नक्सलियों के खिलाफ पुलिस के काम आया ‘जनजागरण’ का हथियार
by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.
गढ़चिरोली में ‘जनजागरण अभियानों’ का ये दौर वह था जब नक्सलियों के खिलाफ शस्त्रों के साथ ही गढ़चिरोली पुलिस सोशल मुद्दों को लेकर भी लड़ती हुई दिखाई दी. इन ‘जनजागरण अभियानों’ के माध्यम से सुदूर इलाकों के आदिवासी और ग्रामीणों को पहली बार प्रशासन और सरकार का दीदार हुआ. सरकारी योजनाएं पता चली और उन्हें यह विश्वास हुआ कि ‘सिस्टम’ उतना खराब नहीं है, जैसा उन्हें नक्सलियों द्वारा बताया जाता रहा है. उन्होंने इसी दौरान पहली बार जिलाधिकारी, जिला परिषद के सीईओ जैसे बड़े अधिकारियों को देखा, उनके मिले और अपनी बात भी रख सके. यह ऐसा मौका था जब आदिवासी, ग्रामीणों को यह यकीन हुआ कि नक्सलियों से ज्यादा अच्छे तो ‘सिस्टम’ के लोग है, जो उनका भला चाहते है और करते भी है. इसके लिए गढ़चिरोली पुलिस की पहल को क्रेडिट देना ही चाहिए.
मैंने अपनी जिंदगी में पुलिस का ‘सोशल रूप’ इससे पहले कभी नहीं देखा था. जिले में आने वाले हर आईपीएस अधिकारी और उसके अधीनस्त वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने ‘जनजागरण अभियानों’ को एक मिशन की तरह निभाया. यही कारण है कि इन अभियानों के माध्यम से सुदूर इलाकों के लोगों में सरकारी तंत्र पर विश्वास पैदा हुआ. ‘जनजागरण अभियानों’ का यह हथियार इतना कारगर साबित हुआ कि आगे चलकर गढ़चिरोली पुलिस यह दावा करने की स्थिति में भी पहुंच गई कि नक्सलियों का प्रभाव अब न के बराबर है. अर्थात, यह सबकुछ इसी लिए संभव हो सका कि गढ़चिरोली पुलिस लगातार नक्सलियों के खिलाफ एक तरफ शस्त्रों से मुकाबला करती रही और दूसरी ओर उसने आम लोगों में विश्वास जीतने की अपनी कवायद का मोर्चा भी संभाले रखा.
जनजागरण सम्मेलनों के अलावा भी गढ़चिरोली पुलिस ने कुछ ऐसे हथकंडे अपनाए, जिसका असर गढ़चिरोली में नक्सलियों के खिलाफ में हुआ है. इसमें राज्य सरकार की आत्मसमर्पण योजना को भी गिनाया जा सकता है. महाराष्ट्र सरकार ने सही समय पर अपनी आत्मसमर्पण योजना घोषित कर दी, जिसकी वजह से लंबे समय तक नक्सली संगठन के साथ जारी गढ़चिरोली पुलिस के एंटी नक्सल ऑपरेशन को नई ताकत मिली. आत्मसमर्पित नक्सलियों की वजह से एंटी नक्सल ऑपरेशन से जुड़ी टीमों के पास नक्सलियों की काफी जानकारी इकट्ठा होने लगी. पहले जिस जानकारी के अभाव में टीम बहुत ज्यादा अग्रेसिव नहीं हो पाती थी, अब उसके अभियान के दौरान अग्रेसिव होने का की सिलसिला बढ़ गया.
@फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.
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