जीएसटी का असर रावण के कद पर!

दशहरा उत्सव की तैयारियों में जुटे कारीगरों को सता रही महंगाई की चिंता
फहीम खान, 8483879505
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शहर में दशहरा उत्सव के दौरान रावण दहन का कार्यक्रम केपी ग्राउंड में आयोजित किया जाता है. इस आयोजन को लेकर हाल में उपजे विवाद के बाद इस आयोजन को ग्रीन सिग्नल मिल तो गया है लेकिन अब रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई को लेकर असमंजस की स्थिति बनती दिख रही है. इसकी वजह है जीएसटी. जी हां, जीएसटी लागू हो जाने के बाद से वस्तुओं के दामों में आए उछाल का असर इस वर्ष रावण के कद पर होता दिख रहा है.
शहर में आयोजित होने वाले रावण दहन समारोह के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई पर सभी की नजर रहती है. लेकिन इस बार इसमें कटौती किए जाने की आशंका दिख रही है. दरअसल बांस और सुतली पर जीएसटी लगने से इन्हें बनाने का खर्च बढ़ गया है. साथ ही मजदूरी, कारीगरों का मेहनताना आदि के भी चलते लागत बढ़ गई है. इसका असर इस साल पुतलों की ऊंचाई पर हो सकता है.
बढ़ गई लागत
तिलक चौक परिसर में पुतले बनाने का काम करने वाले अमर ने मेट्रो एक्सप्रेस को बताया कि 30 सितंबर को दशहरा होने से 27 सितंबर तक पुतला बनाने का काम चलेगा. उन्होंने बताया कि जीएसटी का पुतलों पर काफी असर पड़ा है. एक बांस के पीछे 5-10 रुपए रेट बढ़ गया है, इसके अलावा सुतली पर जीएसटी लगने से इसके दाम 60 रुपए प्रति किलो से 100 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए हैं. रद्दी का दाम भी 30 रुपए से बढ़कर 40 रुपए किलो हो गया है. मैदा और धागे के भी रेट में इजाफा हो गया है.  पुतला बनाने में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला मैदा दुगने दाम पर खरीदना पड़ रहा है. पिछले साल जो धागा 60-70 में खरीदा था उसके लिए इस वर्ष 170 रुपए देने पड़ रहे हैं.  इन सबकी वजह से हर पुतले की लागत पर अतिरिक्त खर्च इस वर्ष करना पड़ रहा है. उन्होंने बताया कि 2016 के मुकाबले एक पुतले की लागत 5-6 हजार रुपए से बढ़ जाएगी. इस बढ़ते खर्च की वजह से ही आयोजन समिति को भी पुतले का कद नहीं बढ़ाने के बारे में सोचना पड़ रहा है. ऐसे में पुतलों की ऊंचाई वही रहेगी, जो पिछले साल थी. वहीं पुतला बनाने वाले अन्य कारीगर अशरफ ने बताया कि जीएसटी के कारण पुतलों की लागत काफी बढ़ गई है. ये बढ़ा हुआ खर्च पुतलों की हाइट पर ही असर करेगा.
बढ़ रहा था कद
दशहरे के मौके पर पुतला दहन बच्चों-बड़ों के लिए आकर्षण का केंद्र रहता है. इसी के चलते केपी ग्राउंड पर होने वाले मुख्य दशहरा कार्यक्रम को भव्य बनाने के लिए संबंधित आयोजन कमिटी भी कोई कसर नहीं छोड़तीं है. इस आयोजन का आकर्षण बढ़ाने के लिए रावण, कुंभकर्ण व मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई हर साल थोड़ी बहुत बढ़ाई जाती रही है. पिछले वर्ष तक केपी ग्राउंड पर होने वाले आयोजन के लिए इन पुतलों की ऊंचाई 35 फुट तक बढ़ाई गई थी. लेकिन इस वर्ष जीएसटी का असर इस पर होता दिख रहा है.
मौसम की भी मार
रावण बनाने वाले कारीगरों का कहना है कि इस साल उन्हें मौसम की भी मार सहनी पड़ रही है. धूप निकलने से उन्हें काम करने में आसानी रहती है. लेकिन इन दिनों मौसम में ज्यादा ही नमी होने से उनका काम जल्दी सूख नहीं रहा है. जिसके चलते उन्हें परेशानी उठानी पड़ रही है. धूप नहीं होने से डाई भी जल्दी नहीं सूख रही है.
इस साल ज्यादा बढ़ी है लागत
एमई रिपोर्टर
दशहरा के उपलक्ष्य में आयोजित किए जाने वाले रावण दहन कार्यक्रम से जुड़ी कमिटियों के पदाधिकारियों का मानना है कि वैसे ही हर साल महंगाई बढ़ने से इन तीनों पुतलों की लागत बढ़ती ही थी. ऐसे में इस वर्ष जीएसटी के चलते पुतला निर्माण के लिए इस्तेमाल की जाने वाली वस्तएं ज्यादा महंगी हो गई है. इसका सीधा असर पुतलों की लागत पर पड़ता दिख रहा है. उल्लेखनीय है कि इस वर्ष गणेशोत्सव के दौरान भी नोटबंदी और जीएसटी की मार का असर चंदे पर दिखाई दिया है. कुछ यहीं मामला दशहरा उत्सव के लिए भी लागू होता दिख रहा है. इसीलिए बढ़ते खर्च से निपटने के लिए आयोजन समिति के पदाधिकारियों को पुतलों की हाइट नहीं बढ़ाने का निर्णय लेना पड़ा है.
अब भी वर्कर का रोना
समय के साथ वर्कर्स की समस्या भी पुतला बनाने वालों को सता रही है. पिछले कुछ वर्षों में पुतला बनाने वाले कारीगर और वर्कर्स मिलना मुश्किल होता जा रहा हैं. जिसके चलते वर्कर्स को ज्यादा से ज्यादा दाम पर लाना पड़ रहा हैं. पुतला बनाने के लिए अभी शहर में बडेगांव और सावनेर के मजदूरों की मदद ली जा रही है. लेकिन जब इन्हें मैदान में फिट किया जाएगा तब हर साल की तरह मध्यप्रदेश से कारीगर बुलाने पड़ेंगे. पुतला बनाने वाले इससे भी बेहद परेशान हैं. ज्यादा मजदूरी से भी पुतले की लागत बढ़ने का अनुमान है.
नहीं बढ़ाएंगे ऊंचाई
पहले हम हर साल पुतलों की लागत को देखते हुए ही आम लोगों के आकर्षण के चलते उनकी ऊंचाई बढ़ा देते थे. पिछले साल आयोजन कमेटी ने पुतलों की ऊंचाई 30-35 फुट तक बढ़ाई थी. इस साल इसे 1-2 फुट से बढ़ाने का विचार था लेकिन लागत बढ़ने से ऊंचाई को पिछले साल इतना ही रखने का निर्णय लिया गया है.
- संजीव कपूर, महामंत्री, सनातन धर्म युवक सभा

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