लाख टके की बात : ऑपरेशन थंडर: अब दिखावे से आगे बढ़ने की जरूरत

- फहीम खान नागपुर सिटी पुलिस का "ऑपरेशन थंडर 2025" एक सराहनीय और दूरदर्शी पहल रही. पूरे सप्ताह चले इस नशा विरोधी अभियान में जनप्रतिनिधियों से लेकर आम नागरिक, छात्र, एनजीओ, शिक्षक, पुलिसकर्मी और विशेषज्ञों तक सभी ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. नुक्कड़ नाटक, रैलियां, पोस्टर प्रतियोगिताएं, रील्स, जागरूकता सत्रों से लेकर राष्ट्रीय सम्मेलन तक, हर पहलू पर काम हुआ. पुलिस आयुक्त डॉ. रवींद्र सिंगल की अगुआई में शहर ने एकजुट होकर संदेश दिया कि अब नशे के खिलाफ आवाज उठानी होगी. लेकिन सवाल यह है कि क्या सिर्फ जागरूकता से नशे का कारोबार रुकेगा?
शहर के कॉलेज, स्कूल, गलियों और ठिकानों पर नशे की खुलेआम बिक्री हो रही है. अफसोस की बात है कि पुलिस को सब कुछ मालूम होते हुए भी अधिकतर मामलों में सिर्फ दिखावटी कार्रवाई होती है. ड्रग माफिया पुलिस की लापरवाही और कुछ लोगों की मिलीभगत से निडर होकर युवाओं की नसों में खुलेआम जहर घोल रहे हैं. "ऑपरेशन थंडर" तब सफल माना जाएगा जब इस शहर में स्कूल- कॉलेज के युवाओं को नशे की गिरफ्त में करने वाले और बेखौफ ड्रग्स बेचने वालों को जड़ से उखाड़ फेंका जाएगा. मैं यह बात भी मानता हूं कि समाज को जागरूक करना बेहद जरूरी है, लेकिन उससे कहीं ज्यादा जरूरी है कि पुलिस महकमा खुद अपनी जिम्मेदारी को ईमानदारी से निभाए. जो वर्दी पहनी है, वह सिर्फ रौब जमाने के लिए नहीं, समाज की रक्षा के लिए है. और यही वक्त है, जब नागपुर पुलिस को सिर्फ पोस्टर, मंच और कैमरे से बाहर निकलकर असली कार्रवाई करनी होगी. जिससे ड्रग माफिया को यह एहसास हो कि अब नागपुर में नशे का धंधा नहीं चलेगा. याद रखिए, यह लड़ाई कानून की नहीं, भरोसे की है. नागपुर के हजारों माता-पिता अपने बच्चों का भविष्य सुरक्षित देखना चाहते हैं. और जब तक पुलिस खुलेआम नशे का कारोबार करने वाले माफिआयों में अपना डर नहीं पैदा करती, तब तक “ड्रग फ्री सिटी” सिर्फ एक सपना ही रहेगा.

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