वह मेरे बापू है... नफरत भुलाकर ही तुम उन्हें समझ पाओगे
by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. कल ही की बात है एक अदने से शख्स ने अमरावती में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर कुछ आपत्तिजनक कह दिया. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब किसी ‘नफरतवाली विचारधारा’ में यकीन रखने वाले ने महात्मा गांधी के प्रति कुछ आपत्तिजनक कहा हो. इससे पहले भी कई लोग, कई तरह की बातें कह चुके हैं. लेकिन महात्मा गांधी के कद की ऊंचाई इसी से समझ आ जाती है कि जिन अंग्रेजों ने 150 साल जिस देश पर राज किया, उसी देश के एक शख्स को कभी अपने आगे झुका न सके. ऐसे शख्स थे मोहनदास करमचंद गांधी... जी हां, ‘मेरे राष्ट्रपिता, मेरे बापू’. असल में कुछ लोग अक्सर यह गलती कर जाते है कि उन्हें लगने लगता है कि उनका कद इतना ज्यादा हो गया है कि वह किसी के भी बारे में कुछ भी कह सकते है. लोकतंत्र में शायद यह अभिव्यक्ति की आजादी कहलाता हो लेकिन सभ्य समाज व्यवस्था में इसे ‘आगाऊपणा’ कहा जाता है. आप अपने से बड़े का सम्मान नहीं कर सकते हो, तो उसका अपमान करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए. क्योंकि जब आप आसमान पर थूंकने की कोशिश करते हो ना, तो फिर आपकी थूंक आपके ही चेहरे पर गिरता है. जिस ब...