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Showing posts from March, 2020

ये जो 'खाकी' है ना, ये ऐसी ही है...

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ये जो ‘खाकी’ है ना, ये ऐसी ही है... - फहीम खान, कल तक आपने ‘खाकी’ वालों को चौराहों पर आपको रोककर जुर्माना ठोकते देखा है. कई बार तो आपको इस खाकी के साथ ऐसे अनुभव भी मिले होंगे कि ये खुद को बहुत अलग समझते है. वर्दी पहनकर ये आप पर रोब झाडते है, आपको ऐसा भी लगा होगा और आपने हो सकता है सार्वजनिक रूप से उनके बारे में ऐसा कहा भी होगा. हमारे शहरों में आयोजित शोभायात्रा, जुलूस, रैलियों में, वीवीआईपी के बंदोबस्त, कर्फ्यू सभी में आपने इस खाकी को हर तरफ देखा होगा. कभी कभी आपको ये भी लगा होगा कि यार इन वर्दी वालों को हर जगह क्यों लाकर खड़ा कर दिया जाता है. जब देखो तब सुरक्षा कारणों का हवाला देकर हमारी आजादी में खलल डालने लग जाते है. अब जब कोरोना वायरस का खौफ बढ़ने लगा तो सरकार ने फिर इन्हीं वर्दीवालों को सड़कों पर तैनात कर दिया. लगे आप पर कार्रवाई करने. माना लॉकडाउन है लेकिन कोई अगर अपने काम से बाहर निकल जाए तो इन्हें किसने ये हक दिया है कि ये ऐसे डंडे बरसाने लगे, ऐसा भी लगा होगा आपको. सही कहू तो हम में से अधिकांश लोगों को खाकी पहने ये लोग वाकई में किसी जल्लाद से कम नहीं लगते होंगे. लेकिन य

कोरोना : आप घरों में रहकर इतना ही करो ना

कोरोना : आप घरों में रहकर इतना ही करो ना कोरोना वायरस को रोकने के उपायों के तहत अब महाराष्ट्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है। दोस्तों अब इमरजेंसी सेवाओ के अलावा बाकी सभी को अनिवार्य रूप से अपने घरों में ही रहना है। लेकिन ऐसा नही है कि आप अपने घरों में कैद होकर रह जाओगे। आपका इस मुश्किल घड़ी में कोई योगदान नहीं होगा। बल्कि मैं ये मानता हूं कि आप जो लोग घरों में रहोगे , उनका योगदान ही सबसे महत्वपूर्ण होगा। क्योँकि आप जब घरो में रहोगे तो आपके पास भरपूर समय होगा सोशल मीडिया ,व्हाट्सएप पर ऑनलाइन रहने का। और यही पर आपको अपना असली योगदान देना है दोस्तों। आप सभी जानते है कि सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी खबरे और कोरोना को लेकर भेजे जा रहे गलत मेसेज से आम लोग ज्यादा पैनिक हो रहे है। अब आपको ये करना है कि आप हर खबर और मैसेज की पड़ताल करोगे। उसके बाद ही उसे आगे बढ़ाओगे। आपको हर पोस्ट ,मैसेज पढ़ने के बाद ये सोचना है कि क्या इसे फारवर्ड करना इतना जरूरी है? जवाब नहीं आये तो उसे नजर अंदाज कीजिये। कोरोना को लेकर जो खतरनाक वीडियो किसी देश, शहर का नाम बताकर आप तक पहुचते है तो उन्हें बिल्कुल ही शेयर मत की

ये हमारे छोटे - छोटे कदम ही कोरोना से बचाएंगे

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ये हमारे छोटे - छोटे कदम ही कोरोना से बचाएंगे फहीम खान ,नागपुर नागपुर में अबतक 4 कोरोना बाधित पाए गए है। शुक्र की बात ये है कि इसके बाद से ही कोई नया मामला सामने नहीं आया है। पिछले दो दिनों से नागपुर कोरोना के संक्रमण को रोकने की कवायद के तहत कोशिश कर रहा है। पहले शहर में प्रशासन ने बार , होटल, शिक्षा संस्थान आदि को बंद करने का निर्णय लिया इसके बाद राज्य सरकार ने मुम्बई ,पुणे, पिंपरी चिंचवड़ के साथ नागपुर महानगर में लॉकडाउन का फैसला लिया। शनिवार को जिस तरीके से इस शहर में सड़के सूनी पड़ी और चौराहो पर सन्नाटा पसरा नजर आया, इसी ने साबित कर दिया कि नागपुर वाले कोरोना को एकजुट होकर अपने छोटे छोटे प्रयासों से परास्त करने की ओर बढ़ रहे है। दोस्तों अब हमें कोरोना को लेकर और ज्यादा जागरूक और संवेदनशील भी होने की आवश्यकता है। हम अब भी अगर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे फर्जी मैसेज पर विश्वास कर रहे है तो फिर हमारी कोरोना को हराने की ये कोशिशो पर पानी फिर जाएगा। ये जो कोरोना है ना वो हमारे आपसी रिश्तों को भी टटोल रहा है। हमें शरीर से दूरी बनानी है ताकि इसका फैलाव रोका जा सके। न की दिलों की
हम बड़े तुर्रम खान बनते थे, कुदरत ने हमारी औकात बता दी है... ये बात लाख टका सही है कि हम इंसानो को अपनी औकात भूलने की बीमारी है लेकिन कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा होती है। कोरोना वायरस का ख़ौफ़ पहला ख़ौफ़ नही है ,इससे पहले भी कुदरत ने हमें ऐसे ही कई मर्तबा हमारी औकात बताई है। ये बात अलग है कि हम इंसानों का घमंड कम नहीं हो रहा। हमने तो स्वयं को इस सृष्टि का सर्व शक्तिमान मान लिया है। ऐसा मानने के चलते इस कुदरत के अन्य जीवों के प्रति हम उदार नहीं रहे। हमारे रहने की , अधिवास की जगह हमें कम लगने लगी तो हमने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया। हमारे लिये तो हमारा वजूद ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। फिर क्या था हमने जंगल काटे ,विशालकाय पेड़ो को धराशायी किया। केवल इसलिए कि हम ये मान बैठे है कि हमसे सर्व शक्तिमान यहां कोई नहीं है। जिन घने जंगलों में वन्यजीव रहते थे उनके अधिवास की जगह पर हमने अवैध रूप से कब्जा कर लिया, बावजूद इसके हमें इसमे कुछ भी गलत नहीं लगता। अरे भाई लगे भी क्यों? आखिर "फिटेस्ट विल सर्वाइव" का नियम भी तो हमने ही बना रखा है। जब हमने जंगल निगल लिए तो हमारी नजर

प्रिय कोरोना, थैंक यू वेरी मच

प्रिय कोरोना, थैंक यू वेरी मच वैसे तो इनदिनों सभी तुम्हारे नाम से कांपने लगे है। मैं झूठ क्यों बोलू, मुझे भी तुमसे डर तो लगा ही था। मगर आज पता नही क्यो लेकिन मन किया कि तुम्हे थैंक यू कहु। हम नागपुर शहरवासियो को ये शिकायत रहती थी कि इतनी कोशिशों के बाद भी कुछ लोग शहर के सार्वजनिक स्थान ,सड़को पर मुंह से पिचकारी मारकर गंदा कर दिया करते थे। कई बार तो हम साफ सुथरे कपड़ो में बाहर निकलते और कोई करीब से गाड़ी से जा रहा शख्स हम पर मुंह से पिचकारी मार देता। यही नहीं आलीशान कार का दरवाजा खुलता और ड्राइवर बगल में थूंक देता। ये इतना गंदा लगता था। लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई इस ओर रोक लगाने की। यहां तक कि मनपा ने भी मना तो किया लेकिन वो भी इसपर रोक लगाने में नाकाम ही रही। लेकिन तुम्हे मानना ही पड़ेगा, ये तुम्हारी ही दहशत थी की आज नागपुर के कलेक्टर साहब ने शहर के पान ठेलो पर ही पाबंदी लगा दी। आदेश बुधवार की शाम से ही लागू होने से कल नागपुर की सूरत देखने लायक होगी। सार्वजनिक स्थान गंदे नहीं होंगे अब। कोरोना तुम नहीं आते तो हमें गंदगी से मुक्ति नहीं मिलती। वन्स अगेन थैंक्यू -फहीम खान, नागपुर
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कोरोना : सोशल मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी कोरोना वायरस को लेकर इनदिनों सभी चिंता में है। सरकार और प्रशासन अलर्ट है। हमारे काबिल डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान पर खेलकर इससे लड़ रहे है। सभी की कोशिश ये है कि संक्रमण को रोका जाए। बाधित को पूरी तरह स्वस्थ किया जाए। लेकिन उनके और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सोशल मीडिया द्वारा फैलाई जा रही अफवाह बन गयी है। सोशल मीडिया के कुछ अनसोशल लोग इस संक्रामक बीमारी को हराने की मुहिम में अपनी जिम्मेदारी को समझना नहीं चाह रहे है। यही कारण है कि अफवाहों का बाजार गर्म है। इससे निपटने में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन का कीमती समय जाया जाने लगा है। आप इस बात पर गौर कीजिए कि नागपुर में अबतक 4 कोरोना बाधित मिल चुके है। वही संदिग्धों की संख्या भी करीबन 30 के ऊपर जा चुकी है। ऐसे में जिले के कलेक्टर का रोल क्या होना चाहिये? यही कि वे प्रबंधन पर पूरा फोकस करें लेकिन सोशल मीडिया में एक पोस्ट ये वायरल की जाती है कि नागपुर के कलेक्टर को भी कोरोना हो गया है। कलेक्टर सारे काम छोड़कर और अपना कीमती समय इस पर सफाई देने में गंवाते है। इससे हम ने क्या

इंतजार कीजिए, बीएस फोर पर अच्छे आॅफर आएंगे

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- गाड़ियों के पंजीयन बढ़ने की उम्मीद में छुट्टी के दिन भी काम करेगा आरटीओ विभाग फहीम खान, नागपुर अगर आप कार या कोई टू व्हीलर वाहन खरीदने की सोच रहे हैं तो मार्च 2017की तरह ही आपको आॅटो कंपनियों की ओर से अपना स्टॉक क्लियर करने के लिए अच्छा आॅफर दिया जा सकता है. हां, अभी आपको और कुछ दिनों का इंतजार जरूर करना पड़ सकता है. वैसे भी 31 मार्च 2020 तक सभी आॅटो कंपनियों को अपना स्टॉक खत्म करना ही है. ऐसे में उनके लिए अच्छे आॅफर लेकर ग्राहकों के सामने आना जरूरी हो गया है. वरना ग्राहक बीएस फोर की बजाय सीधे बीएस सिक्स वाहनों में डील कर सकते है. इससे सीधा नुकसान कंपनियों को ही उठाना पड़ेगा. अभी कंपनियों द्वारा जो आॅफर दिए जा रहे है उससे वाहनों की बिक्री पर कुछ असर दिखाई भी देने लगा है. वाहनों के पंजीयन बड़ने की वजह से आरटीओ विभाग ने भी छुट्टी के दिनों में काम करने का फैसला कर लिया है. अभी ग्राहकों को बीएस फोर को लेकर आॅटो कंपनियों की ओर से औने - पौने दाम पर वाहन बेचने के कोई खास आॅफर नहीं दिए जा रहे है लेकिन आरटीओ विभाग के अधिकारियों को यकीन है कि कंपनियां जल्द ही अच्छे आॅफर लेकर आगे आएंगी. इसीलि

लेडी डॉक्टर का बेस्ट डेस्टिनेशन इंडियन आर्मी

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फहीम खान, नागपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नागपुर (एम्स) की डायरेक्टर मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता का कहना है कि आर्मी में बिताया उनका समय बहुत कीमती था. उन्हें वहां बहुत कुछ सीखने को मिला. वह कहती हैं कि हर वो लेडी जो डॉक्टर है, उसे भारतीय फौज में चले जाना चाहिए. आप अगर यूनिफॉर्म में है तो आपके प्रति लोगों की नजर में अलग ही सम्मान होता है. यूनिफॉर्म ऐसा एकमात्र फैशन है जिसे सिर्फ एक फौजी महिला ही पहन सकती है और इसे पहन कर व सिर्फ गर्व महसूस होता है बल्कि आपमें नई ऊर्जा का संचार भी होने लगता है. कौन है विभा दत्ता? डॉ. विभा दत्ता ने दिल्ली के यूसीएमएस से अपना एमबीबीएस किया है. पैथॉलॉजी में उन्होंने अपना पोस्ट ग्रैजुएशन पुणे के एएफएमसी से किया. दिल्ली एम्स से उन्होंने अपनी पीएचडी की उपाधि हासिल की है. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से भारतीय सेना द्वारा भेजे जाने पर लीवर ट्रांसप्लांट पैथालॉजी में ट्रेनिंग भी की है. वह आर्मी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में पैथालॉजी की प्रोफेसर रह चुकी हैं. पुणे विश्वविद्यालय के पीएचडी के विद्यार्थियों की वह गाईड के तौर पर भी काम करती हैं. कई इंटरनेशनल