गलती किसी की जुर्माना किसी को
गलती किसी की जुर्माना किसी को
- आरटीओ- ट्रैफिक विभाग के बीच नहीं बन रहा समन्वय
फहीम खान, 8483879505
इन दिनों शहर क्षेत्र में सिटी पुलिस की ट्रैफिक शाखा की ओर से मुहिम चलाकर यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है. लेकिन ट्रैफिक विभाग और आरटीओ प्रशासन के बीच बार-बार समन्वय का अभाव दिखाई देने लगा है. जिसका खामियाजा बेकसूर लोगों को भुगतना पड़ रहा है. सारा काम आॅनलाइन हो जाने के बाद भी इन दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी के चलते निर्दोष चालक पिस रहे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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केस 1
उमरेड के रहने वाले सुरेश मेश्राम शहर में किसी काम से आए थे. 19 मई को वो गाड़ी नंबर एमएच 40, एसआर 6279 से जा रहे थे तभी उन्हें ट्रैफिक कर्मियों ने मारुति शोरूम के पास रोका. उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 237, 177, 130 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया. जो चालान बनाया गय, उसमें लिखा गया कि चालक ने अपनी गाड़ी स्टॉप लाइन के आगे रोकी थी, साथ ही गाड़ी के दस्तावेज उनके पास मौजूद नहीं थे.
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केस 2
एड. शोएब खान के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला हुआ है. योगेंद्र नगर निवासी खान ने अपनी गाड़ी (नंबर एमएच 31, डीएक्स 6486) 25 नवंबर 2016 को ही बेच दिया. ये गाड़ी स्वागत नगर निवासी जमशिद शेख ने खरीदी थी. जरूरी दस्तावेजों के साथ उन्होंने गाड़ी को नए ओनर के नाम पर ट्रांसफर कर दिया. उल्लेखनीय है कि आरटीओ आॅफिस के रिकॉर्ड में गाड़ी नए ओनर के नाम पर दर्ज भी हो गई. बावजूद इसके उनके नाम से बिना हेलमेट गाड़ी चलाने का चालान भेजा गया है.
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दस्तावेज तो पूरे थे
सुरेश का कहना है कि जिस समय उन्हें इशारा किया गया, उन्होंने न सिर्फ गाड़ी रोकी बल्कि अपने गाड़ी से जुड़े सारे दस्तावेज कर्मियों को दिखा दिए थे. इस समय उनसे लाइसेंस मांगा गया था लेकिन उनका लाइसेंस रिन्युअल के लिए आरटीओ कार्यालय में जमा होने के चलते उन्होंने इसकी ई-पावती दिखाई. जिससे कर्मियों का संतोष नहीं हुआ. बता दें कि 16 अप्रैल 2017 को ही सुरेश मेश्राम ने आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस रिन्युअल के लिए दिया था.
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एक महीने का इंतजार
जब ये मामला हुआ तो उन्होंने आरटीओ कार्यालय से संपर्क किया और लाइसेंस के बारे में इन्क्वायरी की. उन्हें बताया गया कि लाइसेंस आने में और एक महीना लगेगा. उधर ट्रैफिक कर्मियों ने धारा 206, 207 के तहत मेश्राम की गाड़ी की ओरिजनल आरसी बुक जब्त कर ली है. उन्हें बताया गया है कि चालान के 400 रुपए भरने के बाद ही उन्हें आरसी बुक लौटाई जाएगी. इसके लिए सितंबर 2017 तक का समय भी दिया गया है.
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बताने पर भी अनदेखी
4 मई को अचानक एड. शोएब को घर पर एक चालान मिला. जिसमें लिखा था कि 23 फरवरी 2017 को उन्होंने बिना हेलमेट गाड़ी चलाई. इसलिए उन्हें 500 रुपए फाइन भरना पड़ेगा. जिस गाड़ी नंबर को चालान में दर्ज किया गया था, ये वही गाड़ी थी, जो वो बेच चुके हैं. इस संबंध में उन्होंने आरटीओ रिकॉर्ड में भी सर्च कर लिया, जहां नए ओनर के नाम पर गाड़ी दर्ज मिली. लेकिन ट्रैफिक कर्मी उनकी बात मानने को तैयार ही नहीं हैं.
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- आरटीओ- ट्रैफिक विभाग के बीच नहीं बन रहा समन्वय
फहीम खान, 8483879505
इन दिनों शहर क्षेत्र में सिटी पुलिस की ट्रैफिक शाखा की ओर से मुहिम चलाकर यातायात नियमों का कड़ाई से पालन कराया जा रहा है. लेकिन ट्रैफिक विभाग और आरटीओ प्रशासन के बीच बार-बार समन्वय का अभाव दिखाई देने लगा है. जिसका खामियाजा बेकसूर लोगों को भुगतना पड़ रहा है. सारा काम आॅनलाइन हो जाने के बाद भी इन दोनों विभागों के बीच आपसी तालमेल की कमी के चलते निर्दोष चालक पिस रहे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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केस 1
उमरेड के रहने वाले सुरेश मेश्राम शहर में किसी काम से आए थे. 19 मई को वो गाड़ी नंबर एमएच 40, एसआर 6279 से जा रहे थे तभी उन्हें ट्रैफिक कर्मियों ने मारुति शोरूम के पास रोका. उनके खिलाफ मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 237, 177, 130 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया. जो चालान बनाया गय, उसमें लिखा गया कि चालक ने अपनी गाड़ी स्टॉप लाइन के आगे रोकी थी, साथ ही गाड़ी के दस्तावेज उनके पास मौजूद नहीं थे.
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केस 2
एड. शोएब खान के साथ भी कुछ ऐसा ही मामला हुआ है. योगेंद्र नगर निवासी खान ने अपनी गाड़ी (नंबर एमएच 31, डीएक्स 6486) 25 नवंबर 2016 को ही बेच दिया. ये गाड़ी स्वागत नगर निवासी जमशिद शेख ने खरीदी थी. जरूरी दस्तावेजों के साथ उन्होंने गाड़ी को नए ओनर के नाम पर ट्रांसफर कर दिया. उल्लेखनीय है कि आरटीओ आॅफिस के रिकॉर्ड में गाड़ी नए ओनर के नाम पर दर्ज भी हो गई. बावजूद इसके उनके नाम से बिना हेलमेट गाड़ी चलाने का चालान भेजा गया है.
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दस्तावेज तो पूरे थे
सुरेश का कहना है कि जिस समय उन्हें इशारा किया गया, उन्होंने न सिर्फ गाड़ी रोकी बल्कि अपने गाड़ी से जुड़े सारे दस्तावेज कर्मियों को दिखा दिए थे. इस समय उनसे लाइसेंस मांगा गया था लेकिन उनका लाइसेंस रिन्युअल के लिए आरटीओ कार्यालय में जमा होने के चलते उन्होंने इसकी ई-पावती दिखाई. जिससे कर्मियों का संतोष नहीं हुआ. बता दें कि 16 अप्रैल 2017 को ही सुरेश मेश्राम ने आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस रिन्युअल के लिए दिया था.
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एक महीने का इंतजार
जब ये मामला हुआ तो उन्होंने आरटीओ कार्यालय से संपर्क किया और लाइसेंस के बारे में इन्क्वायरी की. उन्हें बताया गया कि लाइसेंस आने में और एक महीना लगेगा. उधर ट्रैफिक कर्मियों ने धारा 206, 207 के तहत मेश्राम की गाड़ी की ओरिजनल आरसी बुक जब्त कर ली है. उन्हें बताया गया है कि चालान के 400 रुपए भरने के बाद ही उन्हें आरसी बुक लौटाई जाएगी. इसके लिए सितंबर 2017 तक का समय भी दिया गया है.
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बताने पर भी अनदेखी
4 मई को अचानक एड. शोएब को घर पर एक चालान मिला. जिसमें लिखा था कि 23 फरवरी 2017 को उन्होंने बिना हेलमेट गाड़ी चलाई. इसलिए उन्हें 500 रुपए फाइन भरना पड़ेगा. जिस गाड़ी नंबर को चालान में दर्ज किया गया था, ये वही गाड़ी थी, जो वो बेच चुके हैं. इस संबंध में उन्होंने आरटीओ रिकॉर्ड में भी सर्च कर लिया, जहां नए ओनर के नाम पर गाड़ी दर्ज मिली. लेकिन ट्रैफिक कर्मी उनकी बात मानने को तैयार ही नहीं हैं.
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