कंस्ट्रक्शन साइट पर खतरों के खिलाड़ी

कंस्ट्रक्शन साइट पर खतरों के खिलाड़ी
- सेफ्टी नॉर्म्स की ऐसी तैसी
किसी भी कंस्ट्रक्शन साइट के लिए भारत सरकार ने कई सारे सेफ्टी नॉर्म्स तय किए है. उम्मीद ये की जाती है कि कम से कम सरकारी विभागों से जुड़े कामों के दौरान तो इन सेफ्टी नॉर्म्स का पालन किया जाए. लेकिन सरकारी इंजीनियर्स और अधिकारियों की लापरवाही और अनदेखी के चलते आज धड़ल्ले से सुरक्षा की अनदेखी की जा रही है. बात शहर में चल रहे कंस्ट्रक्शन की ही लीजिए. मामला नेशनल हाइवे एथॉरिटी आॅफ इंडिया (एनएचआई) द्वारा बनाए जा रहे लिबर्टी से पागलखाना चौक फ्लाईओवर का है. यहां खुलेआम नियमों की अनदेखी होती दिखाई दे रही है. लेकिन किसी विभाग का इस ओर ध्यान नहीं जा रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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लिबर्टी से छावनी चौक से पागलखाना चौक और छावनी से पुराना काटोल नाका चौक तक लंबे फ्लाईओवर के लिए पिलर बनाने का काम इन दिनों तेजी से किया जा रहा है. उम्मीद भी जताई जाने लगी है कि इसी साल के अंत तक शायद इस फ्लाईओवर का पूरा काम भी हो जाए. लेकिन जिस रफ्तार से इस फ्लाईओवर के पिलर का काम जारी है उसी रफ्तार से इस कंस्ट्रक्शन साइट पर सुरक्षा नियमों की अनदेखी भी की जा रही है. इस मामले में खुद नेशनल एथोरिटी आॅफ इंडिया के अधिकारियों, इंजीनियर्स द्वारा ध्यान नहीं दिए जाने से मामला और ज्यादा गंभीर हो गया है.
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क्यों उठा रहे जोखिम?
अभी इस फ्लाईओवर के अंतर्गत छावनी से पागलखाना चौक के बीच पिलर बनाना जारी है. लेकिन यहां बनाए जा रहे पिलर के कंस्ट्रक्शन वर्क पर खुलेआम सुरक्षा नियमों को धता बताया जा रहा है. मेट्रो एक्सप्रेस की टीम ने इस स्थान पर पूरे तीन घंटे बिताए. हर पिलर के निर्माण और पिलर बन जाने के बाद इसके लिए इस्तेमाल किए जा रहे लोहे के साचे निकालने के काम दौरान सुरक्षा नियमों को ताक पर रखते हुए दिखाई दिया. ये समझ से परे है कि रफ्तार से काम को अंजाम देने के नाम पर खुलेआम इतनी जोखिम क्यों उठाई जा रही है? साइट पर विभाग के इंजीनियर्स मौजूद होकर भी सुरक्षा उपायों पर उनका ध्यान क्यों नहीं जा रहा है?
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धूल की चिंता, जान की नहीं
उल्लेखनीय ये भी है कि एनएचआई की इस कंस्ट्रक्शन साइट पर इतना जोखिमभरा काम करने वाले सभी मजदूर और अधिकारियों को अपनी जान से ज्यादा सेहत की चिंता सता रही है. हर कोई कंस्ट्रक्शन की धूल से बचने के लिए चेहरे पर रूमाल, स्कार्फ बांधकर रहता है. लेकिन अपनी जान की परवाह करते हुए किसी को भी हेलमेट पहनने और कंस्ट्रक्शन साइट के लिए अनिवार्य किए गए नॉर्म्स का पालन करने की जरूरत किसी को भी महसूस नहीं हो रही है.
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‘एमई’ ने क्या देखा?
- छावनी चौक से काटोल नाका चौक के दौरान हो रहे कंस्ट्रक्शन में कहीं पर भी मजदूर या कंस्ट्रक्नशन काम का निरीक्षण करने वाले कोई भी अधिकारी हेलमेट नहीं पहन रहे हैं.
- इसी तरह की तस्वीर छावनी चौक से पागलखाना चौक रोड पर जारी कंस्ट्रक्शन साइट पर भी दिखाई दी. यहां पर भी मजदूरों के सिर पर हेलमेट नजर नहीं आए.
- दोनों ही रोड पर कंस्ट्रक्शन के साथ वाहनों की आवाजाही भी हो रही है. लेकिन वाहन चालकों की सुरक्षा के लिए भी कोई जरूरी उपाय कहीं पर नजर नहीं आए.
- महामेट्रो की साइट पर जिस तरह यातायात को सुचारू करने की कोशिश करते क्यूआरटी के जवान दिखाई देते हैं, उस तरह इस साइट पर कहीं पर भी ऐसी कोई व्यवस्था नजर नहीं आ रही है.
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