जीएसटी लेंगे बिल नहीं देंगे

जीएसटी लेंगे बिल नहीं देंगे
- अभी रजिस्ट्रेशन न होने का दे रहे हवाला
फहीम खान, 8483879505
गुड्स एंड सर्विस टैक्स (जीएसटी) लागू होने के बाद से शहर के कुछ इलाकों में विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों को ‘लूटा’ जाने लगा है. कुछ दुकानदार जीएसटी की वसूली तो कर रहे हैं लेकिन बिल देने को तैयार नहीं हैं. दलील यह कि अभी उनका जीएसटी पंजीयन नंबर आया नहीं है. सवाल यह है कि जब नंबर आया ही नहीं है, तो टैक्स क्यों वसूल रहे हैं और अगर वसूल ही रहे हैं तो बिल देने में दिक्कत क्या है? इन सवालों का जवाब कोई नहीं दे रहा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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शहर के कुछ मार्केट इलाकों में कुछ व्यापारी, विक्रेताओं द्वारा ग्राहकों से जीएसटी तो मांगा जा रहा है, पर  बिल मांगे जाने पर ग्राहकों को साफ मना किया जा रहा है. बहाना यह कि जीएसटी के अंतर्गत रजिस्ट्रेशन तो हुआ है लेकिन अभी तक नंबर जेनरेट नहीं हो सका है. जब नंबर आएगा तभी से बिल दिए जा सकेंगे. ग्राहकों का कहना है कि जब नंबर ही नहीं मिला है तो विक्रेताओं द्वारा यह टैक्स क्यों वसूला जा रहा है और उससे महत्वपूर्ण बात कि  बिल देने से इनकार क्यों है.
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केस 1
राजेश अपनी मोटर साइकिल की रेगुलर सर्विसिंग के लिए शहर के ही एक शोरूम में गए थे. वहां उन्होंने सर्विसिंग के दौरान बाइक का आॅइल चेंज किया. शोरूम वालों ने उन्हें जब बिल थमाया तो उस पर 28 फीसदी जीएसटी दर्ज किया गया था. राजेश ने अपने मोबाइल से इस बिल का पहले ही फोटो निकाल लिया. लेकिन जब उन्होंने बिल चुका दिया तो काउंटर से बिल वापस नहीं दिया गया. जब बिल मांगा तो यह बताया गया कि अभी उनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन नंबर जेनरेट नहीं हुआ है. इसलिए बिल नहीं दे सकते हैं. मामला सक्करदरा परिसर का है.
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केस 2
इसी तरह का मामला आकाश के साथ भी घटित हुआ है. उन्हें वेल्डिंग के लिए जरूरी नाइट्रोजन लेना था. इसके लिए वो मानकापुर के गोल बाजार पहुंचे. वहां पर उन्होंने नाइट्रोजन खरीदा. यहां पर उन्हें नाइट्रोजन की कीमत के अलावा जीएसटी भी मांगा गया. उन्होंने जीएसटी मिलाकर बिल चुका तो दिया लेकिन उन्हें बिल बनाकर नहीं दिया गया. जब उन्होंने बिल के लिए जिद की तो उन्हें भी यही बताया बताया गया कि जीएसटी रजिस्ट्रेशन तो हो चुका है लेकिन अभी उनका नंबर जेनरेट नहीं हुआ. जिसके चलते पुराने बिल वो दे नहीं सकते है.
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