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Showing posts from September, 2023

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान...

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फिर एक बार मुझे वह दूरदर्शनवाला जमाना याद आने लगा है. फिर एक बार जेहन में वहीं दूरदर्शन का विज्ञापन चलने लगा है, जो कहता था- ‘शैतान बनना आसान है, लेकिन क्या इंसान बने रहना इतना मुश्किल है?’. इस बार नागपुर शहर में घटीे दो घटनाएं इसके पीछे की मुख्य वजह बनी है. पहला मामला शहर के अथर्व नगरी परिसर का है जहां के निवासी अरमान खान के निवास में एक नाबालिग बंधक बालिका चार साल से नारकीय जीवन बीता रही थी. और अरमान, उसकी पत्नी हीना और साला अजहर उस बालिका को कहते थे कि, ‘तुझे खरीद कर लाए हैं तो मार भी सकते हैं.’ दूसरा मामला है वड़धामना इलाके में एक 4 वर्षीय बालक को क्रूरतापूर्वक सिगरेट के चटके लगाकर अमानवीय यातना देने का. बालक की मां के साथ आरोपी संकेत रमेश उत्तरवार ‘लिव इन रिलेशन’में रहता था.  हुड़केश्वर की इस दस साल की बालिका को बंधक बनाकर यौन शोषण किए जाने के प्रकरण में गिरफ्तार प्रापर्टी डीलर अरमान खान को हुड़केश्वर थाने में वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थी. यह बात तो और भी चौंकाने वाली है. मतलब अरमान, उसकी पत्नी और साला जितना बेरहम था उतनी ही शैतानी हरकत पुलिस के अधिकारी ने भी की है. खान दंप

कैसे कहूं मैं... नेता तुम्हीं हो कल के

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‘इंसाफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...’  कवि शकील बदायुनी का लिखा ये गीत मैंने अपने बचपन में बहुत सुना है. शायद इसी लिए मेरे जेहन में यह बात पक्की बैठ सी गई है कि इंसाफ की डगर पर चलने वाले बच्चे, कल नेता बनते है. और यह बात अगर सच है तो बच्चों को कल के नेता बनने की सलाह देने वाले शकील बदायुनी यह मानकर चल रहे है कि नेता यानी लीडर ही इस समाज को दिशा देते है. अगर इस बात पर गौर करे तो क्या आज के हमारे नेता सही मायने में ऐसे है? क्या इन नेताओं जैसा बनने के लिए हम अपने बच्चों को इस तरह का कोई गीत सुनाने की भी सोचेंगे?  यह बात आज इसलिए दिमाग में आई है क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता विजय वडेट्टीवार की एक तस्वीर मुझे सोशल मीडिया पर दिखाई दी. तस्वीर कांग्रेस की बाईक रैली की है. जिसमें विजय वडेट्टीवार अगुवाई करते हुए बाईक चला रहे है. मजे की बात यह है कि वडेट्टीवार ने हेलमेट नहीं पहना है. जबकि बाईक चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य है. मतलब नेताजी के लिए बाईक रैली निकालकर स्टाइल मारना जितना जरूरी है, उतना यातायात न