हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी...

हुजूर आते -आते बहुत देर कर दी...
- 11 वर्ष बाद लेआउट पर पहुंची एनआईटी की टीम
फहीम खान, 8483879505
आपने सरकारी विभागों की धीमी रफ्तार के बहुत सारे किस्से सुने होंगे. लेकिन आज जो किस्सा आप सुनेंगे इसके बाद शायद ही किसी सरकारी विभाग पर आपको भरोसा रह जाए. शहर और मेट्रो रीजन क्षेत्र के लेआउट डेवलपमेंट की जिम्मेदारी जिस एजेंसी को सौंपी गई है, उस एनआईटी ने लेटलतीफी के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. जी हां, शहर के ही एक लेआउट के मामले में पूरे 11 साल बाद एनआईटी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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क्या है मामला?
मानकापुर परिसर में किराड़ लेआउट फेज 1 और फेज 2 स्थित है. यहां पर एक लेआउट को सैंक्शन करते समय दूसरे लेआउट के क्षेत्र में रोड दिखाया गया. इसे 11 साल पहले सैंक्शन भी कर दिया गया.
जिस महिला की जमीन पर यह रोड दर्शाई गई थी, उसने इस संबंध में न केवल एनआईटी से शिकायत की बल्कि अधिकारियों को अपनी जमीन से जुड़े दस्तावेज भी दिखाए. लेकिन तभी से लगातार यह मामला अधर में लटका हुआ है. 11 साल से जारी विवाद के बाद अब कहीं जाकर एनआईटी की एक टीम ने ग्राउंड जीरो पहुंचकर मामले को समझने की कोशिश की है.
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वर्ष 2005 में किराड़ लेआउट फेज 1 के लिए एनआईटी से मैप सैंक्शन कराया गया था. इस समय मैप में जो रोड दिखाई गई थी, उस पर किराड़ लेआउट फेज 2 की मालकिन ने उनकी जमीन होने का दावा किया. इसके चलते वर्ष 2006 में रोड का निर्माणकार्य भी रोक दिया गया. इसके खिलाफ थाने में शिकायत दर्ज कराई गई. स्थानीय रहवासियों का कहना था कि यह जमीन फेज 1 के लेआउट के लिए रोड है. जबकि फेज 2 लेआउट की मालकिन ने इस मामले में जरूरी दस्तावेज एनआईटी प्रशासन को भी दिखाए थे. साथ ही यह अनुरोध भी किया था कि अधिकारी खुद ग्राउंड जीरो पर आकर मामला सुलझाएं. लेकिन ऐसा नहीं किया गया. प्रशासन ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया. इस बीच रोड का यह विवाद गंभीर होता चला गया.
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रोड बंद करने पर मचा बवाल
हाल में सदर निवासी एलसीपी मॉटेरिया (फेज 2 की मालकिन) ने अपनी जमीन पर कब्जा करते हुए इस रोड को यातायात के लिए ब्लॉक करवा दिया. जिसके बाद से ही स्थानीय रहवासियों के साथ उनका विवाद और ज्यादा बढ़ गया. लेकिन इस बार वो पीछे हटने के मूड में नहीं थीं, लिहाजा जब रहवासियों ने जबरन रोड बनाने की कोशिश की तो नितिन कनौजिया, मोह. रफीक खान, रामसिंह बघेल, विपिन राउत के खिलाफ मामला दर्ज करते हुए पुलिस ने नोटिस जारी कर दिए.
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दूसरे की जमीन पर रोड दिखाया कैसे?
वर्ष 2005 में यह लेआउट मैप सैंक्शन हुआ था. रहवासियों का कहना है कि उसमें रोड साफ तौर पर दिखाया गया है. उनका यह भी कहना है कि मैप के मुताबिक जो रोड सैंक्शन है, वह उनके लिए सुविधाजनक भी है. अभी उन्हें काफी परेशानी होती है मुख्य मार्ग तक पहुंचने में. लेकिन श्रीमती मॉटेरिया का कहना है कि वर्ष 2005 में जब एनआईटी ने इस रोड के साथ मैप को सैंक्शन किया है, उससे पहले ही वे फेज 2 की जमीन खरीद चुकी थीं. उनकी निजी जमीन पर दूसरा लेआउट मालिक रोड कैसे दिखा सकता है? सवाल तो यह भी है कि आखिर एनआईटी प्रशासन ने ऐसी गैरकानूनी सड़क को अनुमति दी ही कैसे?
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चेयरमैन से की शिकायत
वर्ष 2006 से लगातार एनआईटी से शिकायत करने के बाद भी कभी किसी अधिकारी और कर्मी को ग्राउंड जीरो पर जाकर मामला समझना जरूरी नहीं लगा. लेकिन जब पानी सिर से ऊपर जाने लगा तो इसी सप्ताह श्रीमती मॉटेरिया ने इस मामले की शिकायत सीधे एनआईटी चेयरमैन से कर दी. जब उन्हें यह मामला पता चला तो उन्होंने ही अपने निचले अधिकारियों को घटनास्थल पर जाकर देखने के निर्देश दिए. इसके बाद दो अधिकारी (राठौड़ और पाटिल) अपनी टीम के साथ न सिर्फ लेआउट स्थल पर पहुंचे, बल्कि उन्होंने दस्तावेज देखकर गलती होने की बात भी स्वीकारी.
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