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Showing posts from 2017

जीएसटी का असर रावण के कद पर!

दशहरा उत्सव की तैयारियों में जुटे कारीगरों को सता रही महंगाई की चिंता फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे शहर में दशहरा उत्सव के दौरान रावण दहन का कार्यक्रम केपी ग्राउंड में आयोजित किया जाता है. इस आयोजन को लेकर हाल में उपजे विवाद के बाद इस आयोजन को ग्रीन सिग्नल मिल तो गया है लेकिन अब रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई को लेकर असमंजस की स्थिति बनती दिख रही है. इसकी वजह है जीएसटी. जी हां, जीएसटी लागू हो जाने के बाद से वस्तुओं के दामों में आए उछाल का असर इस वर्ष रावण के कद पर होता दिख रहा है. शहर में आयोजित होने वाले रावण दहन समारोह के लिए रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों की ऊंचाई पर सभी की नजर रहती है. लेकिन इस बार इसमें कटौती किए जाने की आशंका दिख रही है. दरअसल बांस और सुतली पर जीएसटी लगने से इन्हें बनाने का खर्च बढ़ गया है. साथ ही मजदूरी, कारीगरों का मेहनताना आदि के भी चलते लागत बढ़ गई है. इसका असर इस साल पुतलों की ऊंचाई पर हो सकता है. बढ़ गई लागत तिलक चौक परिसर में पुतले बनाने का काम करने वाले अमर ने मेट्रो एक्सप्रेस को बताया कि 30 सितंबर को दशहरा होने से 27 स

अंबाझरी: बंद पड़ा फाउंटेन, खिलौने भी बन गए कबाड़

फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे महानगर पालिका प्रशासन ने 20 वर्ष पूर्व अंबाझरी गार्डन में पर्यटकों के मनोरंजन के लिए कुछ सुविधाएं उपलब्ध कराई थी. लेकिन इसके रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिए जाने के चलते आज ये सेवाएं पूरी तरह बंद हो चुकी है. उल्लेखनीय है कि जब इन सेवाओं का आरंभ किया गया था तब महापौर के पद पर खुद मौजूदा सीएम देवेंद्र फडणवीस थे. जिस सोच से अंबाझरी गार्डन में इन सेवाओं को शुरू किया गया था उन्होंने जल्द ही दम तोड़ दिया. आज इस गार्डन में आने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है और टिकट देकर ही एंट्री दी जाती है. ऐसे में अंबाझरी में बंद पड़ी इन सेवाओं को दुबारा शुरू कराने और इनके मेंटेनन्स को लेकर गंभीर होने की जरूरत महसूस हो रही है. कब रिपेयर होगा हैंगिंग पुल इस गार्डन में आने वाले ज्यादा तर पर्यटक समीप के तालाब के चलते यहां आना पसंद करते हैं. तालाब होने के ही चलते गार्डन परिसर में हैंडिंग पुल बनाया गया है. जो कोई इस गार्डन में घुमने आता है वो इस पुल पर से एक बार तो जरूर जाता ही है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में इस पुल के मेंटेनन्स की ओर भी ध्यान नहीं दिया जा सका है. जिस

शहर से बाहर जाने वालों से कह रहे वेलकम

फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे पिछले कुछ समय से शहर के विभिन्न प्रमुख चौराहों पर ‘स्मार्ट सिटी’ के तहत स्क्रीन लगाई जा रही है. ज्यादातर स्क्रीन लगाई जा चुकी है. कुछ जो रह गई है उसे भी जल्द ही लगा दिया जाएगा. लेकिन क्या आपने इन स्क्रीन को गौर से देखा है? मेट्रो एक्सप्रेस की टीम ने इन सभी स्क्रीन का मुआयना किया तो बड़ी ही दिलचस्प बात नजर आई. जिन स्क्रीन्स को शहर के एंट्री मार्गो पर लगाया गया है उन सभी स्क्रीन को गलत लेन पर लगा दिया गया है. जिसका नतीजा ये हो रहा है कि इन स्क्रीन पर दिखाए जा रहे मैसेजेस काम के साबित नहीं हो रहे है. शहर के बाहर जाने वाली लेन पर जो स्क्रीन लगी है उस पर ‘वेलकम’ का मैसेज दिखाया जा रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. शहर के प्रमुख चौराहों पर स्मार्ट सिटी योजना के तहत बड़ी -बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई जा रही है. चौराहों पर लगाई जा चुकी ज्यादातर स्क्रीन पर इन दिनों तरह -तरह के मैसेजेस दिखाए जा रहे है. इन्हीं में एक मैसेज ऐसा दिखाया जा रहा है जिसे लेकर स्मार्ट सिटी योजना के तहत इस योजना का क्रियान्वयन करने वाली एजेंसी के अधिकारियों की कार्यप्

लीड बैंक तक ने नहीं खुलवाए आधार केंद्र

बैंक खातों को आधार से लिंक करने सेंटर खुलवाने के दिए गए थे निर्देश फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे केंद्र सरकार आधार को सभी जरूरी सेवाओं से जोड़ने के प्रयास में जुटी हुई है. इसमें बैंक में अपने खाते को आधार से लिंक करना भी शामिल है. अभी तक सभी बैंक ग्राहकों के खाते आधार से लिंक नहीं हुए हैं. इसी वजह से भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) ने सभी बैंकों को आधार को बैंक खातों से लिंक करने के लिए ब्रांच में जरूरी इंतजाम करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ ने जब इसकी पड़ताल की तो इस चौकाने वाली बात का खुलासा हुआ कि अबतक लीड बैंक तक इस पर अमल नहीं कर पाई है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. यूआईडीएआई ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि वे 30 सितंबर तक अपनी 10 फीसदी शाखाओं पर आधार पंजीकरण केंद्र खुलवा दें. अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो 1 अक्टूबर से बैंकों को 20 हजार रुपए प्रति ब्रांच जुर्माना देना पड़ सकता है. इस मामले की पड़ताल करते हुए एमई ने जब जानकारी जुटाई तो यह चौकाने वाली बात पता चली कि अबतक किसी भी बैंक ने अपनी शाखाओं में ऐसी व्यवस्था ही नहीं की

"50 जुर्माने से बंद हो जाएगा थूंकना?

सार्वजनिक स्थानों पर थूंकने वालों पर कार्रवाई का प्रावधान ल्लकार्रवाई को लेकर अब भी नागरिकों को विश्वास नहीं फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे अंजलि शहर के ही एक कॉलेज में पढ़ती है. ट्युशन और कॉलेज के लिए उसे अपनी टू व्हीलर से ही शहर की सड़कों पर सफर करना पड़ता है. लेकिन पिछले कुछ दिनों से उसने अपनी टू व्हीलर की डिक्की में एक ड्रेस भी रखना शुरू कर दिया है. उसका कहना है कि शहर में जिस तरीके से लोग चलती गाड़ी पर से थूंक देते है उससे ये डर बना रहता है कि कही पहनी हुई ड्रेस गंदी न हो जाए. ऐसे में दूसरी ड्रेस साथ में लेकर चलना पड़ता है. वो परेशान है उन लोगों से जिनकी सड़क पर थूंकते रहने की आदत सी पड़ चुकी है. पेश है ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट. अंजलि एकमात्र शहरी नहीं है जिसे थूंकने वालों से समस्या हो रही है. ऐसे सैकड़ों लोग रोज शहर के किसी न किसी इलाके में थूंकने वालों से परेशान हो रहे हैं. शायद इन्हीं सब लोगों की समस्या को देखते हुए ही हाल में महानगर पालिका की स्टैंडिंग कमिटी ने सार्वजनिक स्थान, सड़कों पर थूंकने वालों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान कर दिया है. लेकिन शहरवासियों न

नियोजन के अभाव में बढ़ रही मुश्किलें

फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे शहर में जारी विकासकामों के चलते सबसे बुरा असर यातायात व्यवस्था पर हो रहा है. उल्लेखनीय है कि जहां कहीं भी काम किए जा रहे है, वहां पर  यातायात सुचारू रखने के लिए जरूरी प्रबंध और नियोजन नहीं किए जाने से ही व्यवस्थाएं चरमराती नजर आ रही हैं. एकसाथ दर्जनों विकासकाम शुरू हो जाने से शहर में हर एक शख्स को किसी न किसी इलाके से गुजरते समय इन समस्याओं से दो चार होना ही पड़ रहा है. बावजूद इसके लोग बिना शिकायत के विकासकामों को साथ दे रहे है. लेकिन नियोजन का अभाव नागरिकों को ज्यादा परेशान कर रहा है. पिछले कुछ दिनों से ऐसी ही समस्या सदर -सावनेर रोड पर हो रही है. यहां पर फ्लाइओवर का काम आरंभ किया गया है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. सदर (छावनी) से सावनेर की ओर जाने वाले मार्ग पर हाल के दिनों में नेशनल हाइवे अथॉरिटी आॅफ इंडिया की ओर से फ्लाइओवर का काम आरंभ किया गया है. फ्लाइओवर के पिलर बनाने का काम यहां शुरू किए जाने के साथ ही रोड को दो हिस्सों में विभाजित कर दिया गया है. इसके लिए जरूरी बैरिकेड्स भी लगाए जा रहे है. लेकिन इस मार्ग पर जब से काम आर

75% निर्माण बिना ओसी के

एनएमसी और एनआईटी जैसी एजेंसियां भी नहीं दिखा रही गंभीरता फहीम खान, 8483879505 ांँीीे.‘ँंल्ल@’ङ्म‘ें३.ूङ्मे हाईकोर्ट द्वारा बिजली महावितरण कंपनी को बिना आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (कब्जा प्रमाणपत्र) के बिजली के कनेक्शन नहीं देने का फैसला सुनाए जाने के बाद से ही शहर में ये मुद्दा चर्चा का विषय बन गया है. मेट्रो एक्सप्रेस ने इस मुद्दे की पड़ताल शुरू की तो चौकाने वाली बात उजागर हुई है. शहर और मेट्रो रिजन एरिया में 75 फीसदी से ज्यादा निर्माणकार्य बिना आॅक्यूपेंसी सर्टिफिकेट लिए ही फ्लैट ओनर्स को अलॉट कर दिए जाते है. उल्लेखनीय ये भी है कि अब तक एनएमसी और एनआईटी जैसी दोनों ही एजेंसियों ने इस मामले को लेकर कभी कोई गंभीर एक्शन नहीं लिया है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. हाल के दिनों में सीएम द्वारा एनआईटी के अधिकारों को कम कराकर उसे एनएमसी को सौंपे जाने के बाद से एनआईटी के पास मेट्रो रिजन क्षेत्र में 2472 लेआउट और शहर क्षेत्र के सभी हजारों की संख्या में लेआउट एनएमसी प्रशासन के जिम्मे आ गए है. इन दोनों ही एजेंसियों को अपने -अपने क्षेत्र में निर्माणकार्य के लिए मैप और प्रोजेक्ट सैंक्शन करने का

अंतत: चुनवा दी गई दीवार

अंतत: चुनवा दी गई दीवार - खंडहर बंगला बन गया था अपराधियों का अड्डा - मामला सिविल लाइन्स के बंगला नंबर 43 ए का फहीम खान, 8483879505 सिविल लाइन्स जैसे इलाके में खंडहर बन चुके सीपीडब्ल्यूडी के बंगलों का अपराधियों द्वारा अपनी अवैध गतिविधियां चलाने और अय्याशी के अड्डों के रूप में इस्तेमाल होने लगा था. इसकी पड़ताल करने के बाद ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ ने इन खंडहर बंगलों की खबर प्रकाशित की थी. इन्हीं में शामिल बंगला नंबर 43ए में अपराधी मेन गेट से एंट्री करते थे. एमई में छपी खबरों के बाद सीपीडब्ल्यूडी ने आखिरकार इस गेट को ही दीवार में चुनवा दिया है. --- सीपीडब्ल्यूडी द्वारा लापरवाही बरती जाने के चलते सिविल लाइन्स इलाके में कई बंगले अब खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. ये खंडहर सुरक्षा के अभाव में अपराधियों और असामाजिक तत्वों का अड्डा बनते जा रहे हैं. इस ओर संबंधित विभाग का ध्यान ही नहीं है. इन्हीं में शामिल था बंगला नंबर 43 ए. इस बंगले के रखरखाव की ओर ध्यान नहीं दिए जाने के ही चलते ये खंडहर में तब्दील हो चुका है. बात सिर्फ इसके खंडहर बन जाने की नहीं है बल्कि इस ओर विभाग का ध्यान नहीं होने के ही कारण ये

अपडेट क्यों नहीं है आरटीओ का रिकॉर्ड?

अपडेट क्यों नहीं है आरटीओ का रिकॉर्ड? - ओनर बदला, पर चालान पुराने के नाम पर - बिना हेल्मेट गाड़ी चलाने का मामला फहीम खान, 8483879505 प्रशांत नगर अजनी में रहने वाले सतीश अपने परिजनों के साथ बैठे थे, तभी डाकिए ने उनके हाथ में एक लेटर थमाया. लेटर पढ़ने के बाद सतीश सकते में आ गए. ये लेटर शहर ट्रैफिक विभाग की ओर से भेजा गया था. जिसके मुताबिक सतीश द्वारा बिना हेल्मेट गाड़ी चलाने के कारण उन्हें चालान भेजा गया था. सतीश हैरान इस बात से थे क्योंकि जो तस्वीर चालान के साथ प्रिंट की गई थी, वो उनकी नहीं थी. और जिस टू व्हीलर का जिक्र चालान में किया गया था वो भी वो पहले ही बेच चुके थे. बावजूद इसके, चालान उनके नाम से आने के कारण वे परेशान हो उठे. इस मामले में उन्होंने विभाग के अधिकारियों को भी समझाने की कोशिश की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर में बिना हेल्मेट पहने टू-व्हीलर और बिना सीट बेल्ट पहनकर फोर-व्हीलर चलाने वालों के खिलाफ शहर ट्रैफिक शाखा की ओर से कार्रवाई की मुहिम चलाई जा रही है. शहर के ज्यादातर चौराहों और मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक जवान यातयात नियमो

सरकारी आवासों में ‘बिन बुलाए मेहमान’

सरकारी आवासों में ‘बिन बुलाए मेहमान’ - मेंटल हॉस्पिटल की कॉलोनी का मामला - बदहाल खाली आवासों में अवैध कब्जा फहीम खान, 8483879505 14 साल पहले कर्मचारियों के जिन परिवारों को ये कहकर सरकारी आवास छोड़ने को कहा गया था कि अब इस कॉलोनी के पुराने मकानों को गिराकर नई इमारत बनाई जाएगी. वो परिवार तो यहां से इसी उम्मीद में चले गए लेकिन अब भी न तो पुराने आवास गिराए जा सके हैं और न ही नई इमारत बनने की दिशा में कोई फाइल आगे ही बढ़ सकी है. मामला शहर के पागलखाने में कार्यरत कर्मियों की कॉलोनी की है. जो आज वीरान पड़ी है. केवल एक घर में एक फैमिली रह रही है, उसे भी कई बार आवास छोड़ने के लिए कहा जा चुका है. शेष बदहाल आवासों में बिन बुलाए मेहमान रहने लगे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद के तहत सरकारी इमारतों, कॉलोनियों की भी सूरत को बदलने की कोशिश की जा रही है. लेकिन 14 साल पहले मेंटल हॉस्पिटल की जिस कॉलोनी में स्थित सरकारी आवासों को गिराकर नई कॉलोनी, नई बिल्डिंग बनाने का फैसला लिया गया था, वो आज तक जमीनी हकीकत नहीं बन सका है. बावजूद इसके संबंधित विभाग की ओर से इ

आराम फरमा रहे हैं मेट्रो कर्मी!

आराम फरमा रहे हैं मेट्रो कर्मी! - ट्रैफिक कंट्रोल किसके जिम्मे? - कहां गया को-आॅर्डिनेशन? फहीम खान, 8483879505 शहर में जारी नागपुर मेट्रो के निर्माण स्थलों के करीबी चौराहों पर यातायात जाम को लेकर पेश आ रही समस्याओं को दूर करने के लिए मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन ने कुछ कर्मियों को नियुक्त किया है. लेकिन शुरुआती दिनों में जो कर्मी यातायात विभाग के जवानों के कंधों से कंधा मिलाकर काम करते नजर आ रहे थे, अब वो ही पेड़ की छांव में आराम फरमाते देखे जा सकते हैं. इन कर्मियों के चलते फिर से चौराहों पर ट्रैफिक जाम और सिग्नल तोड़ने जैसी घटनाओं में इजाफा होने लगा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ------------ शहर में इन दिनों एकसाथ कई इलाकों में नागपुर मेट्रो रेल का काम जारी है. इसके लिए कई जगहों पर रोड के बीचों बीच ही बैरिडेट्स लगाने पड़ रहे हैं. कई स्थान ऐसे हैं, जहां चौराहों पर ये काम जारी होने के चलते यातायात बाधित होने लगा है. बार -बार पेश आ रही इस समस्या को देखते हुए नागपुर मेट्रो कॉर्पोरेशन की ओर से हाल में कुछ कर्मियों को इन चौराहों के लिए नियुक्त किया गया था. लेकिन पिछले कुछ दिनों से इन कर्म

डबल हो गया टाइम, काम फिर भी अधूरा

डबल हो गया टाइम, काम फिर भी अधूरा - लड़कियों के होस्टल का मामला फहीम खान, 8483879505 ‘स्मार्ट’ शहर में हर चीज स्मार्ट बनाने की कोशिशों में विभिन्न डेवलपमेंट एजेंसियों को जुटा हुआ देखा जा सकता है. लेकिन एजेंसियों के अधिकारियों द्वारा कुछ जगहों पर जरा अपनी सोच और काम की रफ्तार पर भी विचार करने की जरूरत महसूस की जा रही है. मामला शहर में बनाए जा रहे 200 लड़कियों के होस्टल से जुड़ा है. जिसे बन तो 15 महीने में जाना था लेकिन 30 महीनों के बाद भी इसके काम में तेजी नजर नहीं आ रही है. अबतक यह निर्माण अधूरा पड़ा है. ------ स्वर्गीय वसंतराव नाईक जन्म शताब्दि योजना के तहत शहर में 200 लड़कियों के लिए नए होस्टल का निर्माण शुरू किया गया था. पुराने मॉरिस कॉलेज परिसर में बनाए जा रहे इस होस्टल की बिल्डिंग की लागत करीबन 5 करोड़ 28 लाख 56 हजार 702 रुपए है. उम्मीद की जा रही थी कि इस होस्टल बिल्डिंग का निर्माणकार्य 5 दिसंबर 2015 तक पूरा कर लिया जाएगा. उल्लेखनीय है कि इस निर्माणकार्य की जिम्मेदारी संभाल रही कंस्ट्रक्शन कंपनी की ओर से भी यह दावा किया जाता रहा है कि वह इस निर्माण को तय समय सीमा में पूरा कर देगी. हाल

कब तक संजो रखेंगे ये कबाड़?

कब तक संजो रखेंगे ये कबाड़? - डिविजनल कमिश्नरेट का मामला फहीम खान, 8483879505 लगता है राज्य सरकार तो इस शहर को स्मार्ट सिटी बनाने के लिए हर कोशिश में जुटी है लेकिन उसके अधिकारियों को ये मुहिम रास नहीं आ रही है. तभी तो शहर में स्थित विभिन्न सरकारी कार्यालयों की इमारतों में अब भी कबाड़ संजोया हुआ नजर आ रहा है. हाल के दिनों में ‘स्वच्छ भारत’ मुहिम चलाई गई है. राज्य सरकार ने भी अपने कार्यालयों को साफ -सुथरे करने के लिए कई योजनाएं बनाई है. लेकिन इसके बाद भी शहर में स्थित ज्यादातर सरकारी कार्यालयों को दिए गए वाहन पुराने हो जाने के बाद भी इस कबाड़ को सहेज कर रखा जा रहा है. इस बार बात उस कार्यालय की हो रही है, जहां से पूर्व विदर्भ के छह जिलों का काम देखा जाता है. जी हां, 4मामला विभागीय आयुक्त कार्यालय परिसर का है. ----- शहर के सिविल लाइन्स में स्थित विभागीय आयुक्त कार्यालय की बिल्डिंग में राज्य सरकार के दर्जनों कार्यालय चल रहे हैं. चूंकि यहां से विदर्भ के छह जिलों का कामकाज चलता है इसलिए हाल के दिनों में यहां की सफाई को लेकर विशेष मुहिम भी चल चुकी है. इसके बाद भी न सिर्फ बिल्डिंग में पुराने फर

बार -बार के जाम ने बढ़ाई मुश्किल

बार -बार के जाम ने बढ़ाई मुश्किल - मामला कामठी रोड का ---- फहीम खान इन दिनों शहर के ज्यादातर इलाकों में जोर-शोर के साथ विकासकार्यों को अंजाम दिया जा रहा है. इनमें चौराहों का सौंदर्यीकरण, पुल और सड़क निर्माण भी शामिल है. दर्जनों इलाकों में तो धड़ल्ले से सीमेंट रोड बनाई जा रही हैं. लेकिन इस सबके बीच शहर में सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाली रोड की ओर किसी का ध्यान नहीं है. प्रशासन का यह रवैया स्थानीय नागरिकों को काफी अखर रहा है. हम बात कर रहे हैं. कामठी की ओर जाने वाली रोड की. यहां दिन भर वाहनों की इतनी भीड़ लगी रहती है कि हर पल जाम का सामना करना पड़ता है. इसी में रोड के बीचों-बीच स्थित संकरे पुल परेशानी को और बढ़ा रहे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर से कामठी की ओर जाने वाली रोड की बदहाली से ज्यादातर शहरवासी भलीभांति परिचित हैं. हालांकि प्रशासन को भी इस रोड की दशा की पूरी जानकारी है. फिर भी अबतक इसे ठीक करने के लिए कोई प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन इस रोड पर पिछले कुछ समय से तेजी से वाहनों की आवाजाही बढ़ती दिख रही है. यही कारण है कि अब इस मार्ग पर दिन भर ट्रैफिक जाम लगने लगा है

रेलवे की पार्किंग में सिक्योरिटी से खिलवाड़

रेलवे की पार्किंग में सिक्योरिटी से खिलवाड़ - बिना जांच ही वाहनों की हो रही है एंट्री फहीम खान, 8483879505 हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की पूर्व संध्या से ही रेलवे स्टेशन और चुनिंदा सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी जाती है. पर आम दिनों में इतने संवेदनशील स्थानों पर सिक्योरिटी के साथ खुलेआम खिलवाड़ चलता रहता है. ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ ने नागपुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग में पहुंचकर यहां पर सिक्योरिटी के साथ चल रहे मजाक को देखा. दिखावे के लिए सरकारी खर्च से यहां पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. लेकिन पार्किंग में चंद रुपयों के लिए वाहनों की बिना चेकिंग ही एंट्री सुरक्षा के लिहाज से बड़ी चूक मानी जा सकती है. हालांकि पार्किंग ठेकेदार के कर्मचारी ये दावा करते नहीं थकते कि वो हर गाड़ी पर नजर रखते हैं. लेकिन सच्चाई कुछ अलग ही नजर आती है. ---- एमई टीम ने जब रेल्वे स्टेशन की पार्किंग में गाड़ी रखने के लिए कॉटन मार्केट वाले रोड से मेन गेट में प्रवेश किया तो वहां पर कोई न तो वाहन को जांचने वाला मिला और न ही कोई यह पूछने वाला कि यहां पर गाड़ी पार्क करने के बाद कहां जाने वाले हैं. यहां पार्कि
फाइल अटकी, कैसे स्मार्ट बने हॉस्पिटल? - मामला कामठी रोड स्थित डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अस्पताल का फहीम खान, 8483879505 नागरिकों को बेहतरीन पब्लिक ट्रांसपोर्ट देने के लिए स्मार्ट बसेस शहर में लाई जा चुकी है. पुलिस को स्मार्ट बनाने की दिशा में साइबर सेल की लैब को स्मार्ट बनाया जा रहा है. स्मार्ट बस स्टॉप बनाए जा रहे हैं. लेकिन यह स्मार्टनेस अस्पतालों में कब आएगी, यह सवाल अब उठने लगा है. घोषणाएं तो तमाम हुई हैं लेकिन अबतक इस अस्पताल की न तो नई बिल्डिंग का निर्माण आरंभ हुआ है और न ही यहां पर अत्याधुनिक सुविधाएं प्रदान करने की ही शुरुआत ही हो सकी है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. -------- महाराष्ट्र सरकार द्वारा संचालित ‘डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अस्पताल तथा अनुसंधान केंद्र’ कामठी रोड पर स्थित है. अस्पताल की खासियत यह है कि यहां ओपीडी का समय बेहद कम होने के बावजूद यहां इलाज के लिए आने वाले मरीजों की संख्या काफी ज्यादा है. ओपीडी में आने वाले मरीजों का आंकड़ा हर महीने दो से तीन हजार तक पहुंच चुका है. इसके बावजूद इस अस्पताल को आधुनिक सुविधाओं से लैस करने के प्रस्ताव पर अबतक अमल नहीं हो सका है.

युनिवर्सिटी खामोश पार्किंग वसूली चालू

युनिवर्सिटी खामोश पार्किंग वसूली चालू - युनिवर्सिटी प्रशासन को कम्प्लेंट्स का इंतजार - छात्र कहते हैं, जिम्मेदारी टालने की है कोशिश फहीम खान, 8483879505 शहर के कॉलेज और एग्जाम सेंटर्स पर स्टुडेंट्स से जबरन पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है, लेकिन नागपुर युनिवर्सिटी प्रशासन और खुद कुलगुरू न सिर्फ खामोश हैं बल्कि कोई एक्शन न लेकर इसे अप्रत्यक्ष रूप से सहयोग देते दिख रहे हैं. ‘एमई’ ने कॉलेज के नाम और शिकायतों के साथ इस मामले को उठाया था.  जिसके बाद युनिवर्सिटी प्रशासन ने नए सिरे से जारी एग्जाम आईकार्ड पर पार्किंग शुल्क नहीं देने की सूचना लिख दी. लेकिन ऐसे कॉलेजों पर एक्शन लेने का प्रशासन का कोई मूड नहीं दिखता. पेश है रिपोर्ट. ---- शहर के ज्यादातर कॉलेज में पिछले दो वर्षों से खुलेआम ‘पे एंड पार्क’ जारी है. विद्यार्थियों से जबरन पार्किंग शुल्क वसूला जा रहा है. इस मामले को ‘एमई’ ने न सिर्फ उठाया बल्कि इसका लगातार फॉलोअप भी जारी रखा. इसी बीच युनिवर्सिटी प्रशासन ने एक सर्कुलर जारी कर कॉलेजों को पार्किंग शुल्क नहीं लेने की सूचना जारी की थी. पर इसके बाद भी ये जबरन वसूली जारी रही. हाल में एमई ने

क्लीन सिटी : दावों की खुल गई पोल

क्लीन सिटी : दावों की खुल गई पोल - 137वें स्थान पर आने के बाद हो रही आलोचना फहीम खान, 8483879505 क्या आपने कभी कल्पना भी की थी कि जिस शहर का नारा ही ‘क्लीन सिटी, ग्रीन सिटी’ रहा है, देश में हुए स्वच्छता सर्वेक्षण में वह 137वें स्थान पर आएगा? यह नतीजा प्रशासन के हवाहवाई दावों के बिल्कुल विपरीत है. और इसका जिम्मेदार भी शहर प्रशासन ही है, जिसके ढुलमुल रवैये के चलते इस सर्वेक्षण के नतीजों ने हर शहर वासी को शर्मिंदगी और खीझ से भर दिया है. वैसे ‘क्लीन सिटी’ का नारा तो पिछले काफी अरसे से दम तोड़ता दिखाई दे रहा है. दर्जनों रिहायशी इलाकों में गंदगी का अंबार लगातार चर्चा में हैं. फुटाला जैसा पॉपुलर पिकनिक स्पॉट तक बजबजाते हुए कचरे के चलते बदबू मार रहा है. और तो और दिया तले अंधेरा देखना है तो मनपा परिसर पर ही नजर डाल लीजिए जरा, जहां आपको मलबे का बड़ा ढेर नजर आ जाएगा. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- हाल में देश में स्वच्छता सर्वेक्षण कराया गया. जिसके नतीजे घोषित होने के बाद नागपुर महानगर पालिका प्रशासन के दावों की पोल खुल गई है. उल्लेखनीय है कि सर्वेक्षण के परिणामों का ऐलान करते हुए केंद्र

भीषण जलसंकट में काट रहे चांदी

भीषण जलसंकट में काट रहे चांदी - तिगुने दामों में मिल रहा टैंकर फहीम खान, 8483879505 भीषण गर्मी के कारण शहर में भी जलसंकट गहरा गया है. यही कारण है कि इस वर्ष पानी के टैंकर्स की मांग भी काफी बढ़ गई हैं. लेकिन ऐसे मौके का फायदा उठाने में भी कुछ लोग नहीं चुक रहे हंै. महानगर पालिका प्रशासन ने शहर क्षेत्र में रहने वाले नागरिकों के लिए टैंकर की क्षमता के अनुसार उसके रेट तय कर दिए हैं. बावजूद इसके लोगों की जरूरत और मांग को देखते हुए खुलेआम ज्यादा रेट पर टैंकर दिए जा रहे हैं. टैंकर से पानी पहुंचाने के नाम पर जारी यह गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है. लेकिन शिकायतों के बावजूद प्रशासन इस पर कोई एक्शन नहीं ले रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ----------- शहर में इस वर्ष भी भीषण जलसंकट के हालात है. विभिन्न रिहायशी कॉलोनियों और अपार्टमेंट्स में पानी की किल्लत महसूस की जा रही है. शहर के मेट्रो रीजन परिसर में बसी नई बस्तियों में तो जलसंकट के हालात बहुत की गंभीर हो गए हैं. ऐसे में सभी को टैंकर से पानी सप्लाई करने की जरूरत महसूस हो रही है. इसीका फायदा कुछ लोग उठाते नजर आ रहे हैं. महानगर पालिका और ओस

बार -बार के जाम ने बढ़ाई मुश्किल

बार -बार के जाम ने बढ़ाई मुश्किल - मामला कामठी रोड का फहीम खान इन दिनों शहर के ज्यादातर इलाकों में जोर-शोर के साथ विकासकार्यों को अंजाम दिया जा रहा है. इनमें चौराहों का सौंदर्यीकरण, पुल और सड़क निर्माण भी शामिल है. दर्जनों इलाकों में तो धड़ल्ले से सीमेंट रोड बनाई जा रही हैं. लेकिन इस सबके बीच शहर में सबसे ज्यादा ट्रैफिक वाली रोड की ओर किसी का ध्यान नहीं है. प्रशासन का यह रवैया स्थानीय नागरिकों को काफी अखर रहा है. हम बात कर रहे हैं. कामठी की ओर जाने वाली रोड की. यहां दिन भर वाहनों की इतनी भीड़ लगी रहती है कि हर पल जाम का सामना करना पड़ता है. इसी में रोड के बीचों-बीच स्थित संकरे पुल परेशानी को और बढ़ा रहे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर से कामठी की ओर जाने वाली रोड की बदहाली से ज्यादातर शहरवासी भलीभांति परिचित हैं. हालांकि प्रशासन को भी इस रोड की दशा की पूरी जानकारी है. फिर भी अबतक इसे ठीक करने के लिए कोई प्रयास होते नजर नहीं आ रहे हैं. लेकिन इस रोड पर पिछले कुछ समय से तेजी से वाहनों की आवाजाही बढ़ती दिख रही है. यही कारण है कि अब इस मार्ग पर दिन भर ट्रैफिक जाम लगने लगा है. स्

चिल्लर नहीं तो भरो ज्यादा किराया!

चिल्लर नहीं तो भरो ज्यादा किराया! -सिटी बसों में जारी है ‘लूट’ -पैसे वापस नहीं मिलते यात्रियों को फहीम खान, 8483879505 सिटी बस सेवा के माध्यम से शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने की कोशिश के तहत हाल ही में सिटी बसों के आॅपरेटर्स बदले गए हैं. लेकिन सिटी बस सेवा के ढर्रे में कोई खास तब्दीली नहीं दिखती. चिल्लर के नाम पर परिचालक आज भी पैसेंजर्स को लूट रहे हैं. उल्लेखनीय है कि ज्यादातर रूट्स के मौजूदा किराए ऐसे हैं जिसके लिए पैसेंजर्स को चिल्लर देनी ही पड़ती है. लेकिन इसका अभाव होने का पूरा फायदा परिचालक उठा रहे हैं. --- शहर बस सेवा का विस्तार करने के साथ ही हाल में पुराने आॅपरेटर के खिलाफ मिल रही तमाम शिकायतों को देखते हुए महानगर पालिका प्रशासन ने नए आॅपरेटर्स को मौका दिया है. ‘आपली बस’ के तहत शहर में इन दिनों नई, अपडेटेड सिटी बसेस चलाई जा रही हैं. लेकिन आॅपरेटर बदल दिए जाने के बाद भी पैसेंजर्स की शिकायतों में कोई कमी नहीं दिख रही है. असल में परिचालक टिकट के लिए यात्रियों से चिल्लर मांगते हैं, खुद कभी नहीं देते. होता यह है कि यात्रियों को मजबूरन किराए से ज्यादा रकम चुकानी पड़ जाती

इमारत बनाई, मरम्मत की और ताला डाल दिया?

इमारत बनाई, मरम्मत की और ताला डाल दिया? - कब होगा इंटरनेशनल होस्टल का उद्घाटन? - बिना इस्तेमाल पड़ी है एक करोड़ की इमारत फहीम खान, 8483879505 एक करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए इंटरनेशनल होस्टल की मरम्मत का काम पूरा होने के बाद भी अब तक युनिवर्सिटी को इसके उद्घाटन का ‘मुहूर्त’ मिलता नहीं दिख रहा है. उल्लेखनीय है कि निर्माण के ठेकेदार और युनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच जारी विवाद के चलते यह इमारत लंबे समय तक वीरान पड़ी थी. रखरखाव के अभाव में बिल्डिंग में टूट-फूट भी होने लगी थी. ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ द्वारा यह मामला उठाने के बाद युनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में इसके ठेकेदार को नोटिस थमा दिया. इसके बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ. काम खत्म होने के बाद बिल्डिंग की ग्रिलिंग की गई और फिर इसे ताला लगा दिया गया.  इस बात को भी 6 महीने से ज्यादा समय हो चुका है. लेकिन इसे छात्रों के लिए खुलवाने का मुहूर्त शायद युनिवर्सिटी प्रशासन  को नहीं मिल सका है. --- इंडियन काउंसिल आॅफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) की एक योजना के तहत एक करोड़ रुपए की लागत से महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरी साइंस युनिवर्सिटी (माफसू) के धरम

किश्तों में आ रही लेजर मशीन

किश्तों में आ रही लेजर मशीन - मामला मेडिकल कॉलेज का - प्रशासन में भी सीरियसनेस का अभाव फहीम खान, 8483879505 शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों की लागत वाली परियोजनाएं बनना तो स्वाभाविक ही है. लेकिन अफसोस तब होता है जब करोड़ों की लागत वाली ऐसी परियोजनाओं को लेकर प्रशासन ढीला-ढाला रवैया अपनाता है. बड़ा खर्च तो किया जाता है, पर उस खर्च का रिटर्न पाने के लिए आम जनता को लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस बार बात इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की हो रही है. यहां पर आंखों की गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक लेजर मशीन खरीदी तो गई है लेकिन अबतक इसका इंस्टालेशन ही नहीं हो सका है. जिसके चलते इसके कुछ हिस्से धूल खा रहे हैं. चौंकाने वाली बात तो यह है कि करोड़ों रुपए की यह मशीन किश्तों में यहां पहुंच रही है. पेश है रिपोर्ट. ---- नागपुर मेडिकल कॉलेज में आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए करीबन एक साल पहले चार करोड़ की लागत से एक लेजर मशीन खरीदी गई है. लेकिन ‘एमई’ को जानकारी मिली है कि मशीन को अलग-अलग हिस्सों में यहां पहुंचाया जा रहा है. किश्तों में इसके हिस्से यहां पहुंचाए जाने के चलते पिछले डे

सीआर वैन में रूल्स ताक पर!

सीआर वैन में रूल्स ताक पर! - ड्राइविंग के दौरान मोबाइल फोन पर बात - मामला पुलिस की पेट्रोलिंग वैन का फहीम खान, 8483879505 शहर पुलिस की ट्रैफिक शाखा की ओर से बिना हेलमेट पहने टू व्हीलर चलाने वाले और बिना सीट बेल्ट लगाए फोर व्हीलर चलाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाती है. शहर पुलिस की यह पहल ट्रैफिक नियम और सुरक्षा के मद्देनजर सराहनीय होने के चलते ज्यादातर लोग इसे पूर्ण सहयोग भी दे रहे हैं. लेकिन ‘चिराग तले अंधेरा’ वाली कहावत यहां पर भी चरितार्थ होती दिख रही है. तमाम कोशिशों के बावजूद शहर पुलिस के ही कई अधिकारी, कर्मचारी आज भी ट्रैफिक के इन नियमों की अनदेखी करते नजर आ रहे हैं. पेश है ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ की ये रिपोर्ट. ---- ‘एमई’ टीम ने इससे पूर्व भी शहर पुलिस के ज्यादातर अधिकारियों को ट्रैफिक नियमों की अनदेखी करते हुए रंगे हाथ कैमरे में कैद किया है. वर्दी पहने जवानों द्वारा इस तरह की हरकत किए जाने की प्रकाशित खबरों पर आला अधिकारियों ने जवानों पर कार्रवाई भी की है. लेकिन इसके बाद भी विभाग के कई अधिकारी-कर्मी अब भी नियमों की अनदेखी करना अपनी शान समझते नजर आ रहे हंै. ताजा मामला वीआईपी रोड

गार्डन को बना लिया मोटी कमाई का जरिया

गार्डन को बना लिया मोटी कमाई का जरिया -आम जगह पर हो रहीं कमर्शियल एक्टिविटीज - मामला नरेंद्र नगर के बोरकुटे लेआउट का - एनआईटी प्रशासन की अनदेखी का उठा रहे फायदा फहीम खान, 8483879505 हाल के दिनों में राज्य के मुख्यमंत्री ने नागपुर इम्प्रूवमेंट ट्रस्ट (एनआईटी) के अधिकारों को कम करने का निर्णय लिया था. इसके बाद से ही कई लोगों की सकारात्मक प्रतिक्रिया भी आने लगी थी. एनआईटी को इस शहर का विकास करने का जिम्मा सौंपा गया था लेकिन उसने अपनी इस जिम्मेदारी के प्रति गंभीरता नहीं दिखाई. वैसे तो एनआईटी के कई कारनामे उजागर होते रहते हैं. लेकिन अभी जो मामला सामने आया है, उसमें भी उसकी लापरवाही साफ दिखाई दे रही है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर और आस-पास के इलाकों में धड़ल्ले से प्लॉट और अपार्टमेंट बनाकर बेचे जा रहे हैं. एनआईटी को डेवलपमेंट एजेंसी का दर्जा दिए जाने के चलते उसी की अनुमति से इस तरह के प्रोजेक्ट्स सैंक्शन होते हैं. लेकिन इसके लिए जो नियम बनाए गए हैं, उसका कहीं पर भी पालन होता नहीं दिख रहा है. लेआउट डालते समय जो जमीन पब्लिक यूटिलिटी के लिए एनआईटी को दी जाती है, उसमें गार्डन

गलती किसी की जुर्माना किसी को

गलती किसी की जुर्माना किसी को - आरटीओ- ट्रैफिक विभाग के बीच नहीं बन रहा समन्वय फहीम खान, 8483879505 इन दिनों शहर क्षेत्र में सिटी पुलिस की ट्रैफिक शाखा की ओर से मुहिम चलाकर यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है. लेकिन ट्रैफिक विभाग और आरटीओ प्रशासन के बीच बार-बार समन्वय का अभाव दिखाई देने लगा है. जिसका खामियाजा बेकसूर लोगों को भुगतना पड़ रहा है. सारा काम आॅनलाइन हो जाने के बाद भी इन दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी के चलते निर्दोष चालक पिस रहे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- केस 1 उमरेड के रहने वाले सुरेश मेश्राम शहर में किसी काम से आए थे. 19 मई को वो गाड़ी नंबर एमएच 40, एसआर 6279 से जा रहे थे तभी उन्हें ट्रैफिक कर्मियों ने मारुति शोरूम के पास रोका. उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 237, 177, 130 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया. जो चालान बनाया गय, उसमें लिखा गया कि चालक ने अपनी गाड़ी स्टॉप लाइन के आगे रोकी थी, साथ ही गाड़ी के दस्तावेज उनके पास मौजूद नहीं थे. --- केस 2 एड. शोएब खान के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला हुआ है. योगेंद्र नगर निवासी खान ने अपनी गाड़ी (नंबर

कैब बुकिंग में भी लूट

कैब बुकिंग में भी लूट - मेट्रो रीजन में जारी है गोरखधंधा फहीम खान, 8483879505 तेजी से बढ़ते शहर में आॅटो वालों की मनमानी ने यात्रियों की परेशानी में इजाफा कर रखा था. इसी से छुटकारा पाने के लिए शहर के यात्रियों ने आॅनलाइन कैब का सहारा लेना शुरू कर दिया. शहर में तो इन सेवाओं के फायदे नजर आ रहे हैं लेकिन जिस मेट्रो रीजन को लेकर एनआईटी प्रशासन और सरकार ने बहुत दावे किए थे उसी परिसर में इन कैब के ड्राइवरों द्वारा खुलेआम यात्रियों को लूटा जाने लगा है. उनसे तय से ज्यादा भाड़ा वसूला जा रहा है. इसके लिए तरह -तरह के बहाने बताए जा रहे हैं. पेश है ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट. ---------- राज्य सरकार ने मेट्रो रीजन की घोषणा करने के बाद से ही इस इलाके में न सिर्फ जमीन के दाम बढ़ गए हैं बल्कि तेजी से बढ़ती बस्तियों के चलते यहां पर टैक्स की वसूली भी शहर की तर्ज पर होने लगी है. लेकिन एक ओर सुविधाओं का अभाव झेल रहे इस परिसर के नागरिकों को अब आॅनलाइन कैब वालों की लूट से भी परेशानी होने लगी है. इस परिसर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट की वैसी व्यवस्था नहीं होने का पूरा फायदा कैब ड्राइवर उठाने लगे हैं. ---- केस 1 मे

खत्म हो गए 11 लाख डस्टबिन?

खत्म हो गए 11 लाख डस्टबिन? - मनपा को फ्री में बांटनी थीं कचरापेटियां फहीम खान, 8483879505 5 जून से मनपा क्षेत्र में प्रशासन ने ‘स्वच्छ माझं नागपुर’ योजना शुरू की है. इसके तहत शहर में गीला और सूखा कचरा अलग -अलग इकट्ठा करने की पहल हुई है. उल्लेखनीय है कि हाल में स्मार्ट सिटी के तहत क्लीन सिटी का ताज खो देने के बाद मनपा प्रशासन ने इस योजना को बेहद गंभीरता से लिया था. इसके तहत महानगर पालिका प्रशासन की ओर से गीले कचरे के लिए हरे और सूखे के लिए नीले रंग के डस्टबिन फ्री में देने की योजना थी. लेकिन अब नागरिकों को बाजार से डस्टबिन खरीदने के लिए कहा जा रहा है. फ्री डस्टबिन आखिर इतनी जल्दी खत्म कैसे हो गए? ये समझ से परे है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- उल्लेखनीय है कि महापौर नंदा जिचकार ने इस योजना के बारे में पहले ही ये बता दिया था कि इसके तहत शहर के नागरिकों को फ्री डस्टबिन दिए जाएंगे. हर परिवार को दो रंग के डस्टबिन एकसाथ दिए जाएंगे. लेकिन जब लोगों ने फ्री डस्टबिन के बारे में जानकारी लेना शुरू किया तो अब एनएमसी के ही फेसबुक पेज पर जवाब दिए जाने लगे हैं कि मार्केट से खरीद  लीजिए. इस

फ्लैट में चल रहा रेस्टरेंट किचन

फ्लैट में चल रहा रेस्टरेंट किचन - अवस्थी चौक के मासूम अपार्टमेंट का मामला फहीम खान, 8483879505 किसी भी रेसिडेंशियल अपार्टमेंट में कमर्शियल एक्टिविटिज चलाने की अनुमति नहीं होती. इस नियम के बावजूद शहर में एक अपार्टमेंट के फ्लैट में व्यावसायिक किचन चलाया जा रहा है. अवैध रूप से चलाए जा रहे इस किचन की जानकारी संबंधित विभागों को दिए जाने के बाद भी अबतक कोई कार्रवाई नहीं होना आश्चर्यजनक है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. --- शहर के अवस्थी चौक परिसर में स्थित मासूम अपार्टमेंट के दूसरे माले पर पिछले कुछ समय से एक कमर्शियल किचन चलाया जा रहा है. यहां पर तरह-तरह का खाना बनाकर उसे शहर के विभिन्न इलाकों में डिलिवरी बॉय-गर्ल्स के माध्यम से सप्लाय भी किया जा रहा है. उल्लेखनीय है कि एक रेस्टोरेंट चेन के मालिक द्वारा संचालित किए जा रहे इस किचन को शुरू करने से पहले अपार्टमेंट में रहने वाले अन्य रहवासियों की सहमति लेने की भी जरूरत नहीं समझी गई. अब जब रहवासियों ने इस मामले में शिकायतें करनी शुरू कर दी हैं तो रेस्टारेंट मालिक और उनसे जुड़े अन्य लोग रहवासियों धमकाने लगे हैं. ---- क्या है मामला? मासूम अ

जीएसटी बचाने की कवायद

जीएसटी बचाने की कवायद दवाओं की किल्लत का झांसा -होलसेलर्स पर एडवांस में स्टॉक लेने का दबाव फहीम खान, 8483879505 इन दिनों मार्केट में हर कोई जीएसटी से खौफजदा नजर आ रहा है. आॅटो इंडस्ट्री पहले ही जीएसटी लागू होने को लेकर इतने ज्यादा खौफ में है कि उसने अपना पुराना स्टॉक निकालने के लिए लुभावने आॅफर दे रखे हैं. आलम तो यह है कि अब फार्मा कंपनियों ने भी जीएसटी के डर से दवाओं की एडवांस बुकिंग करने के मैसेज भेजने शुरू कर दिए है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- सरकार द्वारा जीएसटी के तहत रॉ मटेरियल पर 18 फीसदी टैक्स लगाने से दवाएं भी महंगी होना तय माना जा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा फार्मा कंपनियां 1 जुलाई से पहले ही अपना पुराना स्टॉक खपाने की जुगत में लग गई हैं. डिस्काउंट पर मेडिसिन उपलब्ध कराने वाली एक फार्मा कंपनी ने तो बाकायदा अपने सप्लायर्स को मोबाइल पर मैसेज भेजकर कहा है कि जीएसटी के चलते मेडिसिन सप्लाई की शॉर्टेज होेने की आशंका है. इसे देखते हुए एडवांस में अगले कुछ महीनों का स्टॉक बुक करा लीजिए. --- एसएमएस का सहारा फार्मा सेक्टर के कुछ अन्य ट्रेडर्स ने अ

किसकी सिक्योरिटी के लिए ले रहे डिपॉजिट?

किसकी सिक्योरिटी के लिए ले रहे डिपॉजिट? - स्कूल प्रबंधनों ने बनाया लूट का नया हेड फहीम खान, 8483879505 बिजली का मीटर लगाने से लेकर किसी कंपनी के उत्पाद की एजेंसी लगाने तक आपसे संबंधितों के द्वारा सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगा जाता है. शिक्षा के क्षेत्र में यह कंसेप्ट अब तक लाइब्रेरी की किताबों के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है. कुछ स्कूलों में खेल सामग्री के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट भी मांगा जाने लगा था. लेकिन अब शहर के कुछ नामी स्कूलों द्वारा बच्चे को एडमिशन देते समय अभिभावकों से सिक्योरिटी डिपॉजिट मांगा जाने लगा है. यह डिपॉजिट आखिर किस आधार पर लिया जा रहा है, इसका जवाब खुद शिक्षा विभाग के पास भी नहीं है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- हर साल ही शहर में कुछ नए स्कूल खुल जाते हैं. निजी स्कूलों की फीस पहले ही बहुत ज्यादा है. ऐसे में इस वर्ष से शहर के कुछ स्कूलों ने सिक्योरिटी डिपॉजिट भी मांगना शुरू कर दिया है. नया एडमिशन लेने वाले बच्चों के अभिभावकों को यह डिपॉजिट भरना पड़ रहा है. दलील दी जा रही है कि यह राशि एडमिशन की सिक्योरिटी के तौर पर ली जा रही है. अगर एडमिशन कैंसल होगा तब यह पै

प्लॉट सुरक्षित करने के चक्कर में जोखिम को न्यौता

प्लॉट सुरक्षित करने के चक्कर में जोखिम को न्यौता - बिजली की डीपी से सटकर शुरू किया निर्माणकार्य - गोधनी रोड का मामला --- इंट्रो- फहीम खान, 8483879505 ग्वालबंशी के अवैध कब्जे से मुक्त हुए अपने प्लॉट को दोबारा किसी अन्य के कब्जे से बचाने की कवायद में इन दिनों शहर के अलग-अलग इलाकों में धड़ल्ले से निर्माणकार्य किए जा रहे हैं. इसीमें दो निर्माणकार्य हो रहे हैं झिंगाबाई टाकली परिसर के गणेश नगर बस स्टॉप परिसर में. यहां कब्जे से मुक्त हुए प्लॉट पर आनन -फानन में निर्माणकार्य शुरू कर दिया गया है. लेकिन ऐसा करते समय सुरक्षा के नियमों को ताक पर रखने से आने वाले समय में यह जानलेवा साबित होने की आशंका बढ़ गई है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- मामला झिंगाबाई टाकली के गोधनी रोड पर स्थित गणेश नगर बस स्टॉप परिसर का  है. यहां पर स्थित कुछ प्लॉट्स पर ग्वालबंशी का कब्जा था. इस कब्जे से हाल में राहत मिली तो प्लॉट मालिकों ने अपने प्लॉट बचाने की कवायद तेज कर दी. इसीके तहत यहां पर स्थित दो प्लॉट्स पर निर्माणकार्य आरंभ कर दिया गया. यह निर्माणकार्य करने से पहले प्लॉट मालिकों ने किसी भी डेवलपमेंट एजेंसी

आरसी के इंतजार में वाहन चालक परेशान

आरसी के इंतजार में वाहन चालक परेशान - आरटीओ की सुस्ती से हो रहा चालान - 5 माह में मिल रहा रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट फहीम खान, 8483879505 अगर आपके पास आपकी गाड़ी से जुड़े दस्तावेज (रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट) नहीं हैं तो स्वाभाविक है कि शहर में चौराहों पर चेकिंग करने वाली ट्रैफिक पुलिस आपका चालान बना सकती है. पर इन दिनों यह डर उन गाड़ी चालकों को भी सता रहा है, जिनकी गाड़ी के दस्तावेज आरटीओ से ही लेट मिल रहे हैं. हद तो यह है कि पकड़े जाने के बाद जब ट्रैफिककर्मियों को यह कारण बताया जाता है तो कोई भी इस पर यकीन नहीं करता है. आरटीओ विभाग की लेटलतीफी के कारण शहर के कई चालकों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- केस 1 आसिफ पठान ने फरवरी महीने में नई गाड़ी खरीदी थी. 25 फरवरी को ही गाड़ी का रजिस्ट्रेशन एमएच 40 आरटीओ कार्यालय में कराया गया था. इसके बाद जरूरी सभी दस्तावेज आरटीओ आॅफिस के सुपुर्द भी कर दिए गए थे. लेकिन उन्हें पांच महीनों के बाद 20 जून को आरसी पोस्ट से प्राप्त हुई है. उल्लेखनीय यह भी है कि इस आरसी पर आरटीओ ने 5 मई को हस्ताक्षर किए हैं. यानी चार महीनों का समय क

नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसा

नौकरी के नाम पर युवाओं को झांसा - सोशल मीडिया का भी लिया जा रहा सहारा फहीम खान, 8483879505 हम सभी जानते हैं कि आज के पढ़े -लिखे युवाओं को अच्छे वेतन वाली नौकरी का झांसा देकर कैसे लूटा जा रहा है. हाल ही में शहर में दो ऐसे ठगों की खबरें उजागर हुई हैं, जिन्होंने विदेश में नौकरी दिलाने के नाम पर युवाओं को एक-एक  करोड़ रुपए से ज्यादा का चूना लगाया है. ऐसी ठगी से बचाने के लिए पुलिस के क्राइम विभाग की ओर से जनजागृति भी की जा रही है. बावजूद इसके हर बार कोई न कोई गिरोह नया आइडिया लेकर आ जाता है और रोजगार पाने की चाहत लिए युवाओं को लूट जाता है. इन दिनों शहर में ऐसा ही एक गिरोह एयरपोर्ट में नौकरी दिलाने का लालच दे रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- शहर में जिस रफ्तार से एजुकेशनल इंस्टिट्यूट्स बढ़ते जा रहे है’, उसी तेजी से पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं की भी संख्या बढ़ रही है. इसी के चलते नौकरी पाने के लिए युवाओं को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं. इसका फायदा कुछ आपराधिक गिरोह उठाते दिख रहे हैं. शहर में इन दिनों एक ऐसा गिरोह बेहद एक्टिव हो गया है, जो देश के प्रमुख एयरपोर्ट्स में अच्छे वेतन वाली

हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी...

हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी... - 11 वर्ष बाद लेआउट पर पहुंची एनआईटी की टीम फहीम खान, 8483879505 आपने सरकारी विभागों की धीमी रफ्तार के बहुत सारे किस्से सुने होंगे. लेकिन आज जो किस्सा आप सुनेंगे इसके बाद शायद ही किसी सरकारी विभाग पर आपको भरोसा रह जाए. शहर और मेट्रो रीजन क्षेत्र के लेआउट डेवलपमेंट की जिम्मेदारी जिस एजेंसी को सौंपी गई है, उस एनआईटी ने लेटलतीफी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. जी हां, शहर के ही एक लेआउट के मामले में पूरे 11 साल बाद एनआईटी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट. ---- क्या है मामला? मानकापुर परिसर में किराड़ लेआउट फेज 1 और फेज 2 स्थित है. यहां पर एक लेआउट को सैंक्शन करते समय दूसरे लेआउट के क्षेत्र में रोड दिखाया गया. इसे 11 साल पहले सैंक्शन भी कर दिया गया. जिस महिला की जमीन पर यह रोड दर्शाई गई थी, उसने इस संबंध में न केवल एनआईटी से शिकायत की बल्कि अधिकारियों को अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेज भी दिखाए. लेकिन तभी से लगातार यह मामला अधर में लटका हुआ है. 11 साल से जारी विवाद के बाद अब कहीं जाकर एनआईटी की एक टीम ने ग्राउंड जीरो पहुंचकर मामले