20 दिन बाद भी मुहूर्त का इंतजार

20 दिन बाद भी मुहूर्त का इंतजार
- महाराजबाग रोड की स्ट्रीट लाइट का मामला
- खंभे आकर पड़े हैं, हो रही अनदेखी
फहीम खान, 8483879505
महाराज बाग रोड पर जब से काम आरंभ हुआ है तभी से चर्चा का विषय बना हुआ है. हर बार इस रोड का जिक्र प्रशासन की अनदेखी और लापरवाही के कारण किया जाता है. इस बार भी इसी तरह का मामला हो रहा है. उल्लेखनीय है कि पिछले दो वर्षों से इस रोड का निर्माणकार्य धीमी गति से चलने के कारण नागरिक बेहद परेशान हैं. ऐसे में बड़ी मुश्किल से हाल के दिनों में इस रोड का डामरीकरण खत्म हुआ है. लेकिन स्ट्रीट लाइट लगाने का काम आरंभ नहीं किया गया. लंबे इंतजार के बाद 20 दिन पहले खंभे भी लाकर डाल दिए गए लेकिन अब लगता है कि प्रशासन फिर किसी अच्छे से मुहूर्त की तलाश में है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
गमले अब भी फुटपाथ पर
महाराज बाग रोड का निर्माण करने के साथ ही यहां के डिवाइडर्स और फुटपाथ का ज्यादातर काम पूरा कर लिया गया है. लेकिन फुटपाथ बनाने के बाद इस पर सीमेंट के गमले लाकर रख दिए गए है. जिसके चलते नए निर्माण को नुकसान होने लगा है. कई जगहों पर निर्माण सामग्री को भी फुटपाथ पर ही डाला गया है. जिससे नुकसान होता दिख भी रहा है. कुछ जगह पर फुटपाथ की टाइल्स चटकने लगी है.
कब लगाएंगे लाइट्स?
महाराजबाग रोड बन जाने के बाद इसमें पाइप डालने के लिए खुदाई करने वाले प्रशासन को अबतक इस रोड के बीचों बीच बनाए जा रहे डिवाइडर्स में स्ट्रीट लाइट्स लगाने के बारे में निर्णय लेने की नहीं सूझ रही है. जबकि इस मार्ग पर इसकी सबसे ज्यादा आवश्यकता महसूस की जा रही है. उल्लेखनीय है कि रात के समय यह मार्ग बेहद अहम हो जाता है. यहां न सिर्फ ट्रैफिक बढ़ जाता है बल्कि कई फैमिलीज और यंगस्टर्स के ग्रुप्स भी इसी मार्ग पर गप्पे मारते रहते हैं. ऐसे में इस मार्ग के बीच में स्ट्रीट लाइट्स लगाया जाना जरूरी हो गया है. लेकिन बीस दिन हो जाने के बाद भी स्ट्रीट लाइट्स के खंभे अबतक लगाए नहीं जाने से प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठने लगे है.
पहले क्यों नहीं सोचते?
यह समस्या सिर्फ महाराजबाग रोड की नहीं है, बल्कि शहर में जारी हर विकासकामों के स्थानों पर कमोबेश ऐसा ही होता दिख रहा है. काम पूरा हो जाता है तब याद आता है कि कुछ रह गया है. फिर हो चुके काम को उखाड़ा जाता है, बर्बाद किया जाता है. हाल में इस रोड पर बने फुटपाथ का कुछ हिस्सा इसी तरह खुदाई कर बर्बाद किया गया है. बताया जा रहा है कि समीप में स्थित कृषि विश्वविद्यालय के खेतों में जमा पानी की निकासी के लिए ये किया गया है. यदि ऐसा ही था तो फुटपाथ बनाते समय ही इस बारे में क्यों नहीं सोचा गया? सवाल तो यह भी है कि खेत पहले से वहीं पर था. बारिश में जब उसमें पानी जमा होता है तो उसके निकासी की समस्या के बारे में एजेंसियों ने पहले से ही सोचना चाहिए था. जब इस बारे में संबंधित अधिकारियों से पूछा गया तो कोई भी इस पर बोलने से कतरा रहे हंै.

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