डेढ़ साल बाद भी सुनवाई नहीं
डेढ़ साल बाद भी सुनवाई नहीं
- दर्जनों पत्र लिखने के बावजूद अनदेखी जारी
- निगम अधीक्षक के पत्र पर भी नहीं हुई कार्रवाई
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फहीम खान
एक ओर इस शहर के नागरिक इस बात को लेकर बेहद खुश नजर आ रहे हैं कि उनका शहर देश के चुनिंदा ‘स्मार्ट शहरों’ में शुमार हो गया है. वहीं शहर में दर्जनों ऐसे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं जो इस शहर की सूरत को पूरी तरह बदल देंगे. इन सारी कोशिशों के बीच भी मनपा प्रशासन की धीमी कार्यप्रणाली में सुधार होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है. यही वो बात है जो अब शहरवासियों को बहुत खलने भी लगी है. ताजा मामला तो ऐसा है जो मनपा प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही की इंतहा का उदाहरण बन गया है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
अक्सर नागरिकों पर आरोप लगाया जाता है कि उनके जागरूक न होने के चलते ही प्रशासन उनकी मदद नहीं कर पाता है. लेकिन शहर के एक नागरिक परसराम ज्ञानसिंग को अपनी जागरूकता के चलते खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने डेढ़ वर्ष पूर्व विधानमंडल शीतसत्र के दौरान फैलाई गई गंदगी को हटाने की ओर प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया था. इसके बाद जब प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने इसका लगातार फॉलोअप लिया. दर्जनों पत्र लिखे लेकिन इसके बाद भी उन्हें और उनके इलाके को अबतक गंदगी से छुटकारा नहीं मिल सका है.
क्या है मामला?
दिसंबर 2015 में जब विधानमंडल का शीतसत्र हुआ तो इस दौरान विभिन्न मोर्चों में शामिल लोगों ने सोनी लाइन सीताबर्डी परिसर में पटवर्धन हाईस्कूल के पास गंदगी फैलाई थी. इस गंदगी के चलते स्थानीय नागरिकों को परेशानी हो रही थी. परेशान तो सभी थे लेकिन कोई भी आवाज नहीं उठा रहा था. ऐसे में परसराम ज्ञानसिंग आगे आए. उन्होंने इस मामले में धंतोली जोन नंबर 3 के सभापति को शिकायत लिखी. उन्हें समस्या बतलाई. इसके बाद वे पत्र पर पत्र लिखते रहे और महापौर तक पहुंच गए. लेकिन डेढ़ वर्ष के बाद भी उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है.
बॉक्स...
कब - किसे लिखा पत्र
1. 20 जनवरी 2016 - सभापति, धंतोली जोन
2. 3 फरवरी 2016 - सभापति धंतोली जोन
3. 20 जून 2016 - स्वास्थ्य अधिकारी
4. 15 जुलाई 2016 - महापौर
5. 14 जुलाई 2017 - स्वास्थ्य अधिकारी, जोनल अधिकारी
धरे रह गए निर्देश
उल्लेखनीय है कि परसराम ने जिस मामले को इतना उठाया और इसका लगातार फॉलोअप लिया उसमें प्रशासन के अधिकारियों ने संज्ञान लेकर जरूरी निर्देश भी अपने निचले अधिकारियों को दिए थे. इसके बावजूद ाी कार्रवाई कभी हुई नहीं. जब इस मामले की जानकारी महानगर पालिका के निगम अधीक्षक राजन काले को मिली तो उन्होंने 12 जून 2017 को स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखा और उन्हें इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने अपने पत्र में अरविंद देशभ्रतार को तुरंत कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए थे. हालांकि इस बात को भी अब एक महीना हो चुका है. अबतक न तो गंदगी हटाई जा सकी है और न ही इस मामले में लापरवाही बरत रहे अधिकारी -कर्मियों के खिलाफ ही कुछ कदम उठाए जा सके हैं.
पालकमंत्री ने भी लिखा पत्र
हद तो यहां तक हो गई है कि खुद जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मनपा आयुक्त को पत्र लिखा है. 29 मई 2017 को लिखे अपने पत्र में पालकमंत्री ने आयुक्त से कहा है कि वो तुरंत इस मामले में गंभीरता से ध्यान दें और कार्रवाई करें. पालकमंत्री ने भी इस मामले में उचित कार्रवाई के बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन इसे भी गंभीरता से नहीं लिया गया.
- दर्जनों पत्र लिखने के बावजूद अनदेखी जारी
- निगम अधीक्षक के पत्र पर भी नहीं हुई कार्रवाई
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फहीम खान
एक ओर इस शहर के नागरिक इस बात को लेकर बेहद खुश नजर आ रहे हैं कि उनका शहर देश के चुनिंदा ‘स्मार्ट शहरों’ में शुमार हो गया है. वहीं शहर में दर्जनों ऐसे प्रोजेक्ट चलाए जा रहे हैं जो इस शहर की सूरत को पूरी तरह बदल देंगे. इन सारी कोशिशों के बीच भी मनपा प्रशासन की धीमी कार्यप्रणाली में सुधार होने के कोई आसार नजर नहीं आ रहे है. यही वो बात है जो अब शहरवासियों को बहुत खलने भी लगी है. ताजा मामला तो ऐसा है जो मनपा प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही की इंतहा का उदाहरण बन गया है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
अक्सर नागरिकों पर आरोप लगाया जाता है कि उनके जागरूक न होने के चलते ही प्रशासन उनकी मदद नहीं कर पाता है. लेकिन शहर के एक नागरिक परसराम ज्ञानसिंग को अपनी जागरूकता के चलते खासी परेशानी उठानी पड़ रही है. उन्होंने डेढ़ वर्ष पूर्व विधानमंडल शीतसत्र के दौरान फैलाई गई गंदगी को हटाने की ओर प्रशासन का ध्यानाकर्षण कराया था. इसके बाद जब प्रशासन ने ध्यान नहीं दिया तो उन्होंने इसका लगातार फॉलोअप लिया. दर्जनों पत्र लिखे लेकिन इसके बाद भी उन्हें और उनके इलाके को अबतक गंदगी से छुटकारा नहीं मिल सका है.
क्या है मामला?
दिसंबर 2015 में जब विधानमंडल का शीतसत्र हुआ तो इस दौरान विभिन्न मोर्चों में शामिल लोगों ने सोनी लाइन सीताबर्डी परिसर में पटवर्धन हाईस्कूल के पास गंदगी फैलाई थी. इस गंदगी के चलते स्थानीय नागरिकों को परेशानी हो रही थी. परेशान तो सभी थे लेकिन कोई भी आवाज नहीं उठा रहा था. ऐसे में परसराम ज्ञानसिंग आगे आए. उन्होंने इस मामले में धंतोली जोन नंबर 3 के सभापति को शिकायत लिखी. उन्हें समस्या बतलाई. इसके बाद वे पत्र पर पत्र लिखते रहे और महापौर तक पहुंच गए. लेकिन डेढ़ वर्ष के बाद भी उनकी समस्या जस की तस बनी हुई है.
बॉक्स...
कब - किसे लिखा पत्र
1. 20 जनवरी 2016 - सभापति, धंतोली जोन
2. 3 फरवरी 2016 - सभापति धंतोली जोन
3. 20 जून 2016 - स्वास्थ्य अधिकारी
4. 15 जुलाई 2016 - महापौर
5. 14 जुलाई 2017 - स्वास्थ्य अधिकारी, जोनल अधिकारी
धरे रह गए निर्देश
उल्लेखनीय है कि परसराम ने जिस मामले को इतना उठाया और इसका लगातार फॉलोअप लिया उसमें प्रशासन के अधिकारियों ने संज्ञान लेकर जरूरी निर्देश भी अपने निचले अधिकारियों को दिए थे. इसके बावजूद ाी कार्रवाई कभी हुई नहीं. जब इस मामले की जानकारी महानगर पालिका के निगम अधीक्षक राजन काले को मिली तो उन्होंने 12 जून 2017 को स्वास्थ्य अधिकारी को पत्र लिखा और उन्हें इस मामले में तुरंत कार्रवाई करने के निर्देश दिए. साथ ही उन्होंने अपने पत्र में अरविंद देशभ्रतार को तुरंत कार्रवाई कर रिपोर्ट पेश करने के भी निर्देश दिए थे. हालांकि इस बात को भी अब एक महीना हो चुका है. अबतक न तो गंदगी हटाई जा सकी है और न ही इस मामले में लापरवाही बरत रहे अधिकारी -कर्मियों के खिलाफ ही कुछ कदम उठाए जा सके हैं.
पालकमंत्री ने भी लिखा पत्र
हद तो यहां तक हो गई है कि खुद जिले के पालकमंत्री चंद्रशेखर बावनकुले ने भी इस मामले की गंभीरता को देखते हुए मनपा आयुक्त को पत्र लिखा है. 29 मई 2017 को लिखे अपने पत्र में पालकमंत्री ने आयुक्त से कहा है कि वो तुरंत इस मामले में गंभीरता से ध्यान दें और कार्रवाई करें. पालकमंत्री ने भी इस मामले में उचित कार्रवाई के बाद रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं. लेकिन इसे भी गंभीरता से नहीं लिया गया.
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