रेलवे की पार्किंग में सिक्योरिटी से खिलवाड़

रेलवे की पार्किंग में सिक्योरिटी से खिलवाड़
- बिना जांच ही वाहनों की हो रही है एंट्री
फहीम खान, 8483879505
हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी की पूर्व संध्या से ही रेलवे स्टेशन और चुनिंदा सार्वजनिक स्थानों पर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी जाती है. पर आम दिनों में इतने संवेदनशील स्थानों पर सिक्योरिटी के साथ खुलेआम खिलवाड़ चलता रहता है. ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ ने नागपुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग में पहुंचकर यहां पर सिक्योरिटी के साथ चल रहे मजाक को देखा. दिखावे के लिए सरकारी खर्च से यहां पर सीसीटीवी कैमरे लगा दिए गए हैं. लेकिन पार्किंग में चंद रुपयों के लिए वाहनों की बिना चेकिंग ही एंट्री सुरक्षा के लिहाज से बड़ी चूक मानी जा सकती है. हालांकि पार्किंग ठेकेदार के कर्मचारी ये दावा करते नहीं थकते कि वो हर गाड़ी पर नजर रखते हैं. लेकिन सच्चाई कुछ अलग ही नजर आती है.
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एमई टीम ने जब रेल्वे स्टेशन की पार्किंग में गाड़ी रखने के लिए कॉटन मार्केट वाले रोड से मेन गेट में प्रवेश किया तो वहां पर कोई न तो वाहन को जांचने वाला मिला और न ही कोई यह पूछने वाला कि यहां पर गाड़ी पार्क करने के बाद कहां जाने वाले हैं. यहां पार्किंग में गाड़ी खड़ी करने के बाद कोई व्यक्ति सीधे रेलवे स्टेशन पर ही जाता है या गाड़ी रखकर बाहर निकल जाता है, यह देखने की भी किसी को जरूरत महसूस नहीं हुई.
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कौन करता है थैलों की चेकिंग?
‘मेट्रो एक्सप्रेस’ की टीम जब यहां पहुंची और उसने पार्किंग प्लेस का निरीक्षण किया तो पाया कि ज्यादातर गाड़ियों पर बैग्स लगे हुए हैं. कई गाड़ियों पर प्लास्टिक के बोरे रखे हुए थे. कुछ जगह तो गाड़ियों पर बॉक्स भी लटके नजर आए. रेलवे स्टेशन अक्सर शरारती और असामाजिक तत्वों के निशाने पर रहता है. बावजूद इसके नागपुर रेलवे स्टेशन की पार्किंग में इस तरह की संदिग्ध वस्तुओं की चेकिंग करने और उन्हें समय-समय पर जांचते रहने की कोई व्यवस्था मौजूद नहीं है. गाड़ियों पर लगे बैग्स की जांच के संबंध में यहां कार्यरत कर्मियों से जब पूछा गया तो जवाब में यही बात कही गई कि हर बैग की जांच करना संभव नहीं है, साहब.
धूल खा रही हैं सैकड़ों गाड़ियां?
‘एमई’ टीम को रेलवे स्टेशन की पार्किंग में सैकड़ों की संख्या में ऐसी टू-व्हीलर्स नजर आर्इं, जिन्हें वर्षों पहले यहां रखा गया था और फिर इन वाहनों के मालिक अपनी गाड़ियों को भूल गए. वर्षों से पड़ी इन गाड़ियों पर धूल की परतें चढ़ती जा रही हैं, लेकिन पार्किंग ठेकेदार और उनके कर्मी कभी इन गाड़ियों की सफाई करने या इन्हें यहां से हटाने को लेकर नहीं सोचते. पहले ही रेलवे स्टेशन की पार्किंग में गाड़ियां रखने वालों की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि गाड़ियों को रखने के लिए पर्याप्त जगह की कमी खलती है. बावजूद इसके वर्षों से यहां टू व्हीलर्स का पड़ा रहना और उसकी अनदेखी समझ से परे है.
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रेलवे स्टेशन की पार्किंग में गाड़ियां रखने के लिए पर्याप्त जगह नहीं होने के ही चलते कई बार गाड़ियों को एक -दूसरे में इतना ज्यादा भिड़ा दिया जाता है कि किसी को अपनी गाड़ी निकालने में दिक्कतें पेश आने लगती हैं. बावजूद इसके पुरानी कबाड़ होती जा रही गाड़ियों को एक निश्चित समय के बाद रेलवे विभाग द्वारा क्यों नहीं ठिकाने लगाया जाता है, इस सवाल का कोई जवाब नहीं मिल रहा है. उधर पार्किंग के ठेकेदार और उनके कर्मियों द्वारा सिक्योरिटी के मामले में गंभीरता नहीं बरती जाने से कोई भी कभी भी अपना वाहन पार्किंग में खड़ा कर निकल जाता है. शरारती और असामाजिक तत्वों के लिए ये पार्किंग आसान टार्गेट बन सकती हैं.
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क्यों नहीं हटाते पुराने वाहन?
रेलवे स्टेशन की पार्किंग में जब ‘एमई’ टीम ने देखा तो यहां पर सैकड़ों की संख्या में ऐसे वाहन धूल खाते नजर आए जिन्हें नियम के हिसाब से अबतक वहां से हटा दिया जाना चाहिए था. लेकिन सुरक्षा को लेकर गंभीरता का अभाव होने के ही चलते ये वाहन यहां पार्किंग में पड़े नजर आ रहे है. ‘एमई’ टीम ने देखा कि कई सारे वाहनों के ज्यादातर पुर्जे चोरी हो चुके हैं. कई गाड़ियों के पार्ट्स निकालने की कोशिश हुई है. सवाल यह है कि यदि सीसीटीवी कैमरे इस परिसर में लगे हैं तो फिर क्या ऐसा करने वाले शरारती तत्वों को कोई देखता नहीं है?
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सीसीटीवी दिखावे के लिए
यहां लगे कैमरे किसकी निगरानी में रहते हैं, किसी को पता नहीं है. आरपीएफ के जवानों की यहां गश्त होती है लेकिन वो भी पार्किंग के भीतर के परिसर में जाकर देखते हैं या नहीं, किसी को नहीं पता. वर्षों से पार्किंग में खड़ी गाड़ियां और इन गाड़ियों में लगे बैग्स की नियमित रूप से जांच करने की जिम्मेदारी इन्हीं जवानों की होनी चाहिए. क्योंकि पार्किंग में खड़ी गाड़ियां किसी भी समय बड़े हादसे का कारण बन सकती हैं.

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