ना.गो. गाणार को ‘पुरानी पेंशन’ ले डूबी
2005 के बाद के नए शिक्षकों की प्रमुख मांग को अनदेखा करना पड़ा महंगा
विधान परिषद की नागपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र सीट के चुनाव में जैसा की लग रहा था महाविकास आघाड़ी समर्थित विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के सुधाकर अडबाले ने भाजपा समर्थित शिक्षक परिषद के ना.गो. गाणार को परास्त कर दिया. पुरानी पेंशन ही सबसे बड़ा ऐसा कारण बना जिसकी वजह से गाणार को हार का मुंह देखना पड़ा.
नागपुर संभाग के जिन जिलों में इस सीट के लिए मतदान हुआ है उन सभी स्थानों पर शिक्षकों की आम राय यही थी कि तीसरी बार शिक्षकों के वोटों के बूते विधान परिषद पहुंचने के सपने देख रहे ना. गो. गाणार वर्ष 2005 के बाद सेवा में आए शिक्षकों को पुरानी पेंशन लागू करने की उनकी महत्वपूर्ण मांग पर खुलकर बोलते क्यों नहीं है?
पूरे चुनाव प्रचार के दौरान गाणार के कई हितैषियों ने उन्हें पुरानी पेंशन को लेकर अपनी भूमिका साफ कर देने और इसका तोड़ अपने प्रचार दौरान पेश करने की सलाह भी दी थी. बहरहाल गाणार के पुरानी पेंशन के पक्ष में दिए गए बयानों को शिक्षकों ने गंभीरता से नहीं लिया. उनकी सोच थी कि जब भाजपा के नेता इसका विरोध कर रहे है तो गाणार क्या कर लेंगे?
भारतीय जनता पार्टी के शिक्षकों के संगठन को इस बार काफी आस थी कि उसके किसी पदाधिकारी को मौका मिलेगा. लेकिन भाजपा ने ऐन समय पर गाणार पर ही दांव खेला. ऐसे में भाजपा के कई नेता नाराज हुए. खासतौर पर शिक्षक संगठन के. सूत्रों का कहना है कि इन नेताओं को लगा कि इस बार भी अगर गाणार बाजी मार लेंगे तो अगले चुनाव में भी शिक्षक परिषद को ही वरीयता दी जाएगी. उनका मानना है कि ऐसे में भाजपा से जुड़े शिक्षक केवल प्रचार करते रह जाएंगे. इसी वजह से पार्टी का एक तबका अंदरूनी रूप से गाणार को निपटाने में लगा रहा.
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