लेडी डॉक्टर का बेस्ट डेस्टिनेशन इंडियन आर्मी


फहीम खान, नागपुर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नागपुर (एम्स) की डायरेक्टर मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता का कहना है कि आर्मी में बिताया उनका समय बहुत कीमती था. उन्हें वहां बहुत कुछ सीखने को मिला. वह कहती हैं कि हर वो लेडी जो डॉक्टर है, उसे भारतीय फौज में चले जाना चाहिए. आप अगर यूनिफॉर्म में है तो आपके प्रति लोगों की नजर में अलग ही सम्मान होता है. यूनिफॉर्म ऐसा एकमात्र फैशन है जिसे सिर्फ एक फौजी महिला ही पहन सकती है और इसे पहन कर व सिर्फ गर्व महसूस होता है बल्कि आपमें नई ऊर्जा का संचार भी होने लगता है.

कौन है विभा दत्ता?
डॉ. विभा दत्ता ने दिल्ली के यूसीएमएस से अपना एमबीबीएस किया है. पैथॉलॉजी में उन्होंने अपना पोस्ट ग्रैजुएशन पुणे के एएफएमसी से किया. दिल्ली एम्स से उन्होंने अपनी पीएचडी की उपाधि हासिल की है. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से भारतीय सेना द्वारा भेजे जाने पर लीवर ट्रांसप्लांट पैथालॉजी में ट्रेनिंग भी की है. वह आर्मी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में पैथालॉजी की प्रोफेसर रह चुकी हैं. पुणे विश्वविद्यालय के पीएचडी के विद्यार्थियों की वह गाईड के तौर पर भी काम करती हैं. कई इंटरनेशनल और नेशनल जर्नल्स में उनके आर्टिकल्स पब्लिश हुए है. भारत के राष्ट्रपति द्वारा उन्हें सेना मेडल से भी सम्मानित किया जा चुका है. चीफ आॅफ आर्मी स्टाफ अवार्ड, सीओएसी कमेन्डेशन, मार्वलस आईकॉन अवार्ड आदि से भी वह सम्मानित हो चुकी है. लखनऊ में स्थित आठ सौ बेड के सुपर स्पेशलिटी कमांड हॉस्पिटल के कमांडेंट पद की भी उन्होंने जिम्मेदारी संभाली है. सेना में पैतीस साल की सेवा करने के बाद उन्हें नागपुर एम्स की जिम्मेदारी सौंपी गई है.

परिवार का साथ ही महिला की सबसे बड़ी ताकत
नागपुर एम्स की डायरेक्टर मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता का कहना है कि किसी भी महिला के लिए उसका परिवार ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है. अगर किसी महिला को घर में शांति और सपोर्ट न मिले तो वह अपने जॉब, प्रोफेशन में कामयाब नहीं हो सकती. डॉ. दत्ता कहती है कि उनके जीवन में एक पल ऐसा भी आया था, जब उनका बेटा दिल्ली में उनकी मां के साथ रहता था. फौज की नौकरी की वजह से पति देश के दूसरे हिस्से में थे और वे खुद गुवाहाटी में पोस्टेड थीं.
फौज के अपने करियर के बारे में बताते हुए वे कहतीं है कि , एक आर्मी अफसर से सगाई होने के बाद उन्होंने भारतीय फौज ज्वाइन करने का फैसला लिया था. उन्हें इस फैसले में पति का पूरा सपोर्ट भी मिला. कई बार तो उनकी हिम्मत जवाब दे गई. लेकिन पति हिम्मत बढ़ाते रहे. यही कारण है कि उन्होंने एक कप्तान के रूप में शुरू किया भारतीय फौज का अपना करियर मेजर जनरल तक पूरा किया. यहां यह भी बता दे कि भारतीय फौज में अबतक मेजर जनरल के पद पर पहुंची महिलाओं की संख्या बड़ी मुश्किल से छह या सात ही है. अपने पैंतीस वर्षों के फौज के कार्यकाल को याद कर वे कहती है कि वह समय उनके जीवन का स्वर्णिम समय रहा है.

जो पसंद है, वह कीजिए
डॉ. विभा दत्ता महिला और लड़कियों से कहती है कि मैं इस जमाने की लड़कियों से ये कहना चाहुंगी कि आप आगे आइए. आप जिस किसी काम को पसंद करती हो, उसमें दिल लगा दीजिए. याद रखिए कि कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है. साथ ही किसी भी काम को करने से कभी मना मत करो क्योंकि आप हर काम से कुछ न कुछ सीखते जाओगे. इससे आप अनुभव ही पाते हो. दूसरों के कहने का इंतजार मत करो, आगे आओ और कहो कि आप ये काम करना चाहती हो. जबतक आप कोई काम अपनी ईच्छा से नहीं करोगी, तब तक आप उस काम को शत प्रतिशत पूरा कर भी नहीं सकती हो.

गिरने से मत डरो
डॉ. विभा दत्ता कहती हैं कि आप जब कोई काम करने की ठान लेती हो और उसके लिए निकल पड़ती हो तो याद रखिए कि आप कई बार नीचे गिरोगी लेकिन ऐसे मौके पर आपको हिम्मत हारनी नहीं है. दुगना हिम्मत से उठना है और आगे बड़ना है. जिंदगी में कामयाबी उसी को मिलती है जो हारना नहीं जानती है. 

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