लाख टके की बात : दावे शतप्रतिशत, असर शून्य क्यों?

– फहीम खान नागपुर में मानसून की पहली झमाझम बारिश बुधवार की रात को हो चुकी है और हमेशा की तरह इस बार भी मनपा प्रशासन के दावों की असलियत खुलकर सामने आ गई है. पहली ही बारिश ने मनपा की सारी तैयारियों की पोल खोल दी है. हर साल की तरह इस बार भी मनपा प्रशासन ने बड़े-बड़े दावे किए थे कि मानसून पूर्व की सारी तैयारियां पूरी हैं. नदियों की सफाई को लेकर तो बंबई हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में बाकायदा हलफनामा तक दाखिल कर दिया गया. लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही है, और इसका सबसे बड़ा प्रमाण खुद बुधवार की बारिश बन गई. लोकमत समूह के फोटो जर्नलिस्ट द्वारा खींची गई तस्वीरें यह साबित करने के लिए काफी हैं कि नाग नदी, पीली नदी, पोहरा नदी जैसी जलवाहिनियां मनपा के दावों के बावजूद अब भी गंदगी, मलबे और बदबू से भरी पड़ी हैं. यदि सफाई हुई होती, तो बारिश का पानी कहीं पर भी रुकता नहीं, बहता रहता.
इधर शहर की सड़कों का भी बुरा हाल है. मानसून पूर्व की हड़बड़ी में कई जगहों पर सीमेंट सड़कें बिछाई जा रही हैं, मानो समय कम पड़ गया हो. नतीजा, हर गली, हर चौराहा खुदा पड़ा है. न यातायात का मार्ग बचा, न पैदल चलने की सुविधा. खुदाई के चलते दुर्घटनाएं रोजमर्रा का हिस्सा बन चुकी हैं. बारिश ने इन अधूरी सड़कों को और खतरनाक बना दिया है. कीचड़, फिसलन और गड्ढों ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है. बीती रात हुई बारिश में मनीष नगर, सूर्यनगर, नरेंद्रनगर अंडरपास जैसे इलाके फिर से जलमग्न हो गए, मानो मनपा ने इन्हें स्थायी स्वीमिंग पूल बना दिया हो. सबसे अफसोसजनक बात यह है कि इन सबके बीच शहर के जनप्रतिनिधि खामोश हैं. न कोई सवाल, न कोई निरीक्षण. प्रशासन की आंखें मूंद लेना और जनप्रतिनिधियों का चुप रह जाना, यह शहरवासियों के लिए वाकई में दुर्भाग्यपूर्ण है. क्या यही है आधुनिक स्मार्ट सिटी का चेहरा? क्या अब प्रशासन का असल काम सिर्फ दावे करना, प्रेस नोट जारी करना और कागजी कार्रवाई पूरी करना भर रह गया है? बारिश शुरू हो चुकी है, मगर शहर की तैयारी अब भी अधूरी है. नागरिकों को अब जवाब चाहिए और वह भी कागजी नहीं, वास्तविक. इस बार अगर हालात नहीं संभाले गए, तो पानी सिर्फ शहर की सड़कों को नहीं, हमारे शहरवासियों के भरोसे को भी बहा ले जाएगा.

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