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Showing posts from July, 2023

वह मेरे बापू है... नफरत भुलाकर ही तुम उन्हें समझ पाओगे

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  कल ही की बात है एक अदने से शख्स ने अमरावती में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर कुछ आपत्तिजनक कह दिया. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब किसी ‘नफरतवाली विचारधारा’ में यकीन रखने वाले ने महात्मा गांधी के प्रति कुछ आपत्तिजनक कहा हो. इससे पहले भी कई लोग, कई तरह की बातें कह चुके हैं. लेकिन महात्मा गांधी के कद की ऊंचाई इसी से समझ आ जाती है कि जिन अंग्रेजों ने 150 साल जिस देश पर राज किया, उसी देश के एक शख्स को कभी अपने आगे झुका न सके. ऐसे शख्स थे मोहनदास करमचंद गांधी... जी हां, ‘मेरे राष्ट्रपिता, मेरे बापू’.  असल में कुछ लोग अक्सर यह गलती कर जाते है कि उन्हें लगने लगता है कि उनका कद इतना ज्यादा हो गया है कि वह किसी के भी बारे में कुछ भी कह सकते है. लोकतंत्र में शायद यह अभिव्यक्ति की आजादी कहलाता हो लेकिन सभ्य समाज व्यवस्था में इसे ‘आगाऊपणा’ कहा जाता है. आप अपने से बड़े का सम्मान नहीं कर सकते हो, तो उसका अपमान करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए. क्योंकि जब आप आसमान पर थूंकने की कोशिश करते हो ना, तो फिर आपकी थूंक आपके ही चेहरे पर गिरता है.  जिस बापू ने कभी किस

टीवी मीडिया में कहीं एआई एंकर की बाढ़ न आ जाए...

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र है. जिसका हमारी दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है.  एआई का उपयोग पहले से ही विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा रहा है. मसलन सेल्फ-ड्राइविंग कारों से लेकर चिकित्सा निदान तक. जैसे-जैसे एआई का विकास जारी है, इसका हमारे जीवन पर और भी अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जाने लगी है.  एआई के सबसे आशाजनक इस्तेमालों में से एक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में है. एआई का उपयोग बीमारियों का निदान करने, नए उपचार विकसित करने और मरीजों की देखभाल में सुधार करने के लिए किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एआई-संचालित सिस्टम मानव डॉक्टरों की तुलना में चिकित्सा छवियों का अधिक सटीक विश्लेषण कर सकते हैं. इससे तेजी से और अधिक सटीक निदान हो सकेगा. जिससे मरीज की जान भी बचाई जा सकती है.  News Anchor SANA इसी बीच भारत में भी एआई तकनीक का इस्तेमाल करने का चलन तेजी से बढ़ता नजर आने लगा है. खासकर मीडिया में एआई तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है. जिसके बाद से लगने लगा है कि कहीं टीवी मीडिया में एआई एंकर की बाढ़ न आ जाए. हाल क

शैतान बनना आसान है, लेकिन इंसान बने रहना क्या इतना मुश्किल है?

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  ये वह लाईन है जिसे मैंने अपने बचपन के दिनों में दूरदर्शन के किसी विज्ञापन में सुना था. बचपन में सुनी हुई यह लाइन मेरे मन -मस्तिष्क पर ऐसे अंकित हो गई है कि मैं अपनी निजी जिंदगी में भी खुद को कई बार किसी भी तरह के कृत्य से पहले यह सवाल जरूर करता हूं. मेरा यह मानना है कि हम सभी लोगों ने हर समय खुद को यह सवाल हमेशा पूछना चाहिए कि शैतान बनना आसान है, लेकिन इंसान बने रहना क्या इतना मुश्किल है?  आज यह सवाल मेरे मन में आया ही इसलिए क्योंकि ताजा उदाहरण था पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश का. एमपी के सीधी इलाके में पीड़ित दशमत रावत पर आरोपी प्रवेश शुक्ला पर पेशाब कर दिया. यह मामला तूल पकड़ा तो सरकार ने आरोपी पर कड़ी कार्रवाई कर दी. इसे लेकर जो राजनीति होनी थी वह हुई भी और अभी भी हो रही है. राजनीति से इतर मैं बात एक इंसान की और उसकी इंसानियत की करना चाहता हूं. इस घटना ने मुझे दूरदर्शन की वह पुरानी एड याद दिला दी. शैतान बन कर एक पीड़ित पर पेशाब करना आसान है, लेकिन क्या प्रवेश शुक्ला के लिए इंसान बने रहना इतना मुश्किल था? इस मामले में इंसानियत तार -तार इसलिए हुई क्योंकि प्र

ये इंडियन पोलिटिकल लीग (आईपीएल) है साहब...

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. इस रविवार, 2 जुलाई को महाराष्ट्र में बड़ा सियासी भूकंप देखने को मिला. जहां राकांपा नेता अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के बाद डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ, जिसको लेकर माना जा रहा है कि यह अजित पवार की बड़ी प्लानिंग का हिस्सा था. बीते कई दिनों से अजित पवार समेत एनसीपी विधायकों का एक बड़ा धड़ा शरद पवार से नाराज चल रहा था. इसके चलते महाराष्ट्र की सियासत में सुपर संडे के दिन अजित ने विधायकों की अपने घर पर बैठक बुलाई थी. इसके बाद 53 में से 30 विधायकों का बड़ा समर्थन रखने वाले अजित पवार राजभवन पहुंच गए. इसके साथ ही सीएम शिंदे और डीसीएम देवेंद्र फडणवीस भी राजभवन पहुंचे और फिर 9 मंत्रियों समेत अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली.  इससे पहले महाराष्ट्र में उध्वव ठाकरे की पार्टी शिवसेना में बड़ी फुट पड़ी थी और एकनाथ शिंदे अपने 40 विधायकों को लेकर सीधे भाजपा से मिले थे. देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया और एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे. लेकिन अब महाराष्ट्र के नागरिकों को एक और नया गठबंधन देखने मिल