कहां गई स्मार्टनेस?

कहां गई स्मार्टनेस?
-आरसी के नाम पर दे रहे कम्प्यूटर प्रिंटआउट
- मामला आरटीओ विभाग का
- दिन-ब-दिन बदतर हो रहे हालात
फहीम खान, 8483879505
इन दिनों शहर को हर मामले में ‘स्मार्ट’ बनाने की कवायद जारी है. लेकिन क्या आपने कभी सुना है कि कोई पहले ‘स्मार्ट’ हुआ करता था, लेकिन अब नहीं है. ऐसा आमतौर पर होता नहीं है. लोग अपने आप में सुधार की कोशिश करते हुए आगे बढ़ते हैं लेकिन शहर का एक विभाग ऐसा है, जो पहले तो अपने कामों में ‘स्मार्ट’ था लेकिन अब उसकी स्मार्टनेस खो चुकी है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
----
अपनी स्मार्टनेस को खोने वाला यह विभाग है-उपप्रादेशिक परिवहन विभाग यानी आरटीओ. यह ऐसा पहला विभाग है जहां पर ‘स्मार्ट’ की संकल्पना को सबसे पहली मर्तबा लागू किया गया था. योजनाएं शुरू भी हुर्इं लेकिन इसके बाद ऐसी गायब हुई कि अब उनका कुछ अता पता ही नहीं है. इसके चलते नागरिकों की इस विभाग से जुड़ी शिकायतें भी तेजी से बढ़ने लगी हैं.
----
कहां गए स्मार्ट कार्ड?
आरटीओ की ओर से कुछ वर्ष पूर्व तक स्मार्ट कार्ड योजना चल रही थी. इसके तहत गाड़ियों के रजिस्ट्रेशन सर्टिफिकेट (आरसी) को स्मार्ट कार्ड में तब्दील कर दिया गया था. कुछ समय तक यह योजना चलती रही लेकिन अचानक इसे बंद कर दिया  गया तो स्मार्ट कार्ड वाले आरसी की जगह पुराने कागज वाला आरसी वापस लौट आया .
----
आरसी का प्रिंट आउट
हाल के दिनों में नागपुर के आरटीओ विभाग द्वारा वाहन चालकों को न तो स्मार्ट कार्ड और न ही कागज का पुराने ढंग वाला आरसी मिल रहा है बल्कि इसके स्थान पर आरसी का कम्प्यूटर प्रिंट भेजा जा रहा है. जो किसी जेरॉक्स जैसा ही दिखता है. हालांकि इसमें आरटीओ की सील और साइन होने के चलते इसे अधिकृत आरसी बताया जा रहा है.
----
‘मेट्रो एक्सप्रेस’ के पास जब चालकों के पतों पर भेजे जा रहे आरसी के ये कम्प्यूटर प्रिंट की जानकारी पहुंची तो एमई टीम ने पड़ताल शुरू कर दी. इसी दौरान टीम ने आरटीओ कार्यालय पहुंचकर इसकी छानबीन की तो पता चला कि आरटीओ कार्यालयों में तो आरसी प्रिंट कराने की कोई व्यवस्था ही नहीं है. स्मार्ट कार्ड दिए जाते थे तब भी निजी हाथों को काम सौंपा गया था और इसके बाद जब कागज वाले आरसी दिए जाने लगे तब भी ये काम किसी निजी कंपनी को ही दिया गया था. अब इन निजी कंपनियों द्वारा काम छोड़  देने के चलते आरटीओ विभाग के अधिकारियों को परेशानी होने लगी है. इसीलिए काम जारी रखने के लिए अपने स्तर पर कम्प्यूटर से आरसी का प्रिंट डाक द्वारा चालकों को भेजा जाने लगा है. आरटीओ अधिकारी इस प्रिंटआउट की वैधता के बारे में कह रहे है कि यह अधिकृत है क्योंकि इस पर उनकी मुहर लगी है. लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या ऐसा प्रिंट कम्प्यूटर से निकालकर कोई नकली मुहर, साइन नहीं करा सकता है? इस पर अधिकारी कुछ भी बोलने से बचते दिखाई दिए.
---
वर्जन...
तकनीकी समस्या है
आरटीओ कार्यालय में आरसी और लाइसेंस से जुड़े हुए कामों की जिम्मेदारी विभाग द्वारा निजी सर्विस प्रोवायडर को सौंपी गई थी. हाल में उसने काम बंद कर दिया. ऐसे में विभाग को अपने स्तर पर काम करने पड़ रहे हैं. इसीलिए हम अपने स्तर पर आरसी का कम्प्यूटर प्रिंट दे रहे हैं. नई व्यवस्था हो जाने के बाद फिर से काम में सुधार लाया जाएगा.
- शरद जिचकार, आरटीओ
----------

Comments

Popular posts from this blog

कौन रोकेगा, ये दक्षिण गढ़चिरोली का "लाल सलाम" ?

नक्सलियों के खिलाफ पुलिस के काम आया ‘जनजागरण’ का हथियार

कैसे कहूं मैं... नेता तुम्हीं हो कल के