चिल्लर नहीं तो भरो ज्यादा किराया!

चिल्लर नहीं तो भरो ज्यादा किराया!
-सिटी बसों में जारी है ‘लूट’
-पैसे वापस नहीं मिलते यात्रियों को
फहीम खान, 8483879505
सिटी बस सेवा के माध्यम से शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने की कोशिश के तहत हाल ही में सिटी बसों के आॅपरेटर्स बदले गए हैं. लेकिन सिटी बस सेवा के ढर्रे में कोई खास तब्दीली नहीं दिखती. चिल्लर के नाम पर परिचालक आज भी पैसेंजर्स को लूट रहे हैं. उल्लेखनीय है कि ज्यादातर रूट्स के मौजूदा किराए ऐसे हैं जिसके लिए पैसेंजर्स को चिल्लर देनी ही पड़ती है. लेकिन इसका अभाव होने का पूरा फायदा परिचालक उठा रहे हैं.
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शहर बस सेवा का विस्तार करने के साथ ही हाल में पुराने आॅपरेटर के खिलाफ मिल रही तमाम शिकायतों को देखते हुए महानगर पालिका प्रशासन ने नए आॅपरेटर्स को मौका दिया है. ‘आपली बस’ के तहत शहर में इन दिनों नई, अपडेटेड सिटी बसेस चलाई जा रही हैं. लेकिन आॅपरेटर बदल दिए जाने के बाद भी पैसेंजर्स की शिकायतों में कोई कमी नहीं दिख रही है. असल में परिचालक टिकट के लिए यात्रियों से चिल्लर मांगते हैं, खुद कभी नहीं देते. होता यह है कि यात्रियों को मजबूरन किराए से ज्यादा रकम चुकानी पड़ जाती है.
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लिख देते हैं...
राकेश और विनय स्टुडेंट्स है. उनका कहना है कि अक्सर वे जब सिटी बसों में यात्रा करते हैं तो एक स्थान से दूसरे स्थान का किराया 9, 11, 13, 17 रुपए होता है. ऐसे में 10- 20 रुपए देने पर परिचालकों द्वारा चिल्लर की मांग की जाती है. ‘नहीं है’ कहने पर पहले तो खूब बातें भी सुनाई जाती हैं, फिर टिकट के पीछे शेष राशि लिख दी जाती है. उनका कहना है कि अबतक उन्हें टिकट के पीछे लिखी गई राशि कभी परिचालक से वापस मिली ही नहीं. जब स्टॉप आता है तो परिचालक हाथ खड़े कर देते हैं. बहस करने पर बस में सवार अन्य पैसेंजर्स ही देरी होने की बात कहकर हम पर बस से उतरने का दबाव डालते हैं. इससे परिचालकों को फायदा पहुंच रहा है.
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यात्रियों की भी मजबूरी
रविनगर की एक निजी फर्म में कार्यरत नेहा कहती है कि उसे डिफेंस से रविनगर आते समय अक्सर इस तरह की समस्या को फेस करना पड़ता है. उसी की फ्रेंड अनुष्का कहती है कि वो वाड़ी से बर्डी के लिए जब भी सफर करती है तो उसे 13 रुपए का टिकट थमाया जाता है और चिल्लर नहीं होने का बहाना किया जाता है. जब संभव होता है तो वे चिल्लर देती हैं लेकिन ज्यादातर समय खुले पैसे नहीं होने पर बचे हुए रुपए कभी वापस मिलते ही नहीं है. बस स्टॉप पर उतरने के बाद आॅफिस जाने की जल्दी होती है, इसलिए बहस करने के बजाय अक्सर रुपए छोड़ देने पड़ते हैं.
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चिल्लर की व्यवस्था क्यों नहीं करते?
शहर में पहले के मुकाबले में ज्यादा सिटी बसेस चलाई जा रही हैं. नए रूट्स पर भी बसेस चल रही हैं. इस सेवा को बेहतर बनाने की कोशिश कर रहे मनपा प्रशासन के पास पिछले आॅपरेटर के संबंध में भी चिल्लर वापस नहीं करने की शिकायतें मिलती रही हैं. ऐसे में प्रशासन को नए आॅपरेटर्स को बसों के परिचालकों के पास पर्याप्त मात्रा में चिल्लर रखने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए. यात्रियों का कहना है कि चिल्लर नहीं लौटाकर जारी इस लूट के माध्यम से हर सिटी बस के परिचालक दिन भर में सैकड़ों रुपए कमा लेते हैं.
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सिर्फ सीसीटीवी से क्या होगा?
उल्लेखनीय है कि ‘आपली बस’ के माध्यम से चलाई जा रही नई सिटी बसों के भीतर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए है. इस माध्यम से निगरानी रखने की कोशिश भी हो रही है. लेकिन सिर्फ सीसीटीवी लगाने से कुछ हासिल नहीं होगा. सिटी बसों में परिचालकों की मनमानी की शिकायतों के मद्देनजर इन बसों की चेकिंग करने की भी व्यवस्था जरूरी हो गई है. बस यात्रियों के टिकट यदि नियमित रूप से जांचे जाएं तो इससे यात्रियों की शिकायतें भी कम हो जाएगी और साथ ही चिल्लर के नाम पर जारी लूट-खसोट का खेल भी खत्म किया जा सकता है.
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