स्वच्छता सूची में पिछड़ने का कोई मलाल नहीं अफसरों को

स्वच्छता सूची में पिछड़ने का कोई मलाल नहीं अफसरों को
- सिटी क्लीन करने की नहीं फिक्र
- टूटे-फूटे डस्टबिन से फैल रही गंदगी

फहीम खान, 8483879505
इस शहर को क्लीन सिटी बनाने के लिए कुछ वर्ष पहले स्थानीय प्रशासन ने लाखों रुपए खर्च कर विभिन्न इलाकों के प्रमुख मार्गों पर डस्टबिन लगाए थे. लेकिन इन डस्टबिन के रखरखाव की ओर प्रशासन ने कभी ध्यान नहीं दिया. जिसका नतीजा यह हो चुका है कि अब शहर के ज्यादातर इलाकों में लगाए गए ये डस्टबिन चोरी हो चुके हैं. कुछ जगह ये दिखाई भी देते हैं, तो सड़ चुके हैं. कहीं पर ये टूट चुके हैं और कूड़ा इधर-उधर बिखरने लगा है. असल में कई इलाकों में टूटे-फूटे डस्टबिन के कारण ही कूड़ा और गंदगी फैली नजर आ रही है. लगता है शहर में साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर तमाम सवाल उठने के बावजूद प्रशासन कानों में तेल डालकर बैठा है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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शहर के विभिन्न इलाकों में कुछ साल पहले स्थानीय प्रशासन की ओर से डस्टबिन लगाए गए थे. हाल के दिनों में भी कई इलाकों में नए सिरे से डस्टबिन लगाए गए थे. प्रमुख मार्ग और रिहायशी इलाकों में इन्हें लगाने के पीछे मंशा यह थी कि इसका ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल हो और शहर को साफ-सुथरा रखा जा सके. शुरुआती दिनों में तो प्रशासन ने शहर को साफ-सुथरा रखने की कोशिशें भी की थीं. लेकिन बाद में जब ‘क्लीन सिटी’ का नारा दिया गया तो यह कैम्पेन सिर्फ कागजों पर और जबानी चलता नजर आया. हद तो यह है कि शहर को क्लीन रखने के लिए जरूरी इन डस्टबिन की जर्जर हालत की ओर किसी का ध्यान ही नहीं है. शहर का शायद ही कोई ऐसा इलाका बचा हो, जहां पर लगाए गए डस्टबिन अभी भी ठीक-ठाक हालत में मिल जाएं. ज्यादातर स्थानों पर लगे डस्टबिन या तो चोरों के निशाने पर आ चुके हैं या खुद ही गंदगी का कारण बने हुए हैं.
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चुराकर ले गए
पहले ‘क्लीन सिटी’ और फिर ‘स्मार्ट सिटी’ जैसे कैम्पेन छेड़ने वाले मनपा प्रशासन द्वारा जमीनी स्तर पर शहर को क्लीन और स्मार्ट बनाने की ओर कितना ध्यान दिया जा रहा है, यह जानने के लिए हाल ही में मेट्रो एक्सप्रेस ने अलग-अलग इलाकों का दौरा किया. इस दौरान क्लीन सिटी के लिए किए जा रहे मनपा, एनआईटी प्रशासन के प्रयासों की पड़ताल की गई. लेकिन इसमें दोनों ही प्रशासन फेल साबित हुए हैं. इस शहर में इन दोनों ने क्लीन सिटी के नारे को पूरा करने के लिए ऐसे कोई प्रबंध नहीं कराए. लेकिन पहले से जो दर्जनों डस्टबिन शहर में लगे हुए थे, उनके रखरखाव की ओर भी गंभीरता से ध्यान नहीं दिया. यही कारण है कि शहर में लगे ज्यादातर डस्टबिन चोरी हो चुके हैं.
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जो हैं, वो नहीं के बराबर
ऐसा नहीं है कि शहर में लगाए गए सारे ही डस्टबिन चोरी किए जा चुके हैं. बहुत सारे अभी भी बचे हुए हैं. लेकिन प्रशासन ने इन डस्टबिन के रखरखाव को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई इसीलिए जो बचे रह गए, वो भी इतने खराब हो गए कि उनके होने न होने का कोई मतलब ही नहीं रहा.
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