एक समूह बनाकर रूस की इंफॉर्मेशन वार को करारा जवाब देना शुरू कर दिया है. कई विशेषज्ञ तो यह कहने लगे हैं कि यूक्रेन के यह हैकर किसी भी अर्ध सैनिकों से भी ज्यादा असरदार हमलावर लग रहे है. 


लेकिन इंफॉर्मेशन वार के दौरान यूक्रेन के माध्यम से जिस तरह की सूचनाएं या जानकारी बार-बार सार्वजनिक की जा रही है उसमें कई जानकारी झूठी और फर्जी भी साबित हो रही है. ऐसा नहीं है कि सीमित माध्यमों के बावजूद रूस, यूक्रेन के खिलाफ प्रोपेगेंडा नहीं कर पा रहा है. वह भी सीमित दायरे में यूक्रेन को लेकर कई तरह की इंफॉर्मेशन सार्वजनिक कर रहा है. दोनों ही ओर से इस युद्ध में अपने विरोधी के बारे में जिस तरह की इंफॉर्मेशन बार-बार साझा की जा रही है उससे यह वार अब "मिस इंफॉर्मेशन वार" बन गया है. 


समूचे विश्व में यूक्रेन की प्रतिमा खराब करने की कोशिश रूस की ओर से लगातार हो रही है. रूस यह भी कोशिश करता दिख रहा है कि उसकी गलत जानकारी के माध्यम से यूक्रेनी लोग और वहां की फौज हिम्मत हार जाए. दूसरी ओर यूक्रेन भी विश्व की सहानुभूति हासिल करने तथा अपने नागरिकों का युद्ध में हौसला बनाए रखने की मंशा से रूस के खिलाफ लगातार गलत जानकारी साझा कर रहा है. 


अर्थात सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से मिस इंफॉर्मेशन साझा करने का यह पहला मौका नहीं है. हमने इस तरह के कई उदाहरण इससे पहले भी देखे हैं. क्योंकि अधिकांश लोगों को अपने हाथ आई जानकारी की सच्चाई पता करने में कोई दिलचस्पी नहीं होती है. इसलिए जल्दबाजी में फॉरवर्ड करने की बीमारी इन दिनों तेजी से बढ़ने लगी है. इसी बीमारी की वजह से मिस इंफॉर्मेशन का दौर भी तेजी से चल पड़ा है. यही बात रूस और यूक्रेन के बीच छिड़ी लड़ाई में दिखाई देने लगी है. ऐसे में एक सजग नागरिक होने के नाते हमें सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर साझा हो रही इन इंफॉर्मेशन और मिस इंफॉर्मेशन के बीच की खाई हो पाटने की कोशिश करनी होगी. यदि हम ऐसा कर पाने में सफल हो जाते है तो यह इन्फॉर्मेशन की नई दुनिया को हम बेहतर बना पाने में भी कामयाब रहेंगे. वरना मिस इन्फोएमेशन के साथ ये दुनिया अधिक समय तक टिकी नहीं रह सकती.


@फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. 

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