75% निर्माण बिना ओसी के

एनएमसी और एनआईटी जैसी एजेंसियां भी नहीं दिखा रही गंभीरता
फहीम खान, 8483879505
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हाईकोर्ट द्वारा बिजली महावितरण कंपनी को बिना आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (कब्जा प्रमाणपत्र) के बिजली के कनेक्शन नहीं देने का फैसला सुनाए जाने के बाद से ही शहर में ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. मेट्रो एक्सप्रेस ने इस मुद्दे की पड़ताल शुरू की तो चौकाने वाली बात उजागर हुई है. शहर और मेट्रो रिजन एरिया में 75 फीसदी से ज्यादा निर्माणकार्य बिना आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लिए ही फ्लैट ओनर्स को अलॉट कर दिए जाते है. उल्लेखनीय ये भी है कि अब तक एनएमसी और एनआईटी जैसी दोनों ही एजेंसियों ने इस मामले को लेकर कभी कोई गंभीर एक्शन नहीं लिया है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
हाल के दिनों में सीएम द्वारा एनआईटी के अधिकारों को कम कराकर उसे एनएमसी को सौंपे जाने के बाद से एनआईटी के पास मेट्रो रिजन क्षेत्र में 2472 लेआउट और शहर क्षेत्र के सभी हजारों की संख्या में लेआउट एनएमसी प्रशासन के जिम्मे आ गए है. इन दोनों ही एजेंसियों को अपने -अपने क्षेत्र में निर्माणकार्य के लिए मैप और प्रोजेक्ट सैंक्शन करने का अधिकार दिया गया है. गौरतलब ये भी है कि जिस तरह ये एजेंसियां निर्माण के मैप और प्रोजेक्ट को सैंक्शन करती है उसी तरह निर्माण पूरा हो जाने के बाद संबंधित लोगों को इन्हीं एजेंसियों से कम्प्लिशन और आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट भी लेना पड़ता है. लेकिन  75 फीसदी मामलों में ऐसा होता नहीं दिखाई दे रहा है.
क्या है आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट?
किसी बिल्डिंग के लिए आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) बहुत आवश्यक दस्तावेज है. ये सर्टिफिकेट इन सभी बातों का प्रमाण होता है कि बिल्डिंग सभी आवश्यक शर्तों को मानकर बनाई गई है. बिल्डिंग को बनाते समय सभी लोकल नियमों का पालन किया गया है और बिल्डिंग रहने के लिए सुरक्षित है. ये सर्टिफिकेट लोकल प्लानिंग अथॉरिटी द्वारा जारी किया जाता है. उल्लेखनीय है कि किसी भी बिल्डिंग की ओसी बनने के पहले उसकी हर तरह से जांच कराई जाती है. मसलन बिल्डिंग रेगुलेशन, उपयोगिता का आधार आदि देखा जाता है.

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