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Showing posts from 2023

नक्सलियों के खिलाफ पुलिस के काम आया ‘जनजागरण’ का हथियार

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 by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  1980 से महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले में नक्सलियों ने कदम रखे और अगले दो दशक में नक्सलियों की हिंसा और उत्पात का सीधा टार्गेट ही पुलिस दल बनता रहा. एक के बाद एक, इतनी बड़ी वारदातों को नक्सलियों ने अंजाम दिया कि एक ही दशक में गढ़चिरोली पुलिस दल ने अपने सैकड़ों जांबाजों को खो दिया. लेकिन बावजूद इसके गढ़चिरोली पुलिस ने जो ‘जनजागरण अभियानों’ का सिलसिला जारी रखा, वहीं नक्सलियों के खात्मे के लिए सबसे प्रभावी हथियार साबित हुआ.  गढ़चिरोली में ‘जनजागरण अभियानों’ का ये दौर वह था जब नक्सलियों के खिलाफ शस्त्रों के साथ ही गढ़चिरोली पुलिस सोशल मुद्दों को लेकर भी लड़ती हुई दिखाई दी. इन ‘जनजागरण अभियानों’ के माध्यम से सुदूर इलाकों के आदिवासी और ग्रामीणों को पहली बार प्रशासन और सरकार का दीदार हुआ. सरकारी योजनाएं पता चली और उन्हें यह विश्वास हुआ कि ‘सिस्टम’ उतना खराब नहीं है, जैसा उन्हें नक्सलियों द्वारा बताया जाता रहा है. उन्होंने इसी दौरान पहली बार जिलाधिकारी, जिला परिषद के सीईओ जैसे बड़े अधिकारियों को देखा, उनके मिले और अपनी बात भी रख सके. यह ऐसा मौका था जब आदिवासी,

उमंग-भारतीय सेना और स्थानीय अधिकारियों के बीच एक रणनीतिक पुल

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 उमंग-भारतीय सेना और स्थानीय अधिकारियों के बीच एक रणनीतिक पुल - लोकमत समाचार की उमंग के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एस. के. विद्यार्थी से विशेष बातचीत फहीम खान नागपुर : जब कोई नागपुर के सीताबर्डी किला क्षेत्र या कस्तूरचंद पार्क के सामने से गुजरता है, तो उसे एक रक्षा प्रतिष्ठान दिखाई देता है, जिस पर उत्तर महाराष्ट्र और गुजरात (उमंग) उपक्षेत्र लिखा हुआ है, लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि यहां तैनात सेना के जवानों की क्या भूमिका है? सब एरिया के कामकाज को समझने के लिए लोकमत समाचार की टीम ने उमंग सब एरिया का हाल में दौरा किया और उत्तर महाराष्ट्र और गुजरात सब एरिया (उमंग), नागपुर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग मेजर जनरल एस. के. विद्यार्थी, एवीएसएम, एसएम के साथ अनौपचारिक बातचीत की. उपक्षेत्र की भूमिका और जिम्मेदारियों का परिचय देते हुए मेजर जनरल विद्यार्थी ने कहा कि यह उपक्षेत्र, स्थानीय अधिकारियों और भारतीय सेना के बीच एक पुल की तरह है. भारत का भौगोलिक केंद्र नागपुर में होने के कारण इसकी गुजरात राज्य और उत्तर महाराष्ट्र के क्षेत्र की देखभाल करने में महत्वपूर्ण भूमिका है. चर्चा को आगे बढ़ाते हुए मेज

कौन रोकेगा, ये दक्षिण गढ़चिरोली का "लाल सलाम" ?

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सड़क से लेकर मकान, वाहनों तक नजर आ रही है लाल मिट्टी की धूल की परत, तेजी से पैर पसार रहे इस ‘लाल सलाम’ पर आखिर कोई बोलता क्यों नहीं?  by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  एक दौर था जब महाराष्ट्र के सबसे पिछड़े जिले में गढ़चिरोली जिला शुमार होता था. हालात ऐसे बदतर हो गए थे कि कुपोषन भी चरम पर पहुंच गया था. मामले की गंभीरता को देखते हुए उच्च न्यायालय ने गढ़चिरोली के जिलाधिकारी को फटकार लगाई और उन्हें आदेश दिए कि वे जिले के सुदूर इलाकों में भी जाया करें. यही नहीं महाराष्ट्र के राज्यपाल खुद भामरागढ़ जैसी सुदूर तहसील में पहुंचे और उन्होंने वहां पर प्रशासनीक अधिकारियों की बैठक ली. इसके बाद राज्य के मंत्रियों को राज्यपाल ने आदेश दिए कि वे भी सुदूर इलाकों में पहुंचकर सरकारी योजनाओं को जन -जन तक पहुंचाने के प्रयास करें. इसका दूरगामी परिणाम यह हुआ कि कुछ वर्षों में ही गढ़चिरोली जिले से कुपोषण की समस्या हल हो गई.  लेकिन कुपोषण के बाद भी इस जिले की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही थी. इसी दौरान नक्सलवाद तेजी से फैला. हालात बद से बदतर होने लगे. जिला पुलिस की मदद के लिए एसआरपीएफ की टुकड़ियों को भेजा

देख तेरे संसार की हालत क्या हो गई भगवान, कितना बदल गया इंसान...

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फिर एक बार मुझे वह दूरदर्शनवाला जमाना याद आने लगा है. फिर एक बार जेहन में वहीं दूरदर्शन का विज्ञापन चलने लगा है, जो कहता था- ‘शैतान बनना आसान है, लेकिन क्या इंसान बने रहना इतना मुश्किल है?’. इस बार नागपुर शहर में घटीे दो घटनाएं इसके पीछे की मुख्य वजह बनी है. पहला मामला शहर के अथर्व नगरी परिसर का है जहां के निवासी अरमान खान के निवास में एक नाबालिग बंधक बालिका चार साल से नारकीय जीवन बीता रही थी. और अरमान, उसकी पत्नी हीना और साला अजहर उस बालिका को कहते थे कि, ‘तुझे खरीद कर लाए हैं तो मार भी सकते हैं.’ दूसरा मामला है वड़धामना इलाके में एक 4 वर्षीय बालक को क्रूरतापूर्वक सिगरेट के चटके लगाकर अमानवीय यातना देने का. बालक की मां के साथ आरोपी संकेत रमेश उत्तरवार ‘लिव इन रिलेशन’में रहता था.  हुड़केश्वर की इस दस साल की बालिका को बंधक बनाकर यौन शोषण किए जाने के प्रकरण में गिरफ्तार प्रापर्टी डीलर अरमान खान को हुड़केश्वर थाने में वीआईपी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही थी. यह बात तो और भी चौंकाने वाली है. मतलब अरमान, उसकी पत्नी और साला जितना बेरहम था उतनी ही शैतानी हरकत पुलिस के अधिकारी ने भी की है. खान दंप

कैसे कहूं मैं... नेता तुम्हीं हो कल के

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‘इंसाफ की डगर पे, बच्चों दिखाओ चल के ये देश है तुम्हारा, नेता तुम्हीं हो कल के...’  कवि शकील बदायुनी का लिखा ये गीत मैंने अपने बचपन में बहुत सुना है. शायद इसी लिए मेरे जेहन में यह बात पक्की बैठ सी गई है कि इंसाफ की डगर पर चलने वाले बच्चे, कल नेता बनते है. और यह बात अगर सच है तो बच्चों को कल के नेता बनने की सलाह देने वाले शकील बदायुनी यह मानकर चल रहे है कि नेता यानी लीडर ही इस समाज को दिशा देते है. अगर इस बात पर गौर करे तो क्या आज के हमारे नेता सही मायने में ऐसे है? क्या इन नेताओं जैसा बनने के लिए हम अपने बच्चों को इस तरह का कोई गीत सुनाने की भी सोचेंगे?  यह बात आज इसलिए दिमाग में आई है क्योंकि महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता विजय वडेट्टीवार की एक तस्वीर मुझे सोशल मीडिया पर दिखाई दी. तस्वीर कांग्रेस की बाईक रैली की है. जिसमें विजय वडेट्टीवार अगुवाई करते हुए बाईक चला रहे है. मजे की बात यह है कि वडेट्टीवार ने हेलमेट नहीं पहना है. जबकि बाईक चलाते समय हेलमेट पहनना अनिवार्य है. मतलब नेताजी के लिए बाईक रैली निकालकर स्टाइल मारना जितना जरूरी है, उतना यातायात न

वह मेरे बापू है... नफरत भुलाकर ही तुम उन्हें समझ पाओगे

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  कल ही की बात है एक अदने से शख्स ने अमरावती में भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को लेकर कुछ आपत्तिजनक कह दिया. वैसे यह पहला मौका नहीं है जब किसी ‘नफरतवाली विचारधारा’ में यकीन रखने वाले ने महात्मा गांधी के प्रति कुछ आपत्तिजनक कहा हो. इससे पहले भी कई लोग, कई तरह की बातें कह चुके हैं. लेकिन महात्मा गांधी के कद की ऊंचाई इसी से समझ आ जाती है कि जिन अंग्रेजों ने 150 साल जिस देश पर राज किया, उसी देश के एक शख्स को कभी अपने आगे झुका न सके. ऐसे शख्स थे मोहनदास करमचंद गांधी... जी हां, ‘मेरे राष्ट्रपिता, मेरे बापू’.  असल में कुछ लोग अक्सर यह गलती कर जाते है कि उन्हें लगने लगता है कि उनका कद इतना ज्यादा हो गया है कि वह किसी के भी बारे में कुछ भी कह सकते है. लोकतंत्र में शायद यह अभिव्यक्ति की आजादी कहलाता हो लेकिन सभ्य समाज व्यवस्था में इसे ‘आगाऊपणा’ कहा जाता है. आप अपने से बड़े का सम्मान नहीं कर सकते हो, तो उसका अपमान करने की भी कोशिश नहीं करनी चाहिए. क्योंकि जब आप आसमान पर थूंकने की कोशिश करते हो ना, तो फिर आपकी थूंक आपके ही चेहरे पर गिरता है.  जिस बापू ने कभी किस

टीवी मीडिया में कहीं एआई एंकर की बाढ़ न आ जाए...

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) एक तेजी से विकसित होने वाला क्षेत्र है. जिसका हमारी दुनिया पर बड़ा प्रभाव पड़ रहा है.  एआई का उपयोग पहले से ही विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों में किया जा रहा है. मसलन सेल्फ-ड्राइविंग कारों से लेकर चिकित्सा निदान तक. जैसे-जैसे एआई का विकास जारी है, इसका हमारे जीवन पर और भी अधिक प्रभाव पड़ने की संभावना जताई जाने लगी है.  एआई के सबसे आशाजनक इस्तेमालों में से एक स्वास्थ्य देखभाल के क्षेत्र में है. एआई का उपयोग बीमारियों का निदान करने, नए उपचार विकसित करने और मरीजों की देखभाल में सुधार करने के लिए किया जा सकता है. उदाहरण के लिए, एआई-संचालित सिस्टम मानव डॉक्टरों की तुलना में चिकित्सा छवियों का अधिक सटीक विश्लेषण कर सकते हैं. इससे तेजी से और अधिक सटीक निदान हो सकेगा. जिससे मरीज की जान भी बचाई जा सकती है.  News Anchor SANA इसी बीच भारत में भी एआई तकनीक का इस्तेमाल करने का चलन तेजी से बढ़ता नजर आने लगा है. खासकर मीडिया में एआई तकनीक का इस्तेमाल होने लगा है. जिसके बाद से लगने लगा है कि कहीं टीवी मीडिया में एआई एंकर की बाढ़ न आ जाए. हाल क

शैतान बनना आसान है, लेकिन इंसान बने रहना क्या इतना मुश्किल है?

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  ये वह लाईन है जिसे मैंने अपने बचपन के दिनों में दूरदर्शन के किसी विज्ञापन में सुना था. बचपन में सुनी हुई यह लाइन मेरे मन -मस्तिष्क पर ऐसे अंकित हो गई है कि मैं अपनी निजी जिंदगी में भी खुद को कई बार किसी भी तरह के कृत्य से पहले यह सवाल जरूर करता हूं. मेरा यह मानना है कि हम सभी लोगों ने हर समय खुद को यह सवाल हमेशा पूछना चाहिए कि शैतान बनना आसान है, लेकिन इंसान बने रहना क्या इतना मुश्किल है?  आज यह सवाल मेरे मन में आया ही इसलिए क्योंकि ताजा उदाहरण था पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश का. एमपी के सीधी इलाके में पीड़ित दशमत रावत पर आरोपी प्रवेश शुक्ला पर पेशाब कर दिया. यह मामला तूल पकड़ा तो सरकार ने आरोपी पर कड़ी कार्रवाई कर दी. इसे लेकर जो राजनीति होनी थी वह हुई भी और अभी भी हो रही है. राजनीति से इतर मैं बात एक इंसान की और उसकी इंसानियत की करना चाहता हूं. इस घटना ने मुझे दूरदर्शन की वह पुरानी एड याद दिला दी. शैतान बन कर एक पीड़ित पर पेशाब करना आसान है, लेकिन क्या प्रवेश शुक्ला के लिए इंसान बने रहना इतना मुश्किल था? इस मामले में इंसानियत तार -तार इसलिए हुई क्योंकि प्र

ये इंडियन पोलिटिकल लीग (आईपीएल) है साहब...

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर. इस रविवार, 2 जुलाई को महाराष्ट्र में बड़ा सियासी भूकंप देखने को मिला. जहां राकांपा नेता अजित पवार ने शिंदे-फडणवीस सरकार में शामिल होने के बाद डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली. यह सब कुछ इतनी तेजी से हुआ, जिसको लेकर माना जा रहा है कि यह अजित पवार की बड़ी प्लानिंग का हिस्सा था. बीते कई दिनों से अजित पवार समेत एनसीपी विधायकों का एक बड़ा धड़ा शरद पवार से नाराज चल रहा था. इसके चलते महाराष्ट्र की सियासत में सुपर संडे के दिन अजित ने विधायकों की अपने घर पर बैठक बुलाई थी. इसके बाद 53 में से 30 विधायकों का बड़ा समर्थन रखने वाले अजित पवार राजभवन पहुंच गए. इसके साथ ही सीएम शिंदे और डीसीएम देवेंद्र फडणवीस भी राजभवन पहुंचे और फिर 9 मंत्रियों समेत अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली.  इससे पहले महाराष्ट्र में उध्वव ठाकरे की पार्टी शिवसेना में बड़ी फुट पड़ी थी और एकनाथ शिंदे अपने 40 विधायकों को लेकर सीधे भाजपा से मिले थे. देवेंद्र फडणवीस को उपमुख्यमंत्री बनाया गया और एकनाथ शिंदे राज्य के मुख्यमंत्री बन गए थे. लेकिन अब महाराष्ट्र के नागरिकों को एक और नया गठबंधन देखने मिल

तो क्या फिर नक्सलियों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन की हो रही है तैयारी?

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by फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  रायपुर के पुलिस मुख्यालय में शनिवार को अहम बैठक हुई है. ये इंटरस्टेट कोऑर्डिनेशन मीटिंग थी.  इसमें छग के डीजीपी अशोक जुनेजा मौजूद थे. छत्तीसगढ़ पुलिस के अफसरों के अलावा इस मीटिंग में दो तेलंगाना और आंध्रप्रदेश राज्य पुलिस के अधिकारी भी शामिल हुए थे. इस मीटिंग में नक्सल ऑपरेशन को लेकर चर्चा की गई. उधर केंद्रीय गृहमंत्रालय की प्रमुख एजेंसी सीएपीएफ के अधिकारी भी इस बैठक में शामिल हुए. इसके बाद से ऐसा लगने लगा है कि फिर से नक्सलियों के खिलाफ स्पेशल ऑपरेशन की तैयारी की जा रही है. अबकी बार नक्सलियों को नकेल कसने के लिए तीनों राज्य एक होकर कोई अभियान चला सकते है.  सूत्रों से यह पता चल रहा है कि बैठक में छत्तीसगढ़, तेलंगाना और आंध्रप्रदेश में मूवमेंट करने वाले नक्सलियों और उनके लीडर्स के बारे में भी चर्चा की गई. बाहरी राज्यों से आए अफसरों ने अपने ऑपरेशंस की जानकारी भी दी. तीनों राज्यों के अधिकारियों ने आपस में कोऑर्डिनेट करने की बात कही है. हालांकि पहले भी इस तरह की बैठकाें में आपसी सामंजस्य के दावे होते रहे हैं. यह बात और है कि इसके बाद भी इन राज्यों की सीमाओं प

...तो नोबॉल पर आऊट हुए उद्धव ठाकरे

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लाख टके की बात : फहीम खान महाराष्ट्र की सत्ता एकनाथ शिंदे के पास ही रहेगी या उद्धव ठाकरे के पास लौटेगी, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार (11 मई) को ये विवाद आखिरकार निपटा दिया. सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ वाली 5 जजों की संविधान पीठ ने फैसला सुना दिया कि शिंदे ही महाराष्ट्र के सीएम बने रहेंगे. हालांकि कोर्ट ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा न देते, तो उनकी सरकार को बहाल कर सकते थे. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में 5 बड़े सवालों के जवाब दिए, इसमें से 4 पॉइंट उद्धव ठाकरे के पक्ष में हैं, बावजूद इसके शिंदे ही सीएम बने रहेंगे. इसके बाद से सोशल मीडिया में एक मैसेज खूब वायरल हुआ, जिसका अर्थ सिर्फ इतना ही निकलता है कि ‘पूर्व सीएम उद्धव ठाकरे असल में नोबॉल पर आऊट हुए’.  ये है वह मैसेज जो सोशल मीडिया में खूब वायरल हो रहा है... ‘‘शिंदे ने ठाकरे को नोबॉल फेंकी. फडणवीस ने अंपायर से अपील की.  अंपायर कोश्यारी ने गलत फैसला दिया और ठाकरे को आउट दे दिया और इस तरह नो बॉल पर ठाकरे का विकेट ले लिया.  लेकिन तीसरे अंपायर का फैसला आने तक ठाकरे मैदान छोड़कर मातोश्री चले गए. "तो अब उन्हें बल्लेबाजी

Operation Kaveri : सूडान में फंसे 278 भारतीयों का पहला जत्था भारतीय नौसेना के जहाज से रवाना

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  सूडान में फंसे भारतीयों का पहला जत्था सऊदी अरब के जेद्दा के लिए भारतीय नौसेना के जहाज में रवाना हो गया. भारत ने हिंसाग्रस्त सूडान से अपने नागरिकों को निकालने के लिए सोमवार को ऑपरेशन कावेरी (Operation Kaveri) शुरू किया था. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने आईएनएस सुमेधा (INS Sumedha) पर सवार भारतीयों की फोटोज ट्वीट कीं. इस दौरान लोगों ने सूडान से निकालने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया और हाथ में तिरंगा थामे भी नजर आए. अरिंदम बागची ने ट्वीट किया, "सूडान में फंसे हुए भारतीयों का पहला जत्था ऑपरेशन कावेरी के तहत रवाना हुआ. आईएनएस सुमेधा 278 लोगों के साथ पोर्ट सूडान से जेद्दा जा रहा है." सूडान से आ रहे इन लोगों में कई बच्चे भी शामिल हैं. हिंसा प्रभावित सूडान में फंसे भारतीयों को सुरक्षित रूप से निकालने की योजना के तहत भारत ने जेद्दा में दो सी-130 जे सैन्य परिवहन विमान और पोर्ट सूडान में आईएनएस सुमेधा को तैनात किया है.  उल्लेखनीय है कि जेद्दा पहुंचने के बाद इन भारतीयों को स्वदेश लाया जाएगा. पूरे सूडान में लगभग 3,000 भारतीय हैं. सूडान की राजधानी खार्तूम में कई स्थानों स

... और प्लेटफार्म पर फैलने लगा ‘संघमित्रा’ का पानी

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  - बैग बचाते भागने लगे रेल यात्री एक तरफ जहां नागपुर रेलवे स्टेशन को वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशन बनाने की कवायद जारी है, वहीं दूसरी ओर यहां पर प्रशासन की अनदेखी की वजह से रेल यात्रियों की समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बुधवार को संघमित्रा एक्सप्रेस में लगी पाइप से निकलने वाला पानी सीधे प्लेटफार्म पर फैलने लगा और यात्रियों को ट्रेन में चढ़ने पर ध्यान देने की बजाय अपने लगेज, बैग को भीगने से बचाते हुए भागमभाग करना पड़ा. बुधवार को नागपुर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म नंबर-1 पर संघमित्रा एक्सप्रेस सुबह करीब 10 बजे पहुंची. पहले ही एक घंटे से ज्यादा देरी से पहुंची ट्रेन में चढ़ने के लिए यात्री जद्दोजहद करने लगे. इसी बीच अचानक ट्रेन के डिब्बों से पानी पटरियों पर छोड़ा जाने लगा. लेकिन एक पाइप से निकलती पानी की धार सीधे प्लेटफार्म नंबर-1 पर फैलने लगी. इस पानी की वजह से कुछ समय के लिए यात्रियों को भागमभाग करते देखा गया. पहले से लेट पहुंची ट्रेन में चढ़ने पर ध्यान देने की बजाय यात्रियों को अपने बैग और लगेज को बचाने की ओर ज्यादा ध्यान देना पड़ा. समस्या नई नहीं है उधर यात्रियों का कहना है कि न

ना.गो. गाणार को ‘पुरानी पेंशन’ ले डूबी

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  2005 के बाद के नए शिक्षकों की प्रमुख मांग को अनदेखा करना पड़ा महंगा विधान परिषद की नागपुर शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र सीट के चुनाव में जैसा की लग रहा था महाविकास आघाड़ी समर्थित विदर्भ माध्यमिक शिक्षक संघ के सुधाकर अडबाले ने भाजपा समर्थित शिक्षक परिषद के ना.गो. गाणार को परास्त कर दिया. पुरानी पेंशन ही सबसे बड़ा ऐसा कारण बना जिसकी वजह से गाणार को हार का मुंह देखना पड़ा. विधानमंडल के शीतसत्र में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में स्पष्ट कह दिया था कि सरकार शिक्षकों की पुरानी पेंशन लागू नहीं कर सकती. इस बीच शिक्षकों ने विधानमंडल पर भारी मोर्चा निकाला. शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र चुनाव की घोषणा होते ही इस मुद्दे ने तूल पकड़ ली. फडणवीस के बयान का वीडियो खूब वायरल हुआ. इससे पुरानी पेंशन की वकालत कर रहे ना. गो. गाणार भी बैक फुट पर आ गए. नागपुर संभाग के जिन जिलों में इस सीट के लिए मतदान हुआ है उन सभी स्थानों पर शिक्षकों की आम राय यही थी कि तीसरी बार शिक्षकों के वोटों के बूते विधान परिषद पहुंचने के सपने देख रहे ना. गो. गाणार वर्ष 2005 के बाद सेवा में आए शिक्षकों को पुरानी पेंशन लागू करने की उनकी