45 हजार में बन जाते है साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट

45 हजार में बन जाते है साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट
- ट्रेनिंग के बाद जॉब दिलाने का दे रहे झांसा
---
साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट बनने का सुनहरा अवसर होने का विज्ञापन देकर पहले तो बेरोजगार युवाओं को इंटरव्यू के लिए बुलाया गया और फिर इन युवाओं को आकर्षक पेमेंट के जॉब का सब्जबाग दिखाया गया. जब इनमें से ज्यादातर जॉब के झांसे में आ गए तो उन्हें जॉब दिलाने के पहले ट्रेनिंग अनिवार्य होने की जानकारी दी गई. इसके लिए इन युवाओं से 45 हजार रुपए मांगे गए. मतलब 45 हजार देकर साइबर सिक्योरिटी एक्सपर्ट बनाने का ये धंधा खुलेआम शहर पुलिस के साइबर सेल के लिए चुनौती बन गया है. मेट्रो एक्सप्रेस ने इस गोरखधंधे की इंवेस्टिगेशन की और पहुंच गई उनके अलग -अलग ठिकानों पर. पेश है ये खास रिपोर्ट.
----
क्या है मामला?
विदर्भ रिजन के नागपुर, गोंदिया, भंडारा, गढ़चिरोली, वर्धा, यवतमाल, चंद्रपुर और अमरावती जिलों में साइबर एक्सपर्ट की नियुक्ति करने संबंध में एक विज्ञापन इंडियन साइबर सिक्योरिटी एंड रिसर्च लैब के नाम से दिया गया था. 24 दिसंबर से 28 दिसंबर तक करीबन 150 युवाओं के खामला स्थित कार्यालय में इंटरव्यू भी लिए गए. एमई के पास विश्वसनीय जानकारी है कि इस इंटरव्यू के दौरान सलेक्ट हुए युवाओं को जॉब के पहले ट्रेनिंग जरूरी होने की जानकारी देकर इसके लिए 45 हजार रुपए की डिमांड की गई. इस जानकारी के बाद एमई टीम ने इसकी इंवेस्टिगेशन आरंभ की.
-----
इंटरव्यू के बाद से हो गए गायब
इस मामले की इंवेस्टिगेशन करते हुए एमई टीम खामला चौक में स्थित श्री गणेश हाइट बिल्डींग के बी विंग के सेकंड फ्लोर पर पहुंची. यहां 202 नंबर के फ्लैट के दरवाजे पर ताला लगा हुआ था. आस- पास के रहवासियों से पूछा तो उन्होंने बताया कि अबतक तो यहां एक -दो लोग दिखाई दिया करते थे. जब नीचे उतरने पर फ्लैट के बेसमेंट में लगे बोर्ड पर फ्लैट नंबर 202 किसका है ये पता किया तो ये डॉ. नितिन उकुंडे के नाम पर दिखाई दिया. जब आगे गेट पर बैठे सिक्योरिटी गार्ड से इस मामले में पूछताछ की तो उसने बताया कि ये कार्यालय अब फरवरी में शुरू होने वाला है. अभी यहां के लोग आॅफिस के काम से मुंबई गए है.
----
अलग रजिस्टर क्यों?
एमई रिपोर्टर ने जब सिक्योरिटी गार्ड के रेगुलर विजिटर रजिस्टर को जांचना शुरू किया तो 24 दिसंबर से 28 दिसंबर के दौरान (इन्हीं दिनों युवाओं के इंटरव्यू लिए गए थे) फ्लैट नंबर 202 में आने वाले विजिटर्स के बारे में जानकारी दर्ज नहीं दिखाई दी. जब इस बारे में सिक्योरिटी गार्ड से पूछा गया तो उन्होंने पहले तो जानकारी देने से इनकार कर दिया लेकिन बाद में बताया कि इस पांच दिनों के लिए इंडियन साइबर सिक्योरिटी वालों ने उन्हें अलग रजिस्टर मुहय्या कराया था और ये हिदायत दी थी कि फ्लैट नंबर 202 में आने वाले लोगों के नाम इसी में दर्ज किए जाए. 28 दिसंबर की रात इस रजिस्टर को सिक्योरिटी से वापस भी ले लिया गया.
----
धंतोली के अपार्टमेंट में चलता था आॅफिस
- कंपनी का एफबी पेज ही अपडेट नहीं
------
खामला चौक के श्री गणेश हाइट्स से पड़ताल करने के बाद जब मेट्रो एक्सप्रेस की टीम धंतोली स्थित कंपनी के आॅफिस पहुंची तो दिए गए एड्रेस पर इस कंपनी का आॅफिस था ही नहीं. आसपास में पूछताछ करने पर पता चला कि यहां एक माह पूर्व तक साइबर सिक्योरिटी के नाम से एक आॅफिस चल जरूर रहा था, जहां 2-3 कर्मचारी काम करते थे लेकिन लगभग एक माह से उस जगह पर एक अन्य आॅफिस चल रहा है. साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग देने वाली किसी कंपनी द्वारा सोशल साइट्स पर अपना एड्रेस भी अपडेट ना किया जाना उसे संदेह के घेरे में ला रहा है.
एमई की टीम ने पड़ताल के दौरान जब इंडियन साइबर सिक्योरिटी एंड रिसर्च लैब (आईसीएसआरएल) का एफबी पेज और उनकी वेबसाइट देखी तो पता चला कि उसमें उसके आॅफिस का एड्रेस खामला चौक का नहीं बल्कि धंतोली स्थित विनायक अपार्टमेंट के एक फ्लैट का दिया गया है. विनायक अपार्टमेंट के सेकंड फ्लोर पर स्थित फ्लैट नंबर 206 के सामने पहुंचने पर पता चला कि यहां का आॅफिस एक माह पहले ही कहीं और शिफ्ट हो चुका है. उल्लेखनीय है कि ये फ्लैट भी किसी सोनी के नाम पर होने की जानकारी मिली. इस पर आसपास के लोगों से बात की तो पता चला कि साइबर सिक्योरिटी का आॅफिस तो एक माह से यहां नहीं है.
...तो दूसरों को क्या ट्रेनिंग देंगे
कंपनी के एफबी पेज पर एड्रेस तो पुराना दिख ही रहा है, वहीं पेज में अंतिम पोस्ट 24 अक्तूबर की दिखाई दे रही है. सवाल यह है कि सेफ, सिक्योर, इनोवेटिव डिजिटल इंडिया बनाने का अपना उद्देश्य बताने वाली इस कंपनी का कोई एक पक्का ठिकाना भी नहीं है. सोशल साइट्स पर अपडेट करने की भी उसे जरू रत महसूस नहीं हो रही है. जब खुद ही अपडेट नहीं है तो ये कंपनी दूसरों को क्या साइबर सिक्योरिटी की ट्रेनिंग देगी?
---
वर्जन...
यकीनन फ्रॉड है
राज्य में साइबर एक्सपर्ट के तौर पर किसी की नियुक्ति करने का काम निजी कंपनियों को नहीं दिया गया है. साथ ही यदि कोई कंपनी साइबर एक्सपर्ट नियुक्ति के विज्ञापन देकर कैंडिडेट्स से रुपए की डिमांड कर रही है तो ये खुलेआम फ्रॉड है. मैं नागपुर साइबर सेल को इस मामले की जांच के लिए बताता हूं.
- बालसिंह राजपुत, एसपी, स्टेट साइबर सेल
----

Comments

Popular posts from this blog

कौन रोकेगा, ये दक्षिण गढ़चिरोली का "लाल सलाम" ?

नक्सलियों के खिलाफ पुलिस के काम आया ‘जनजागरण’ का हथियार

कैसे कहूं मैं... नेता तुम्हीं हो कल के