अपडेट क्यों नहीं है आरटीओ का रिकॉर्ड?

अपडेट क्यों नहीं है आरटीओ का रिकॉर्ड?
- ओनर बदला, पर चालान पुराने के नाम पर
- बिना हेल्मेट गाड़ी चलाने का मामला
फहीम खान, 8483879505
प्रशांत नगर अजनी में रहने वाले सतीश अपने परिजनों के साथ बैठे थे, तभी डाकिए ने उनके हाथ में एक लेटर थमाया. लेटर पढ़ने के बाद सतीश सकते में आ गए. ये लेटर शहर ट्रैफिक विभाग की ओर से भेजा गया था. जिसके मुताबिक सतीश द्वारा बिना हेल्मेट गाड़ी चलाने के कारण उन्हें चालान भेजा गया था. सतीश हैरान इस बात से थे क्योंकि जो तस्वीर चालान के साथ प्रिंट की गई थी, वो उनकी नहीं थी. और जिस टू व्हीलर का जिक्र चालान में किया गया था वो भी वो पहले ही बेच चुके थे. बावजूद इसके, चालान उनके नाम से आने के कारण वे परेशान हो उठे. इस मामले में उन्होंने विभाग के अधिकारियों को भी समझाने की कोशिश की लेकिन कोई सुनने को तैयार नहीं है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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शहर में बिना हेल्मेट पहने टू-व्हीलर और बिना सीट बेल्ट पहनकर फोर-व्हीलर चलाने वालों के खिलाफ शहर ट्रैफिक शाखा की ओर से कार्रवाई की मुहिम चलाई जा रही है. शहर के ज्यादातर चौराहों और मुख्य मार्गों पर ट्रैफिक जवान यातयात नियमों को तोड़ने वालों पर झपट पड़ते हैं. लेकिन इसी के साथ इस तरह की शिकायतें भी बढ़ने लगी हैं कि जिन्हें यातायात नियमों की अनदेखी करने के नाम पर चालान भेजे जा रहे हैं उनमें से कइयों का उस घटना से कोई संबंध ही नहीं होता है.
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बढ़ गई परेशानी
सतीश मोहोड के पास एमएच 31, बीएन 7001 नंबर की टू व्हीलर थी. उन्होंने इस गाड़ी को पिछले दिनों बेच दिया था. चूंकि ओनरशिप चेंज करना भी जरूरी होता है इसलिए उन्होंने तुरंत ही कागजी कार्यवाही भी निपटा ली. ये गाड़ी विशाल मानकर को बेची गई थी. अचानक एक दिन सतीश को डाक से एक चालान मिला. जिसमें ये बताया गया था कि उन्होंने बिना हेल्मेट गाड़ी चलाकर नियम तोड़ा है, इसलिए उन्हें 500 रुपए जुर्माना अदा करना होगा. शहर में पोस्ट आॅफिस की 66 शाखाओं में या फिर सेंट्रल बैंक के खाते में ये राशि भरने के लिए कहा गया. ऐसा नहीं करने पर उन पर मोटर वाहन कानून के तहत प्रथम न्यायदंडाधिकारी के कोर्ट में मामला चलाने की चेतावनी भी दी गई.
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कब होंगे ‘स्मार्ट’?
उल्लेखनीय है कि जब चालान मिला तो सतीश तुरंत शहर यातायात शाखा में पहुंचे. उन्होंने इस बारे में अधिकारियों से बात की. उन्हें बताया कि उन्होंने तो ये गाड़ी बेच दी है और नए ओनर के नाम पर सारे दस्तावेज भी कर दिए थे. लेकिन अधिकारियों ने उनकी एक न सुनी. आखिरकार सतीश ने सरकारी सेवा ‘वाहन’ को गाड़ी नंबर एमएच 31, बीएन 7001 लिखकर मैसेज किया. तुरंत जवाब आया. जिसमें बताया गया था कि अब ये गाड़ी अमोल मानकर के नाम पर है. सतीश का कहना है कि इस जानकारी के बाद भी यातायात विभाग ने उनकी मदद नहीं की. उल्टे उन्हें किसी अन्य अधिकारी के पास जाने की सलाह दी गई. जिससे संपर्क करने के बाद भी उनका काम नहीं बना.
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