जीएसटी बचाने की कवायद

जीएसटी बचाने की कवायद
दवाओं की किल्लत का झांसा
-होलसेलर्स पर एडवांस में स्टॉक लेने का दबाव
फहीम खान, 8483879505
इन दिनों मार्केट में हर कोई जीएसटी से खौफजदा नजर आ रहा है. आॅटो इंडस्ट्री पहले ही जीएसटी लागू होने को लेकर इतने ज्यादा खौफ में है कि उसने अपना पुराना स्टॉक निकालने के लिए लुभावने आॅफर दे रखे हैं. आलम तो यह है कि अब फार्मा कंपनियों ने भी जीएसटी के डर से दवाओं की एडवांस बुकिंग करने के मैसेज भेजने शुरू कर दिए है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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सरकार द्वारा जीएसटी के तहत रॉ मटेरियल पर 18 फीसदी टैक्स लगाने से दवाएं भी महंगी होना तय माना जा रहा है. इसी को ध्यान में रखते हुए ज्यादा से ज्यादा फार्मा कंपनियां 1 जुलाई से पहले ही अपना पुराना स्टॉक खपाने की जुगत में लग गई हैं. डिस्काउंट पर मेडिसिन उपलब्ध कराने वाली एक फार्मा कंपनी ने तो बाकायदा अपने सप्लायर्स को मोबाइल पर मैसेज भेजकर कहा है कि जीएसटी के चलते मेडिसिन सप्लाई की शॉर्टेज होेने की आशंका है. इसे देखते हुए एडवांस में अगले कुछ महीनों का स्टॉक बुक करा लीजिए.
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एसएमएस का सहारा
फार्मा सेक्टर के कुछ अन्य ट्रेडर्स ने अपने रेगुलर कस्टमर्स को भी जीएसटी लागू हो जाने के बाद दवाओं की सप्लाई में कमी आने की आशंका के साथ मैसेजेस भेजना शुरू कर दिया है. उनका कहना है कि उनके कई ग्राहक ऐसे हैं, जिन्हें नियमित रूप से कुछ दवाओं की जरूरत होती है. जीएसटी लगने के बाद दवाओं की आपूर्ति में कमी आने से उन्हें समस्या हो सकती है इसलिए ऐहतियातन ये कदम उठाए जा रहे हैं.
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अधिकारियों के दौरे शुरू
नागपुर शहर को ‘मेडिकल हब’ कहा जाता है. इस लिहाज से भी सेंट्रल इंडिया में मेडिसिन के लिए यह सबसे बड़ा मार्केट है. इसीलिए जीएसटी लागू होने के पहले अपना स्टॉक खत्म करने की जुगाड़ में लगीं फार्मा कंपनियों का ज्यादा ध्यान शहर के ट्रेडर्स पर ही है. इसी संदर्भ में पिछले कुछ दिनों से बड़ी फार्मा कंपनियों के अधिकारियों के शहर में दौरे शुरू हैं. गुरुवार को ऐसी ही एक बड़ी फार्मा कंपनी के डायरेक्टर ने शहर में स्थित अपने आॅफिस का दौरा किया. एमई को विश्वसनीय जानकारी मिली है कि डायरेक्टर ने स्थानीय आॅफिस को ज्यादा से ज्यादा मेडिसिन का स्टॉक एडवांस में बुक करवाने पर जोर देने के लिए कहा है. उल्लेखनीय है कि अगले दो दिनों तक यह अधिकारी शहर में ही रहने वाले हैं.
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टैक्स बचाने की कवायद
शहर में मेडिसिन के होलसेलर्स का कहना है कि यह एसएमएस असल में फार्मा कंपनियों द्वारा दिया जा रहा झांसा है. कंपनियां जीएसटी भरने से बचना चाह रही हैं, इसीलिए होलसेलर्स पर एडवांस बुकिंग का दबाव बनाया जा रहा है. अगले महीने सप्लाई प्रभावित होने की उनकी दलील कोरी बकवास है. यदि होलसेलर एडवांस स्टॉक उठा लेते हैं तो अगले महीने से लागू होने वाला जीएसटी उन्हें भरना पड़ेगा, न कि कंपनी को. ऐसे में कोई भी होलसेलर फार्मा कंपनियों के झांसे में नहीं आने वाला.
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