खूंखार नक्सली नेता नर्मदाक्का की मौत, माओवादी आंदोलन पर होगा असर

हाल के दिनों में माओवादियों के प्रभाव क्षेत्रों में पुलिस और अर्ध्व सैनिक बलों की कार्रवाई की वजह से माओवादियों के हाथो से जमीन खिसकती नजर आ रही है. पिछले कुछ समय में बड़े माओवादी नेताओ के मारे जाने से आज नक्सली संगठनों के सामने नेतृत्व का संकट नजर आ रहा है. ऐसे में नक्सलियों के दंडकारण्य जोनल कमेटी की पूर्व सचिव, नक्सली नेता नर्मदाक्का की मौत से संगठन को बड़ी क्षति पहुंचना तय है. 



नक्सलियों के दंडकारण्य जोनल कमेटी की पूर्व सचिव नर्मदाक्का का महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के एक अस्पताल में कुछ दिनों से इलाज चल रहा था. इसी दौरान उसकी मौत होने की जानकारी मिल रही है. नर्मदाक्का करीबन 42 साल तक माओवादी आंदोलन से जुड़ी रही. यही कारण है कि उनकी स्मृति में माओवादियों ने 25 अप्रैल को दंडकारण्य में बंद का आह्वान किया है. 


कौन थी नर्मदाक्का ?

माओवादी संगठन का विस्तार और प्रचार करने में नर्मदाक्का ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. 3 साल पहले महाराष्ट्र के गढ़चिरौली जिले के सिरोंचा से नर्मदाक्का को उसके पति दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के मेंबर किरण कुमार उर्फ़ किरण दादा (57) को गिरफ्तार किया गया था. इसके बाद नर्मदाक्का को मुंबई की एक जेल में रखा गया था. इसी बीच कैंसर पीड़िता होने के चलते उनका मुंबई के एक अस्पताल में इलाज किया जा रहा था. लेकिन इसी दौरान उनकी मौत होने की जानकारी आगे आई है. 


आंध्र प्रदेश के कृष्णा जिले के गन्नावरम की मूल निवासी नर्मदाक्का ने 1980 में माओवादी आंदोलन में प्रवेश किया था. 16 वर्षों तक शहरी इलाकों में काम करने के बाद नर्मदाक्का, गढ़चिरोली जिले में एक्टिव हो गई थी. गढ़चिरोली के जंगलों में जो बड़ी हिंसक कार्रवाहिया हुई है उसकी मुख्य सूत्रधार नर्मदाक्का मानी जाती है. एक खूंखार नक्सली नेता की मौत के बाद पुलिस ने राहत की सांस ली है. 


- फहीम खान

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@फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. 

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