खत्म हो गए 11 लाख डस्टबिन?

खत्म हो गए 11 लाख डस्टबिन?
- मनपा को फ्री में बांटनी थीं कचरापेटियां
फहीम खान, 8483879505
5 जून से मनपा क्षेत्र में प्रशासन ने ‘स्वच्छ माझं नागपुर’ योजना शुरू की है. इसके तहत शहर में गीला और सूखा कचरा अलग -अलग इकट्ठा करने की पहल हुई है. उल्लेखनीय है कि हाल में स्मार्ट सिटी के तहत क्लीन सिटी का ताज खो देने के बाद मनपा प्रशासन ने इस योजना को बेहद गंभीरता से लिया था. इसके तहत महानगर पालिका प्रशासन की ओर से गीले कचरे के लिए हरे और सूखे के लिए नीले रंग के डस्टबिन फ्री में देने की योजना थी. लेकिन अब नागरिकों को बाजार से डस्टबिन खरीदने के लिए कहा जा रहा है. फ्री डस्टबिन आखिर इतनी जल्दी खत्म कैसे हो गए? ये समझ से परे है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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उल्लेखनीय है कि महापौर नंदा जिचकार ने इस योजना के बारे में पहले ही ये बता दिया था कि इसके तहत शहर के नागरिकों को फ्री डस्टबिन दिए जाएंगे. हर परिवार को दो रंग के डस्टबिन एकसाथ दिए जाएंगे. लेकिन जब लोगों ने फ्री डस्टबिन के बारे में जानकारी लेना शुरू किया तो अब एनएमसी के ही फेसबुक पेज पर जवाब दिए जाने लगे हैं कि मार्केट से खरीद  लीजिए. इस तरह के जवाब मिलने से नागरिक हैरान है.
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क्या कहते हैं नागरिक?
फेसबुक यूजर मनोज मालोदे को जब पता चला कि मनपा हर परिवार को दो डस्टबिन फ्री में बांट रही है तो उन्होंने मनपा में जाकर इसके बारे में पूछताछ की. लेकिन उन्हें किसी ने ठीक से जानकारी नहीं दी. आखिरकार उन्होंने फेसबुक का सहारा लिया. यहां मनपा का अधिकृत पेज बना हुआ है, जो रेगुलरली अपडेट भी होता है. उन्होंने यहीं पर फ्री डस्टबिन के बारे में पूछा तो उन्हें सलाह दी गई कि वे मार्केट में जाकर डस्टबिन खरीद लें.
इसी तरह का जवाब पाकर रोहन तिवारी हैरान हुए. उनका कहना है कि फ्री डस्टबिन के बारे में उन्होंने पूछताछ की तो उन्हें टालमटोल भरे जवाब दिए गए. यदि मनपा वाकई में शहर को क्लीन सिटी बनाना चाहती है तो उसे इस योजना को गंभीरता से क्रियान्वित करना ही होगा. रोहन मानते हंै कि यदि मनपा इतना ज्यादा खर्च वहन नहीं कर पा रही है तो फ्री डस्टबिन बांटने की पहले ही घोषणा नहीं करना चाहिए था. इसके बजाय कम कीमत पर डस्टबिन उपलब्ध कराने का भी अच्छा विकल्प मनपा अपना सकती थी.
नागरिक धर्मपाल सिंह का कहना है कि घरों के लिए डस्टबिन दी जा रही है. लेकिन असली कचरा तो गली और रोड के किनारे पड़ा है. शहर तो इसी कचरे के चलते गंदगी की चपेट में समाता जा रहा है. जरूरी हो गया है कि मनपा प्रशासन इस कचरे को उठाने की नियमित व्यवस्था कराए.
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13.64 करोड़ के खर्च का क्या हुआ?
उल्लेखनीय ये भी है कि शहर में 5.5 लाख परिवारों को दो डस्टबिन फ्री में देने की इस योजना पर होने वाला खर्च खुद मनपा ही उठाने वाली थी. एनएमसी क्षेत्र में रहने वाले सभी परिवारों को दो-दो के हिसाब से 11 लाख डस्टबिन बांटे जाने थे. इसके लिए 13.64 करोड़ रुपए खर्च का भी अनुमान लगाया जा चुका था और इसे खर्चने के लिए मनपा प्रशासन तैयारी भी कर रहा था. बावजूद इसके अभी से नागरिकों को फ्री डस्टबिन देने के बजाय मार्केट से खरीदने के लिए कहे जाने से योजना की कामयाबी पर भी सवाल उठते दिख रहे हैं.
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