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Showing posts from 2020

झूठा ज्ञान अज्ञानता से भी ज्यादा खतरनाक होता है दोस्तो...

 कभी सेना में भर्ती, तो कभी अधूरी जानकारी फैलाकर युवाओं को गुमराह करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. केवल नागपुर ही नहीं बल्कि देश भर में सोशल मीडिया के जरिए इस तरह की कोशिश हो रही है. सेना या किसी भी सरकारी एजेंसियों में भर्ती के नाम पर जो मैसेज वायरल हो रहे है उसे पढ़कर जरूरतमंद, बेरोजगार युवक भर्ती मुख्यालय का रूख करने लगे है. नागपुर में भी अबतक ऐसा कई बार हो चुका है कि फर्जी मैसेज पढ़कर युवाओं की भीड़ भर्ती के लिए उमड़ पड़ी. हमने कभी सोचा है आखिर कौन है ये लोग, जिन्हें फर्जी मैसेज वायरल करने में मजा आता है? साथ ही ये सवाल भी कि आखिर इस सोशल मीडिया की फर्जीवाड़े से भरी दुनिया में युवा क्यों मैसेज के असली -नकली होने की पुष्टि नहीं करा पा रहे है? आज हम सभी ये जानते है कि सोशल मीडिया में अनसोशल एलिमेंटस जरूरत से ज्यादा संख्या में बढ़ते जा रहे है. इन लोगों को फर्जी मैसेज, फर्जी खबरे वायरल करने में बहुत मजा आता है. अपने निजी मजे के चक्कर में ये लोग सोशल मीडिया में कोई भी फर्जी मैसेज वायरल कर देते है और फिर लोगों को इससे परेशान होते, लोगों को एक -दूसरे से लड़ते -झगड़ते देखकर मजा लेते है. लेकिन

ये जो थोड़े से हैं पैसे, खर्च तुम पर करूँ कैसे?

 वर्ष 1996 में ‘पापा कहते हैं’ फिल्म का ये गीत आज अचानक से मुझे गुनगुनाने का मन करने लगा. इसे राजेश रोशन ने म्यूजिक दिया था और जावेद अख्तर ने बोल लिखे थे. कुमार सानू ने इसे अपनी आवाज दी थी. अरे मैं इस गीत के बारे में बताने के लिए ये सबकुछ नहीं लिख रहा हूं...  बात ये है कि लोन मोरेटोरियम मामले में देश की सुप्रीम अदालत की फटकार के बाद बैंकों ने लॉकडाउन के 6 माह दौरान जो ब्याज पर ब्याज काटा था उसका कैशबैक  खाते में जमा कर दिया है. मेरे एक डॉक्टर मित्र मुझसे ज्यादा खुश किस्मत है, क्योंकि उन्होंने एसबीआई से होम लोन ले रखा है. कैशबैक देने के मामले में एसबीआई काफी आगे रही.   बुधवार की शाम को ही एसबीआई के ग्राहकों के खातों में कैशबैक की राशि जमा हो गई और उन्हें इसकी सूचना एसएमएस के माध्यम से दे दी गई. करीबन 250 शब्दों के इस मैसेज में मेरे मित्र को एसबीआई की ओर से यह जानकारी दी गई कि उन्हें कैशबैक के रूप में 350 रुपए दिए जा रहे हैं. यह मैसेज जब उन्हें मिला तो उनकी खुशी का ठिकाना न रहा. अब हमारी बैंकों (जिन बैंकों ने हमें कार लोन, होम लोन दिया है) के माध्यम से भी कैशबैक दिया जाने वाला है. शायद स

ऐसा सिर्फ प्रकाश आमटे ही कर सकते है...

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45 सेकंड तक नदी में शीर्षासन करना इतना आसान नहीं - फहीम खान  हाल में सोशल मीडिया में एक वीडियो और तस्वीर तेजी से वायरल हुई. ये तस्वीर थी विख्यात समाजसेवी रमन मैगसेसे पुरस्कार विजेता तथा पद्मश्री डॉ. प्रकाश आमटे की. उन्होंने नदी के पानी के भीतर 45 सेकंड तक अपनी सास रोककर शीर्षासन किया. उनका ये वीडियो उनके बेटे अनिकेत आमटे ने सोशल मीडिया में शेयर करने के बाद से ही खूब वायरल हो रहा है. इसे देखने वाला हर शख्स आश्चर्यचकित है. लेकिन जिन्होंने डॉ. प्रकाश आमटे को करीब से देखा है, वो भलीभांति जानते है कि केवल प्रकाश आमटे ही ऐसा कर सकते है. क्योंकि ऐसा करने के लिए जो साहस और सब्र लगता है, वो इसी शख्स में हो सकता है.  बता दे कि प्रकाश आमटे विख्यात समाजसेवी बाबा आमटे के बेटे है और महाराष्ट्र के गढ़चिरोली जिले की भामरागढ़ तहसील के हेमलकसा में लोकबिरादरी प्रकल्प के माध्यम से आदिवासियों की सेवा में खुद को समर्पित कर चुके है. प्रकाश आमटे का स्वभाव बेहद शांत किस्म का है. उनमें इतना संयम भरा हुआ है कि शायद ही किसी शख्स में इतना संयम कभी दिखाई दे. मैंने अपने गढ़चिरोली और चंद्रपुर के कार्यकाल के दौरान डॉ. प्

मैं और मेरे गांधी...

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by  फहीम खान, जर्नलिस्ट, नागपुर.  2 अक्तूबर 1869 को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का जन्म हुआ और 30 जनवरी 1948 को उनकी निर्मम हत्या के बाद वो हमें छोड़कर चले गए. लेकिन क्या वजह है कि गांधी हमारे बीच में नहीं होकर भी उनके हमेशा आस -पास होने का अहसास होता रहता है. गांधी को चाहने वाले और उनका विरोध करने वाले जितनी संख्या में है, उससे कई गुणा अधिक संख्या में ऐसे लोग इस दुनिया में है जो गांधी  को अपना ही एक हिस्सा मानते है. ये वो लोग है जिन्होंने गांधी को सिर्फ पढ़ा या  सुना नहीं है...बल्कि एक अदृश्य गांधी को पूरी ईमानदारी के साथ अपने जीवन का अंग बना लिया. शायद उन्हीं लोगों में मैं भी शुमार होता हूं. मेरे गांधी औरों के गांधी से इसीलिए अलग भी है.  बात वर्ष 1995 की है, जब मैं चंद्रपुर जिले के सिंदेवाही में रहता था. कक्षा 9 वीं में पढ़ रहा था और अचानक से मेरे जीवन में ऐसा पल आया जब मैंने अपने साथ गांधी को महसूस किया. सिर्फ महसूस नहीं बल्कि मैंने गांधी को अपने साथ बात करता हुआ भी पाया. सिंदेवाही -नागभीड़ मार्ग पर एक छायादार पेड़ हुआ करता था. इवनिंग वॉक करता हुआ जब इस पेड़ के नीचे मैं बैठता तो घंटों मैंने

आखिर नागपुर में जनता कर्फ्यू से हासिल क्या हुआ?

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शनिवार, रविवार को आहुत कर्फ्यू को सहयोग नहीं देना किसे महंगा पड़ेगा?  ये बात बिल्कुल सच है कि नागपुर शहर और जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर  हालात बेहद खराब हो गए है. अस्पतालों में इलाज करने वालों की तो हालत और भी खराब हो गर्ई है. जिन्हें जरूरी जांच बताई जा रही है उन्हें संक्रमित होने के बावजूद भी जांच के लिए लैब के चक्कर काटना पड़ रहा है. कई लोग तो संक्रमित होकर भी आधा आधा दिन लैब में भीड़ होने की वजह से बैठे रहते है.  शायद बढ़ती मौतें और तेजी से बढ़ रहा संक्रमण देखकर ही हाल में नागपुर के महापौर संदीप जोशी ने मनपा मुख्यालय में बैठक बुलाई होगी. इस बैठक के बाद महापौर ने यह घोषणा भी कर दी कि नागपुर में अब सितंबर के माह में हर शनिवार और रविवार को जनता कर्फ्यू रखा जाएगा. इसका पालन सभी को करना होगा. जो नहीं करेगा उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी. जिस दिन कर्फ्यू की घोषणा हुई उस दिन लोग काफी चिंता में थे. लोगों को कार्रवाई का डर सता रहा था सो दुकान बंद रखने का निर्णय भी ले लिया.  दांव ही उल्टा पड़ गया अगले ही दिन सोशल मीडिया में एक मैसेज वायरल हो गया. ये मैसेज था नागपुर महानगर पालिका के आयुक्त राधाकृष्

बुलाती है मगर जाने का नहीं....

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 बुलाती है मगर जाने का नहीं.... राहत इंदौरी का एक शेर हाल के दिनों में चर्चा में रहा था। पूरा शेर... बुलाती है मगर जाने का नईं ये दुनिया है इधर जाने का नईं मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर मगर हद से गुजर जाने का नईं सितारें नोच कर ले जाऊँगा मैं खाली हाथ घर जाने का नईं वबा फैली हुई है हर तरफ अभी माहौल मर जाने का नईं वो गर्दन नापता है नाप ले मगर जालिम से डर जाने का नईं (कविताकोश से साभार) इस शेर को अपनी पंच लाइन बनाते हुए  नागपुर शहर पुलिस ने भी कोरोना संक्रमन रोकने के लिए सोशल मीडिया में अभियान चलाया था। ये लाइन आज मुझे रायपुर की ताजा घटना को सुनने के बाद इस्तेमाल करने की जरूरत पड़ गयी। दोस्तो सोशल मीडिया में कई सारे फेक अकॉउंट बनाकर लोंगो को फांसने की कोशिश होती रहती है। लड़कियों के नाम बनी कई प्रोफाइल्स फेक होती है। ऐसा ही एक मामला सामने आया है। रायपुर में एक युवक निशा जिंदल और ऐसे अन्य 7 लड़कियों के नाम से फर्जी अकॉउंट चला रहा था। गंभीर बात ये है कि उसकी फ्रेंडलिस्ट में IAS और IPS समेत 10 हजार लोग शामिल थे। फेसबुक पर पाकिस्तानी मॉडल सहित 7 महिलाओं के नाम से फर्जी अ

ये जो 'खाकी' है ना, ये ऐसी ही है...

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ये जो ‘खाकी’ है ना, ये ऐसी ही है... - फहीम खान, कल तक आपने ‘खाकी’ वालों को चौराहों पर आपको रोककर जुर्माना ठोकते देखा है. कई बार तो आपको इस खाकी के साथ ऐसे अनुभव भी मिले होंगे कि ये खुद को बहुत अलग समझते है. वर्दी पहनकर ये आप पर रोब झाडते है, आपको ऐसा भी लगा होगा और आपने हो सकता है सार्वजनिक रूप से उनके बारे में ऐसा कहा भी होगा. हमारे शहरों में आयोजित शोभायात्रा, जुलूस, रैलियों में, वीवीआईपी के बंदोबस्त, कर्फ्यू सभी में आपने इस खाकी को हर तरफ देखा होगा. कभी कभी आपको ये भी लगा होगा कि यार इन वर्दी वालों को हर जगह क्यों लाकर खड़ा कर दिया जाता है. जब देखो तब सुरक्षा कारणों का हवाला देकर हमारी आजादी में खलल डालने लग जाते है. अब जब कोरोना वायरस का खौफ बढ़ने लगा तो सरकार ने फिर इन्हीं वर्दीवालों को सड़कों पर तैनात कर दिया. लगे आप पर कार्रवाई करने. माना लॉकडाउन है लेकिन कोई अगर अपने काम से बाहर निकल जाए तो इन्हें किसने ये हक दिया है कि ये ऐसे डंडे बरसाने लगे, ऐसा भी लगा होगा आपको. सही कहू तो हम में से अधिकांश लोगों को खाकी पहने ये लोग वाकई में किसी जल्लाद से कम नहीं लगते होंगे. लेकिन य

कोरोना : आप घरों में रहकर इतना ही करो ना

कोरोना : आप घरों में रहकर इतना ही करो ना कोरोना वायरस को रोकने के उपायों के तहत अब महाराष्ट्र में कर्फ्यू लगा दिया गया है। दोस्तों अब इमरजेंसी सेवाओ के अलावा बाकी सभी को अनिवार्य रूप से अपने घरों में ही रहना है। लेकिन ऐसा नही है कि आप अपने घरों में कैद होकर रह जाओगे। आपका इस मुश्किल घड़ी में कोई योगदान नहीं होगा। बल्कि मैं ये मानता हूं कि आप जो लोग घरों में रहोगे , उनका योगदान ही सबसे महत्वपूर्ण होगा। क्योँकि आप जब घरो में रहोगे तो आपके पास भरपूर समय होगा सोशल मीडिया ,व्हाट्सएप पर ऑनलाइन रहने का। और यही पर आपको अपना असली योगदान देना है दोस्तों। आप सभी जानते है कि सोशल मीडिया में वायरल हो रही फर्जी खबरे और कोरोना को लेकर भेजे जा रहे गलत मेसेज से आम लोग ज्यादा पैनिक हो रहे है। अब आपको ये करना है कि आप हर खबर और मैसेज की पड़ताल करोगे। उसके बाद ही उसे आगे बढ़ाओगे। आपको हर पोस्ट ,मैसेज पढ़ने के बाद ये सोचना है कि क्या इसे फारवर्ड करना इतना जरूरी है? जवाब नहीं आये तो उसे नजर अंदाज कीजिये। कोरोना को लेकर जो खतरनाक वीडियो किसी देश, शहर का नाम बताकर आप तक पहुचते है तो उन्हें बिल्कुल ही शेयर मत की

ये हमारे छोटे - छोटे कदम ही कोरोना से बचाएंगे

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ये हमारे छोटे - छोटे कदम ही कोरोना से बचाएंगे फहीम खान ,नागपुर नागपुर में अबतक 4 कोरोना बाधित पाए गए है। शुक्र की बात ये है कि इसके बाद से ही कोई नया मामला सामने नहीं आया है। पिछले दो दिनों से नागपुर कोरोना के संक्रमण को रोकने की कवायद के तहत कोशिश कर रहा है। पहले शहर में प्रशासन ने बार , होटल, शिक्षा संस्थान आदि को बंद करने का निर्णय लिया इसके बाद राज्य सरकार ने मुम्बई ,पुणे, पिंपरी चिंचवड़ के साथ नागपुर महानगर में लॉकडाउन का फैसला लिया। शनिवार को जिस तरीके से इस शहर में सड़के सूनी पड़ी और चौराहो पर सन्नाटा पसरा नजर आया, इसी ने साबित कर दिया कि नागपुर वाले कोरोना को एकजुट होकर अपने छोटे छोटे प्रयासों से परास्त करने की ओर बढ़ रहे है। दोस्तों अब हमें कोरोना को लेकर और ज्यादा जागरूक और संवेदनशील भी होने की आवश्यकता है। हम अब भी अगर सोशल मीडिया में वायरल हो रहे फर्जी मैसेज पर विश्वास कर रहे है तो फिर हमारी कोरोना को हराने की ये कोशिशो पर पानी फिर जाएगा। ये जो कोरोना है ना वो हमारे आपसी रिश्तों को भी टटोल रहा है। हमें शरीर से दूरी बनानी है ताकि इसका फैलाव रोका जा सके। न की दिलों की
हम बड़े तुर्रम खान बनते थे, कुदरत ने हमारी औकात बता दी है... ये बात लाख टका सही है कि हम इंसानो को अपनी औकात भूलने की बीमारी है लेकिन कुदरत के पास उसे याद दिलाने की अचूक दवा होती है। कोरोना वायरस का ख़ौफ़ पहला ख़ौफ़ नही है ,इससे पहले भी कुदरत ने हमें ऐसे ही कई मर्तबा हमारी औकात बताई है। ये बात अलग है कि हम इंसानों का घमंड कम नहीं हो रहा। हमने तो स्वयं को इस सृष्टि का सर्व शक्तिमान मान लिया है। ऐसा मानने के चलते इस कुदरत के अन्य जीवों के प्रति हम उदार नहीं रहे। हमारे रहने की , अधिवास की जगह हमें कम लगने लगी तो हमने अपने पैर पसारना शुरू कर दिया। हमारे लिये तो हमारा वजूद ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हो गया है। फिर क्या था हमने जंगल काटे ,विशालकाय पेड़ो को धराशायी किया। केवल इसलिए कि हम ये मान बैठे है कि हमसे सर्व शक्तिमान यहां कोई नहीं है। जिन घने जंगलों में वन्यजीव रहते थे उनके अधिवास की जगह पर हमने अवैध रूप से कब्जा कर लिया, बावजूद इसके हमें इसमे कुछ भी गलत नहीं लगता। अरे भाई लगे भी क्यों? आखिर "फिटेस्ट विल सर्वाइव" का नियम भी तो हमने ही बना रखा है। जब हमने जंगल निगल लिए तो हमारी नजर

प्रिय कोरोना, थैंक यू वेरी मच

प्रिय कोरोना, थैंक यू वेरी मच वैसे तो इनदिनों सभी तुम्हारे नाम से कांपने लगे है। मैं झूठ क्यों बोलू, मुझे भी तुमसे डर तो लगा ही था। मगर आज पता नही क्यो लेकिन मन किया कि तुम्हे थैंक यू कहु। हम नागपुर शहरवासियो को ये शिकायत रहती थी कि इतनी कोशिशों के बाद भी कुछ लोग शहर के सार्वजनिक स्थान ,सड़को पर मुंह से पिचकारी मारकर गंदा कर दिया करते थे। कई बार तो हम साफ सुथरे कपड़ो में बाहर निकलते और कोई करीब से गाड़ी से जा रहा शख्स हम पर मुंह से पिचकारी मार देता। यही नहीं आलीशान कार का दरवाजा खुलता और ड्राइवर बगल में थूंक देता। ये इतना गंदा लगता था। लेकिन किसी की हिम्मत नहीं हुई इस ओर रोक लगाने की। यहां तक कि मनपा ने भी मना तो किया लेकिन वो भी इसपर रोक लगाने में नाकाम ही रही। लेकिन तुम्हे मानना ही पड़ेगा, ये तुम्हारी ही दहशत थी की आज नागपुर के कलेक्टर साहब ने शहर के पान ठेलो पर ही पाबंदी लगा दी। आदेश बुधवार की शाम से ही लागू होने से कल नागपुर की सूरत देखने लायक होगी। सार्वजनिक स्थान गंदे नहीं होंगे अब। कोरोना तुम नहीं आते तो हमें गंदगी से मुक्ति नहीं मिलती। वन्स अगेन थैंक्यू -फहीम खान, नागपुर
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कोरोना : सोशल मीडिया को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी कोरोना वायरस को लेकर इनदिनों सभी चिंता में है। सरकार और प्रशासन अलर्ट है। हमारे काबिल डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मी अपनी जान पर खेलकर इससे लड़ रहे है। सभी की कोशिश ये है कि संक्रमण को रोका जाए। बाधित को पूरी तरह स्वस्थ किया जाए। लेकिन उनके और प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती सोशल मीडिया द्वारा फैलाई जा रही अफवाह बन गयी है। सोशल मीडिया के कुछ अनसोशल लोग इस संक्रामक बीमारी को हराने की मुहिम में अपनी जिम्मेदारी को समझना नहीं चाह रहे है। यही कारण है कि अफवाहों का बाजार गर्म है। इससे निपटने में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन का कीमती समय जाया जाने लगा है। आप इस बात पर गौर कीजिए कि नागपुर में अबतक 4 कोरोना बाधित मिल चुके है। वही संदिग्धों की संख्या भी करीबन 30 के ऊपर जा चुकी है। ऐसे में जिले के कलेक्टर का रोल क्या होना चाहिये? यही कि वे प्रबंधन पर पूरा फोकस करें लेकिन सोशल मीडिया में एक पोस्ट ये वायरल की जाती है कि नागपुर के कलेक्टर को भी कोरोना हो गया है। कलेक्टर सारे काम छोड़कर और अपना कीमती समय इस पर सफाई देने में गंवाते है। इससे हम ने क्या

इंतजार कीजिए, बीएस फोर पर अच्छे आॅफर आएंगे

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- गाड़ियों के पंजीयन बढ़ने की उम्मीद में छुट्टी के दिन भी काम करेगा आरटीओ विभाग फहीम खान, नागपुर अगर आप कार या कोई टू व्हीलर वाहन खरीदने की सोच रहे हैं तो मार्च 2017की तरह ही आपको आॅटो कंपनियों की ओर से अपना स्टॉक क्लियर करने के लिए अच्छा आॅफर दिया जा सकता है. हां, अभी आपको और कुछ दिनों का इंतजार जरूर करना पड़ सकता है. वैसे भी 31 मार्च 2020 तक सभी आॅटो कंपनियों को अपना स्टॉक खत्म करना ही है. ऐसे में उनके लिए अच्छे आॅफर लेकर ग्राहकों के सामने आना जरूरी हो गया है. वरना ग्राहक बीएस फोर की बजाय सीधे बीएस सिक्स वाहनों में डील कर सकते है. इससे सीधा नुकसान कंपनियों को ही उठाना पड़ेगा. अभी कंपनियों द्वारा जो आॅफर दिए जा रहे है उससे वाहनों की बिक्री पर कुछ असर दिखाई भी देने लगा है. वाहनों के पंजीयन बड़ने की वजह से आरटीओ विभाग ने भी छुट्टी के दिनों में काम करने का फैसला कर लिया है. अभी ग्राहकों को बीएस फोर को लेकर आॅटो कंपनियों की ओर से औने - पौने दाम पर वाहन बेचने के कोई खास आॅफर नहीं दिए जा रहे है लेकिन आरटीओ विभाग के अधिकारियों को यकीन है कि कंपनियां जल्द ही अच्छे आॅफर लेकर आगे आएंगी. इसीलि

लेडी डॉक्टर का बेस्ट डेस्टिनेशन इंडियन आर्मी

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फहीम खान, नागपुर अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान नागपुर (एम्स) की डायरेक्टर मेजर जनरल डॉ. विभा दत्ता का कहना है कि आर्मी में बिताया उनका समय बहुत कीमती था. उन्हें वहां बहुत कुछ सीखने को मिला. वह कहती हैं कि हर वो लेडी जो डॉक्टर है, उसे भारतीय फौज में चले जाना चाहिए. आप अगर यूनिफॉर्म में है तो आपके प्रति लोगों की नजर में अलग ही सम्मान होता है. यूनिफॉर्म ऐसा एकमात्र फैशन है जिसे सिर्फ एक फौजी महिला ही पहन सकती है और इसे पहन कर व सिर्फ गर्व महसूस होता है बल्कि आपमें नई ऊर्जा का संचार भी होने लगता है. कौन है विभा दत्ता? डॉ. विभा दत्ता ने दिल्ली के यूसीएमएस से अपना एमबीबीएस किया है. पैथॉलॉजी में उन्होंने अपना पोस्ट ग्रैजुएशन पुणे के एएफएमसी से किया. दिल्ली एम्स से उन्होंने अपनी पीएचडी की उपाधि हासिल की है. उन्होंने यूनाइटेड किंगडम से भारतीय सेना द्वारा भेजे जाने पर लीवर ट्रांसप्लांट पैथालॉजी में ट्रेनिंग भी की है. वह आर्मी हॉस्पिटल और मेडिकल कॉलेज में पैथालॉजी की प्रोफेसर रह चुकी हैं. पुणे विश्वविद्यालय के पीएचडी के विद्यार्थियों की वह गाईड के तौर पर भी काम करती हैं. कई इंटरनेशनल

चला मुरारी हीरो बनने

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कितना स्मा र्ट है नागपुर नागपुर सिटी स्मार्ट सिटी में न सिर्फ शुमार है बल्कि इसे अब पोर्ट ब्लेयर को स्मार्ट बनाने का जिम्मा भी सौपा गया है। यानी नागपुर के अधिकारी अब पोर्ट ब्लेयर के प्रशासन को बताएंगे कि स्मार्ट कैसे बनते है। अब साहब सवाल ये उठता है कि क्या वाकई में नागपुर इतना स्मार्ट हो गया है कि वो इसपर किसी को गाइड करने लायक हो गया है? जवाब नागपुर के लोगो से पूछेंगे तो शायद ना ही मिलेगा। इसकी वजह भी है जनाब। पहला ही प्रयोग विफल नागपुर को महाराष्ट्र राज्य में स्मार्ट कियोस्क मशीन लगाने के लिए चुना गया है। राज्य के पहला शहर होगा जहां ऐसी स्मार्ट मशीने लगाई जा रही है। अगर यहां ये प्रयोग सफल रहा तो राज्य के अन्य महानगरो में भी ऐसी स्मार्ट कियोस्क मशीन लगाई जाएगी। लेकिन हुआ क्या? इसमे भी नागपुर फेल हो गया। सरकारी विभागों में 25 और सिटी के कुछ बस स्टॉप पर 41 ऐसी 65 स्मार्ट कियोस्क मशीन इस शहर में लगाई गई लेकिन ये मशीन किसी के काम नही आ रही है। सारी मशीन इन दिनों नागपुर वासियो के लिए सफेद हाथी बनी हुई है। स्लो सर्वर से परेशान शहर में 65 स्मार्ट कियोस्क मशीन लगाई गई

अंबाझरी बायो डायवर्सिटी पार्क : शहर के बीच जंगल का मजा

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अंबाझरी बायो डायवर्सिटी पार्क इन दिनों शहर के लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. इस पार्क की खासियत यही है कि शहर के बीचों बीच होकर भी आपको इसके भीतर एंट्री लेते ही ये अहसास होने लग जाता है कि आप शहर से दूर किसी जंगल में है. शहर के इतने करीब होकर भी अपनी प्राकृतिक सुंदरता को बचाए रखने में ये पार्क वाकई कामयाब हुआ है. इस पार्क में करीबन 161 प्रजातियों के पक्षी पाए जाते है. साइकिलिंग का मजा इस पार्क की सबसे बड़ी खासियत ये है कि यहां पर आप साइकिलिंग का मजा ले सकते है. पार्क में पहुंचते ही गेट के पास आपको एंट्री करनी है. हर एडल्ट को 20 रुपए फीस देनी है. कार, बाईक के लिए पर्याप्त पार्र्किंग भीतर मौजूद है. गेट के ही पास आपको 50 रुपए देकर वनविभाग की ओर से साइकिल मुहय्या करा दी जाती है. पार्क में 15 किमी की साइकिलिंग की व्यवस्था की गई है. साईकिलिंग के साथ ही आपके लिए यहां पर 2 ई रिक्शा भी मौजूद है. और क्या है खास? इस पार्क की एक खासियत ये भी है कि यहां पर्यटकों के लिए 7 सीमेंट के और 10 स्टील के वाच टॉवर की व्यवस्था की गई है. इन वाच टॉवर से आप दूर तक बायो डायव

गुमराह करना बेहद आसान है...

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पिछले कुछ महीनों से सेना भर्ती के नाम पर युवाओं को गुमराह करने का लगातार प्रयास किया जा रहा है. केवल नागपुर ही नहीं बल्कि देश भर में सोशल मीडिया के जरिए इस तरह की कोशिश हो रही है. सेना भर्ती के नाम पर जो मैसेज वायरल हो रहे है उसे पढ़कर जरूरतमंद, बेरोजगार युवक भर्ती मुख्यालय का रूख करने लगे है. नागपुर में ही अबतक ऐसा कई बार हो चुका है कि फर्जी मैसेज पढ़कर युवाओं की भीड़ भर्ती के लिए उमड़ पड़ी. कौन है ये लोग, जिन्हें फर्जी मैसेज वायरल करने में मजा आता है? साथ ही ये सवाल भी कि आखिर इस सोशल मीडिया की फर्जीवाड़े से भरी दुनिया में युवा क्यों मैसेज के असली -नकली होने की पुष्टि नहीं करा पा रहे है? आज हम सभी ये जानते है कि सोशल मीडिया में अनसोशल एलिमेंटस जरूरत से ज्यादा संख्या में बढ़ते जा रहे है. इन लोगों को फर्जी मैसेज, फर्जी खबरे वायरल करने में बहुत मजा आता है. अपने निजी मजे के चक्कर में ये लोग सोशल मीडिया में कोई भी फर्जी मैसेज वायरल कर देते है और फिर लोगों को इससे परेशान होते, लोगों को एक -दूसरे से लड़ते -झगड़ते देखकर मजा लेते है. लेकिन इस किनारे पर खड़ा रहकर मजा लेने की मानसिकता को हमें भी तो स

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन...

हमारे बचपन के दिनों की बात है. उस समय सिर्फ दूरदर्शन ही हमारे मनोरंजन का साधन हुआ करता था. उस समय प्रस्तुत किए जाने वाले ज्यादातर कार्यक्रमों के माध्यम से जनजागरण कराने की कोशिश होती थी. गौरतलब बात यह भी थी कि उस समय आने वाले विज्ञापन तक हमें कोई न कोई मैसेज दे जाते थे. एक ऐसा ही विज्ञापन मेरे जेहन में घर कर गया. अलग -अलग दृश्यों में इंसान की इंसानियत को भूल जाने की आदत को दिखाकर एक मैसेज टीवी की स्क्रीन पर दिखाया जाता था कि ‘शैतान बनना आसान है, लेकिन क्या इंसान बने रहना इतना मुश्किल है?’. वाकई में दूरदर्शन के इस मैसेज ने मेरी और शायद मेरे जैसे हजारों -लाखों दर्शकों के दिलों -दिमाग पर गहरा असर किया. मेरे स्कूल के दिनों में मैंने अपने शिक्षकों से यही सीखा कि गोली किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकती. हमारे शिक्षक तो अक्सर विश्व का नक्शा फाडने और उसे जोड़ने की कहानी सुनाया करते थे. हमें अंत में ये मैसेज देते कि विश्व के फटे हुए नक्शे को एक शिष्य ने तुरंत जोड़ दिया. जब उसे पूछा गया तो उसने बताया कि उसने तो नक्शे के पीछे जो इंसान का चित्र था उसे जोड़ा था. हमें ये मैसेज दिया जाता रहा कि इंस

फ्लाईओवर के उद्घाटन की इतनी जल्दबाजी क्यों

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फ्लाईओवर के उद्घाटन की इतनी जल्दबाजी क्यों नागपुर महाराष्ट्र की उपराजधानी का शहर है। यहाँ पर वैसे तो अक्सर किसी न किसी मामले की जल्दबाजी दिखाई दे जाती है। शहर के वाहन चालकों को इतनी जल्दबाजी है कि सिग्नल का वेट करना किसी को जरूरी नही लगता। ऐसी ही जल्दबाजी हाल के दिनों में सदर के नए फ्लाईओवर को शुरू करने को लेकर नजर आई। अब देखिए ये फ्लाईओवर इस इलाके के हजारों लोगों के लिए महत्वपूर्ण है, इसे हम क्या कोई भी नकार नहीं सकता। लेकिन महत्वपूर्ण है इसलिए इसे लेकर ऐसी राजनीति हुई कि इससे आम लोग परेशान हुए। 10 जनवरी को इस फ्लाईओवर का उद्घाटन केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के हाथों किया गया। इस समय राज्य विधानसभा में नेता विपक्ष देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद थे। माना ये जा रहा था कि जैसे ही लोकार्पण का कार्यक्रम सम्पन्न होगा लोग अपने वाहन इस फ्लाईओवर पर से सरपट दौड़ाने लगेंगे। लेकिन साहब ऐसा कुछ हुआ नहीं। बल्कि अगले दिन भी मानकापुर की और जाने वाले लोगो को सुरक्षा रक्षको ने रोका और बताया कि अभी ये मार्ग बंद है। ऐसे में सैकड़ो लोगो को उल्टे पांव लौटना पड़ा। अब सवाल ये उठ रहा है कि क्या लोकार्पण की इतनी जल्दब