प्लॉट सुरक्षित करने के चक्कर में जोखिम को न्यौता

प्लॉट सुरक्षित करने के चक्कर में जोखिम को न्यौता
- बिजली की डीपी से सटकर शुरू किया निर्माणकार्य
- गोधनी रोड का मामला
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इंट्रो-
फहीम खान, 8483879505
ग्वालबंशी के अवैध कब्जे से मुक्त हुए अपने प्लॉट को दोबारा किसी अन्य के कब्जे से बचाने की कवायद में इन दिनों शहर के अलग-अलग इलाकों में धड़ल्ले से निर्माणकार्य किए जा रहे हैं. इसीमें दो निर्माणकार्य हो रहे हैं झिंगाबाई टाकली परिसर के गणेश नगर बस स्टॉप परिसर में. यहां कब्जे से मुक्त हुए प्लॉट पर आनन -फानन में निर्माणकार्य शुरू कर दिया गया है. लेकिन ऐसा करते समय सुरक्षा के नियमों को ताक पर रखने से आने वाले समय में यह जानलेवा साबित होने की आशंका बढ़ गई है. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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मामला झिंगाबाई टाकली के गोधनी रोड पर स्थित गणेश नगर बस स्टॉप परिसर का  है. यहां पर स्थित कुछ प्लॉट्स पर ग्वालबंशी का कब्जा था. इस कब्जे से हाल में राहत मिली तो प्लॉट मालिकों ने अपने प्लॉट बचाने की कवायद तेज कर दी. इसीके तहत यहां पर स्थित दो प्लॉट्स पर निर्माणकार्य आरंभ कर दिया गया. यह निर्माणकार्य करने से पहले प्लॉट मालिकों ने किसी भी डेवलपमेंट एजेंसी से अनुमति लेना जरूरी नहीं समझा. जिसका नतीजा यह हो रहा है कि यहां पर स्थित बिजली की एक डीपी निर्माणकार्य के लिए आने वाले समय में बड़ा खतरा साबित हो सकती है. हालांकि केवल अपना प्लॉट कब्जे से बचाने की सोच लिए मालिक इस जोखिम के नजरअंदाज कर रहे हैं.
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खतरों की अनदेखी
असल में रोड के किनारे ही बिजली की डीपी लगी है. इसी डीपी से एक फीट से भी कम दूरी पर यह निर्माणकार्य शुरू कर दिया गया है. दावा यह किया जा रहा है कि डीपी और बिजली के खंभे प्लॉट के भीतर थे इसीलिए सटकर ही निर्माण शुरू कर दिया गया. जबकि सुरक्षा के दृष्टिकोण से यह जोखिम भरा कदम है. प्लॉट मालिक से संपर्क नहीं हो सका, लेकिन यहां पर कार्यरत लोगों के मुताबिक मालिक का कहना था कि बिजली विभाग ने डीपी उनके प्लॉट के भीतर लगा दी थी. यदि अनुमति की झंझट में पड़ते तो दोबारा से किसी का अवैध कब्जा हो सकता था.
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अनुमति की जरूरत नहीं!
उल्लेखनीय है कि जिस स्थान पर निर्माणकार्य आरंभ किया गया है. वहां पर पहले एक नीम का पेड़ था. 10-12 साल पुराने इस पेड़ को काट दिया गया है. उल्लेखनीय है कि इसे काटने के पहले मनपा से जरूरी अनुमति नहीं ली गई. दूसरे प्लॉट मालिक जामगडे से जब इस मामले में ‘एमई’ ने बात की तो उनका कहना था कि उन्होंने पेड़ की कटाई की है. इसके लिए अनुमति नहीं ली गई थी क्योंकि पेड़ उनके प्लॉट के भीतर था और बहुत बड़ा नहीं था. हालांकि स्थानीय लोगों का कहना है कि पेड़ 10-12 साल पुराना था. इसे काटने से पूर्व मनपा की अनुमति तो लेनी ही चाहिए थी.
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आदत में शुमार
ऐसा नहीं है कि केवल इसी प्लॉट पर गलत तरीके से निर्माणकार्य किया जा रहा है और नियम अनुसार चारों ओर डेढ़ -दो फीट की जगह नहीं छोड़ी जा रही है. इस तरह के दर्जनों मकान, दुकान इस मार्ग पर अबतक बन चुके हैं. परिसर में गोधनी रोड पर ही दर्जनों निर्माण ऐसे दिख जाते हैं, जहां अपनी तो जगह नियम अनुसार मालिक ने छोड़ी ही नहीं और दूसरों के प्लॉट और रोड पर भी कब्जा जमा लिया.
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कहां है एनआईटी?
शहर और मेट्रो रीजन में एनआईटी की अनुमति के बिना प्लॉट का डेवलपमेंट नहीं होता है. इसी तरह निर्माणकार्य करते समय भी उसी की अनुमति ली जाती है. ऐसे में जो लोग अनुमति नहीं लेते हैं उन पर कार्रवाई करने की एनआईटी प्रशासन ने क्या व्यवस्था की है? जोन स्तर पर जो अधिकारी होते हैं, क्या वो ऐसे निर्माणों की जांच और निरीक्षण करते भी हैं? यदि करते हैं तो फिर ऐसे अवैध निर्माणकार्य धड़ल्ले से क्यों हो रहे हैं, ऐसे सवाल अब नागरिकों द्वारा पूछे जाने लगे हैं.
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