ना.गो. गाणार को ‘पुरानी पेंशन’ ले डूबी

 2005 के बाद के नए शिक्षकों की प्रमुख मांग को अनदेखा करना पड़ा महंगा



विधान परिषद की नागपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र सीट के चुनाव में जैसा की लग रहा था महाविकास आघाड़ी समर्थित विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के सुधाकर अडबाले ने भाजपा समर्थित शिक्षक परिषद के ना.गो. गाणार को परास्त कर दिया. पुरानी पेंशन ही सबसे बड़ा ऐसा कारण बना जिसकी वजह से गाणार को हार का मुंह देखना पड़ा.


विधानमंडल के शीतसत्र में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में स्पष्ट कह दिया था कि सरकार शिक्षकों की पुरानी पेंशन लागू नहीं कर सकती. इस बीच शिक्षकों ने विधानमंडल पर भारी मोर्चा निकाला. शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र चुनाव की घोषणा होते ही इस मुद्दे ने तूल पकड़ ली. फडणवीस के बयान का वीडियो खूब वायरल हुआ. इससे पुरानी पेंशन की वकालत कर रहे ना. गो. गाणार भी बैक फुट पर आ गए.


नागपुर संभाग के जिन जिलों में इस सीट के लिए मतदान हुआ है उन सभी स्थानों पर शिक्षकों की आम राय यही थी कि तीसरी बार शिक्षकों के वोटों के बूते विधान परिषद पहुंचने के सपने देख रहे ना. गो. गाणार वर्ष 2005 के बाद सेवा में आए शिक्षकों को पुरानी पेंशन लागू करने की उनकी महत्वपूर्ण मांग पर खुलकर बोलते क्यों नहीं है?


असल में 2005 के बाद से शिक्षक के रूप में कार्यरत एक बड़ा वर्ग उन युवा शिक्षकों का है, जिनका मानना है कि उनके सुरक्षित भविष्य के लिए पुरानी पेंशन का लागू होना बेहद जरूरी है. इसके लिए कई जिलों में तो इन युवा शिक्षकों ने पीछले चुनाव में गाणार को ही मदद की थी. लेकिन जब उन्होंने यह देखा कि गाणार इस पर चुप्पी साधकर बैठ गए है, तब उन्हीं युवा शिक्षकों ने इस मुद्दे को महाविकास आघाड़ी समर्थित सुधाकर अडबाले को समझाया. अडबाले ने इस मुद्दे को अपने पूरे चुनाव कैम्पेन में न सिर्फ चलाया बल्कि इसका खुलकर समर्थन भी किया. क्योंकि माना जा रहा है कि वर्ष 2005 के बाद से सेवा में आए शिक्षकों की संख्या काफी ज्यादा है. 
इन सबके बीच पीछले चुनाव में राजेंद्र झाड़े को वोट देने वाले शिक्षक भी अडबाले के पीछे खड़े हो गए.


पूरे चुनाव प्रचार के दौरान गाणार के कई हितैषियों ने उन्हें पुरानी पेंशन को लेकर अपनी भूमिका साफ कर देने और इसका तोड़ अपने प्रचार दौरान पेश करने की सलाह भी दी थी. बहरहाल गाणार के पुरानी पेंशन के पक्ष में दिए गए बयानों को शिक्षकों ने गंभीरता से नहीं लिया. उनकी सोच थी कि जब भाजपा के नेता इसका विरोध कर रहे है तो गाणार क्या कर लेंगे?



भाजपा की नाराजगी, तो नहीं बनी वजह?

भारतीय जनता पार्टी के शिक्षकों के संगठन को इस बार काफी आस थी कि उसके किसी पदाधिकारी को मौका मिलेगा. लेकिन भाजपा ने ऐन समय पर गाणार पर ही दांव खेला. ऐसे में भाजपा के कई नेता नाराज हुए. खासतौर पर शिक्षक संगठन के. सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को लगा कि इस बार भी अगर गाणार बाजी मार लेंगे तो अगले चुनाव में भी शिक्षक परिषद को ही वरीयता दी जाएगी. उनका मानना है कि ऐसे में भाजपा से जुड़े शिक्षक केवल प्रचार करते रह जाएंगे. इसी वजह से पार्टी का एक तबका अंदरूनी रूप से गाणार को निपटाने में लगा रहा.

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