ऐसा सिर्फ प्रकाश आमटे ही कर सकते है...
45 सेकंड तक नदी में शीर्षासन करना इतना आसान नहीं
- फहीम खान
हाल में सोशल मीडिया में एक वीडियो और तस्वीर तेजी से वायरल हुई. ये तस्वीर थी विख्यात समाजसेवी रमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता तथा पद्मश्री डॉ. प्रकाश आमटे की. उन्होंने नदी के पानी के भीतर 45 सेकंड तक अपनी सास रोककर शीर्षासन किया. उनका ये वीडियो उनके बेटे अनिकेत आमटे ने सोशल मीडिया में शेयर करने के बाद से ही खूब वायरल हो रहा है. इसे देखने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित है. लेकिन जिन्होंने डॉ. प्रकाश आमटे को करीब से देखा है, वो भलीभांति जानते है कि केवल प्रकाश आमटे ही ऐसा कर सकते है. क्योंकि ऐसा करने के लिए जो साहस और सब्र लगता है, वो इसी शख्स में हो सकता है.
बता दे कि प्रकाश आमटे विख्यात समाजसेवी बाबा आमटे के बेटे है और महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले की भामरागढ़ तहसील के हेमलकसा में लोकबिरादरी प्रकल्प के माध्यम से आदिवासियों की सेवा में खुद को समर्पित कर चुके है. प्रकाश आमटे का स्वभाव बेहद शांत किस्म का है. उनमें इतना संयम भरा हुआ है कि शायद ही किसी शख्स में इतना संयम कभी दिखाई दे. मैंने अपने गढ़चिरोली और चंद्रपुर के कार्यकाल के दौरान डॉ. प्रकाश के काम को बेहद करीब से देखा है. उनके काम के तरीके को महसूस किया है. इतनी ऊंचाई पर बैठा हुआ शायद ही कोई शख्स इतना सरल और सादगी पूर्ण जीवन जी सकता है. प्रकाश दादा की खासियत यही है कि उन्होंने एक मनुष्य बने रहते हुए भी अपने भीतर अदभुत शक्तियों को बसा लिया है. जब कोई बाहरी शख्स गढ़चिरोली जिले की अहेरी तहसील में आने से घबराता था, तब प्रकाश दादा ने बाबा आमटे से भामरागढ़ के जंगल में जाने की अनुमति मांगी थी. इतने वर्षों तक जंगल और आदिवासियों के बीच उनकी साधना ही है जिसने उन्हें नदी के पानी के भीतर अपनी सांसे रोककर शीर्षासन करने की शक्ति प्रदान की है.
डॉ. प्रकाश आमटे का ये वीडियो देखने वाले कम लोग ही शायद ये जानते होंगे कि प्रकाश दादा आदिवासियों के बीच मसीहा माने जाते है. लेकिन मजाल है कि कभी उनके बर्ताव में या उनकी भाषा में कभी अहंकार झलक जाए. मैंने महात्मा गांधी को नहीं देखा है. लेकिन मेरे ‘केमिकल लोचा’ की वजह से गांधी को अपने साथ महसूस किया है. जब मैं उस गांधी के बारे में सोचता हूं तो मुझे डॉ. प्रकाश आमटे का व्यक्तित्व नजर आने लगता है. आज जब मैंने वीडियो देखा तो प्रकाश दादा के व्यक्तित्व और साधना को याद करने पर मुझे बहुत अचरज नहीं हुआ. क्योंकि प्रकाश दादा के लिए नदी के पानी में कुछ सेकंड अपनी खुद की सांसे रोकना बहुत बड़ा काम नहीं है. वो तो ऐसे शख्स है, जिन्हें जंगली जानवरों के साथ प्यार करता देख कर देखने वालों की सांसे रूक जाया करती है.
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