एक सुबह लू लिम लोक पार्क के नाम

सुबह के ठीक 7 बजे थे. मकाऊ की सड़कों पर हल्की धूप फैली थी और हवा में एक ताजगी थी, जो शहर के समुद्री किनारों से उठकर मन को भीतर तक छू रही थी. मैंने उस दिन तय किया था, भीड़भाड़ से दूर किसी शांत, सुकून भरी जगह पर खुद के साथ कुछ पल बिताने हैं. होटल के रिसेप्शन पर पूछा तो एक नाम सामने आया — लू लिम लोक पार्क.
टैक्सी मुझे Estrada de Adolfo Loureiro तक छोड़ गई. बाहर से देखने पर यह जगह कुछ खास नहीं लगी, लेकिन जैसे ही अंदर कदम रखा, लगा जैसे किसी दूसरी ही दुनिया में आ गया हूं. यह बाग, जो कि 4.4 एकड़ में फैला है, सूझोउ शैली में बना है, वही पारंपरिक चीनी डिज़ाइन जो आपको सुंदरता के साथ शांति का भी अनुभव कराती है. अंदर कदम रखते ही ध्यान सबसे पहले तालाब की ओर गया, जहां चट्टानों से गिरता पानी कमल के पत्तों के बीच खेलती रंगीन मछलियों के बीच जाकर समा रहा था. दृश्य इतना सुंदर था कि कुछ पल के लिए मैं वहीं बैठ गया.
यह जगह कभी मकाऊ की सबसे बड़ी निजी संपत्ति थी और अब आम लोगों के लिए एक खुला उद्यान. अपने पुराने वैभव के साथ आज भी जीवंत. पेड़ों की छांव में बैठे बुज़ुर्ग ताई ची कर रहे थे, कुछ लोग ध्यान में लीन थे, तो कुछ युवा जोड़े मंद-मंद मुस्कान के साथ पार्क की सुंदरता को आत्मसात कर रहे थे. लू लिम लोक पार्क की सबसे खूबसूरत बात है इसकी शांति. ऐसा लगा जैसे यहां आकर समय धीमा हो गया हो. मैंने अपने जीवन की तेज़ रफ्तार को थोड़ी देर के लिए विराम दिया और वहां की हरियाली में अपने भीतर की हलचल को ठहरने दिया.
पार्क का समय दोपहर 12 बजे तक है, और जैसे-जैसे समय नजदीक आ रहा था, मन कर रहा था कि थोड़ी देर और ठहर जाऊं. जाने से पहले तालाब के किनारे की उस पत्थर की बेंच पर बैठा, जहां से पार्क का हर कोना एक चित्र की तरह दिखता था. लू लिम लोक पार्क मेरे लिए सिर्फ एक बाग नहीं था, वह एक अहसास था. वहां बिताए गए वो कुछ घंटे जैसे आत्मा के लिए विश्राम बन गए. अगर आप भी कभी मकाऊ आएं और सच्ची शांति की तलाश हो, तो इस पार्क की पगडंडियों पर ज़रूर चलिएगा. शायद आपको भी वहां अपना कोई खोया हुआ हिस्सा मिल जाए… - फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर fahim234162@gmail.com fahimkhan_gad faheemk1979 https://www.facebook.com/fahimkhan7786

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