खत्म हुआ कांता ऊर्फ कांतक्का का खौफ
18 लाख के इनामिया नक्सलियों ने किया आत्मसमर्पण
गड़चिरोली जिले में पुलिस द्वारा चलाए जा रहे आत्मसमर्पण योजना से प्रभावित होकर दो कुख्यात नक्सलियों ने गुरुवार को आत्मसमर्पण कर दिया। इनमें से एक नक्सली डीवीसीएम सदस्य के रूप में सक्रिय था, जबकि दूसरा भामरागड़ दलम का सदस्य था। इन दोनों पर कुल 18 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
कांता ऊर्फ कांतक्का और सुरेश ऊर्फ वारलु का आत्मसमर्पण पुलिस और सरकार की बड़ी सफलता है। इससे नक्सली संगठनों की शक्ति कमजोर होगी और अन्य नक्सलियों को भी आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया जा सकेगा। सरकार की आत्मसमर्पण और पुनर्वास नीति से नक्सली हिंसा में कमी आने की उम्मीद है।
कौन हैं आत्मसमर्पण करने वाले नक्सली?
कांता ऊर्फ कांतक्का ऊर्फ मांडी गालु पल्लो (56) - डीवीसीएम सप्लाय टीम की सदस्य, निवासी गुंडजूर, भामरागड़ तहसील। इस पर 16 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
सुरेश ऊर्फ वारलु ईरपा मज्जी (30) - भामरागड़ दलम सदस्य, निवासी मिलदापल्ली, भामरागड़ तहसील। इस पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था।
सरकार की आत्मसमर्पण योजना का प्रभाव
भारत सरकार ने वर्ष 2005 में आत्मसमर्पण योजना की शुरुआत की थी, जिसका उद्देश्य नक्सलियों को मुख्यधारा में लौटने का अवसर देना था। इस योजना के तहत आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को पुनर्वास के लिए वित्तीय सहायता, आवास, रोजगार और सुरक्षा प्रदान की जाती है। इसी योजना के तहत कांता और सुरेश ने आत्मसमर्पण किया है।
आत्मसमर्पण के बाद क्या मिला?
नक्सली का नाम | सरकार द्वारा घोषित इनाम | पुनर्वास के लिए दी गई राशि |
---|---|---|
कांता ऊर्फ कांतक्का | 16 लाख रुपये | 8.5 लाख रुपये |
सुरेश ऊर्फ वारलु | 2 लाख रुपये | 4.5 लाख रुपये |
आत्मसमर्पण की प्रक्रिया
यह आत्मसमर्पण गड़चिरोली पुलिस व सीआरपीएफ के अधिकारियों की देखरेख में संपन्न हुआ। इस दौरान मौजूद अधिकारियों में शामिल थे:
संदीप पाटिल - विशेष पुलिस महानिरीक्षक, नक्सल विरोधी अभियान, नागपुर।
अंकित गोयल - उपमहानिरीक्षक, गड़चिरोली परिक्षेत्र।
अजय कुमार शर्मा - पुलिस उपमहानिरीक्षक, सीआरपीएफ अभियान।
नीलोत्पल - पुलिस अधीक्षक, गड़चिरोली।
परविंदर सिंह - कमांडेंट, सीआरपीएफ 192 बटालियन।
कांता ऊर्फ कांतक्का की नक्सली यात्रा
1993: मद्देड दलम में भर्ती।
1995-1998: उत्तर गड़चिरोली में प्लाटून क्र. 02 की सदस्य।
1998: भामरागड़ दलम में शामिल।
2001: उप-कमांडर के रूप में पदोन्नत।
2003: पेरमिली दलम में सक्रिय।
2006: एसीएम (एरिया कमांडर) के रूप में पदोन्नति।
2008: डीवीसीएम पद पर पदोन्नति।
2015: माड एरिया में स्टाफ/सप्लाई टीम में शामिल।
अब तक: 11 मामलों में आरोपी, जिनमें 7 मुठभेड़, 1 आगजनी, 3 अन्य अपराध।
सुरेश ऊर्फ वारलु की नक्सली यात्रा
2021: भामरागड़ दलम में भर्ती।
सितंबर 2024: डीवीसीएम राजु वेलादी ऊर्फ कलमसाय का बॉडीगार्ड नियुक्त।
अब तक: 2 मुठभेड़ों में शामिल।
आत्मसमर्पण का महत्व
गड़चिरोली और अन्य नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। सरकार की पुनर्वास नीति और पुलिस की सक्रियता से नक्सली संगठन कमजोर हो रहे हैं।
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