इमारत बनाई, मरम्मत की और ताला डाल दिया?

इमारत बनाई, मरम्मत की और ताला डाल दिया?
- कब होगा इंटरनेशनल होस्टल का उद्घाटन?
- बिना इस्तेमाल पड़ी है एक करोड़ की इमारत
फहीम खान, 8483879505
एक करोड़ रुपए की लागत से बनकर तैयार हुए इंटरनेशनल होस्टल की मरम्मत का काम पूरा होने के बाद भी अब तक युनिवर्सिटी को इसके उद्घाटन का ‘मुहूर्त’ मिलता नहीं दिख रहा है. उल्लेखनीय है कि निर्माण के ठेकेदार और युनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच जारी विवाद के चलते यह इमारत लंबे समय तक वीरान पड़ी थी. रखरखाव के अभाव में बिल्डिंग में टूट-फूट भी होने लगी थी. ‘मेट्रो एक्सप्रेस’ द्वारा यह मामला उठाने के बाद युनिवर्सिटी प्रशासन ने आनन-फानन में इसके ठेकेदार को नोटिस थमा दिया. इसके बाद मरम्मत का काम शुरू हुआ. काम खत्म होने के बाद बिल्डिंग की ग्रिलिंग की गई और फिर इसे ताला लगा दिया गया.  इस बात को भी 6 महीने से ज्यादा समय हो चुका है. लेकिन इसे छात्रों के लिए खुलवाने का मुहूर्त शायद युनिवर्सिटी प्रशासन  को नहीं मिल सका है.
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इंडियन काउंसिल आॅफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (आईसीएआर) की एक योजना के तहत एक करोड़ रुपए की लागत से महाराष्ट्र एनिमल एंड फिशरी साइंस युनिवर्सिटी (माफसू) के धरमपेठ स्थित कॉलेज के लिए इस इंटरनेशनल होस्टल को वर्ष 2010 में मंजूरी मिली थी. लेकिन होस्टल का निर्माण 12 महीनों की बजाय साढ़े पांच वर्ष में पूरा हो सका. निर्माण पूरा होने के बाद भी यह होस्टल साल भर वीरान पड़ा रहा. युनिवर्सिटी प्रशासन का भी इस ओर ध्यान नहीं था. मामले को जब एमई ने खबर के तौर पर प्रकाशित किया तो युनिवर्सिटी प्रबंधन की ओर से दावा किया गया था कि जल्द ही इसे कॉलेज को हैंडओवर कर दिया जाएगा और यह होस्टल स्टुडेंट्स के लिए शुरू भी हो जाएगा. लेकिन सच्चाई तो यह है कि होस्टल पर अब भी ताला ही नजर आ रहा है.
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वादा किया, निभाया नहीं
बता दें कि युनिवर्सिटी प्रशासन के लापरवाह रवैये के चलते होस्टल बिल्डिंग की दीवारों  और सीढ़ियों में दरारें पड़ने लगी थीं. जाले और धूल के कारण यह इमारत खराब होने लगी थी. इस बीच इमारत की ओर ध्यान नहीं दिए जाने का फायदा प्रेमी जोड़े और नशेड़ी उठाने लगे थे. कई बार इस परिसर में इमारत के बेसमेंट और सीढ़ियों पर असामाजिक तत्वों को देखा भी गया. एमई द्वारा ध्यानाकर्षण कराने के बाद माफसू के डिप्टी इंजीनियर ए. जी. गुरव ने कहा था कि इसी सत्र में होस्टल शुरू करा लिया जाएगा. लेकिन उनकी कोशिशों के बावजूद भी अबतक होस्टल पर ताला पड़ा है.
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इस सत्र में शुरू होगा?
प्रशासन की लापरवाही के चलते इमारत में मरम्मत कराने की नौबत आ चुकी है. असामाजिक तत्वों और प्रेमी जोड़ों को यहां घुसने से रोकने के लिए मरम्मत के दौरान ही संबंधित ठेकेदार ने बिल्डिंंग के बेसमेंट में ग्रिल लगा दी है. परिसर में उगी झाड़ियां और घास भी निकाली जा चुकी हैं. पर होस्टल अब तक स्टूडेंट्स के लिए शुरू नहीं किया जा सका है. युनिवर्सिटी प्रशासन की ढिलाी को सेखकर तो यही लगता है कि इस सत्र में भी इसका फायदा स्टूडेंट्स को शायद ही मिल पाए.
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