सरकारी आवासों में ‘बिन बुलाए मेहमान’

सरकारी आवासों में ‘बिन बुलाए मेहमान’
- मेंटल हॉस्पिटल की कॉलोनी का मामला
- बदहाल खाली आवासों में अवैध कब्जा
फहीम खान, 8483879505
14 साल पहले कर्मचारियों के जिन परिवारों को ये कहकर सरकारी आवास छोड़ने को कहा गया था कि अब इस कॉलोनी के पुराने मकानों को गिराकर नई इमारत बनाई जाएगी. वो परिवार तो यहां से इसी उम्मीद में चले गए लेकिन अब भी न तो पुराने आवास गिराए जा सके हैं और न ही नई इमारत बनने की दिशा में कोई फाइल आगे ही बढ़ सकी है. मामला शहर के पागलखाने में कार्यरत कर्मियों की कॉलोनी की है. जो आज वीरान पड़ी है. केवल एक घर में एक फैमिली रह रही है, उसे भी कई बार आवास छोड़ने के लिए कहा जा चुका है. शेष बदहाल आवासों में बिन बुलाए मेहमान रहने लगे हैं. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
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शहर को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद के तहत सरकारी इमारतों, कॉलोनियों की भी सूरत को बदलने की कोशिश की जा रही है. लेकिन 14 साल पहले मेंटल हॉस्पिटल की जिस कॉलोनी में स्थित सरकारी आवासों को गिराकर नई कॉलोनी, नई बिल्डिंग बनाने का फैसला लिया गया था, वो आज तक जमीनी हकीकत नहीं बन सका है. बावजूद इसके संबंधित विभाग की ओर से इस कॉलोनी की मौजूदा बदहाली को दूर करने की कोशिश नहीं की जा रही है. इसी का फायदा अनजान लोग उठाते नजर आ रहे है.
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बना लिए आशियाने
एमई टीम ने जब इस कॉलोनी में चक्कर लगाया तो यहां पर अलग ही नजारा दिखाई दिया. कुछ आवासों के भीतर कपड़े सूखते हुए दिखाई दिए. ऐसी वीरान कॉलोनी के बदहाल आवासों में कोई कैसे रह सकता है? इसी सवाल का जवाब जानने के लिए एमई टीम ने भीतर प्रवेश किया तो वहां पर कुछ लड़के नजर आए. उनसे बात की तो उनका कहना था कि ये उन्हीं के मकान हैं. जब पूछा गया कि क्या वो पागलखाने में कर्मी है? तो नहीं में जवाब मिला. पूछताछ में यह बात क्लीयर हुई कि वो यहां लंबे समय से रहते आ रहे हैं. इसीलिए इन क्षतिग्रस्त आवासों को अपने मकान बता रहे हैं.
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खतरनाक साबित होगी अनदेखी
एमई टीम ने जब इस कॉलोनी का चक्कर लगाया तो यहां के 70 फीसदी सरकारी आवासों की स्थिति बहुत ही बदहाल नजर आर्इं. इसी तरह ज्यादातर आवासों की जर्जर हालत किसी बड़े हादसे को आमंत्रण देती भी दिखाई दे रही है. बावजूद इसके सारे खतरों को नजरअंदाज कर ये लोग इन आवासों में रहते आ रहे हैं. यदि ये अनदेखी आगे भी जारी रही तो इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
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