खुद तो थमा रहे कॉपी दूसरों से ओरिजनल चाहिए
खुद तो थमा रहे कॉपी दूसरों से ओरिजनल चाहिए
- मामला आरटीओ का
फहीम खान, 8483879505
सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली कई बार आम आदमी की समझ में ही नहीं आती. अब बात आरटीओ विभागों की ही लीजिए. एमएच 49 यानी ग्रामीण आरटीओ पिछले कुछ महीनों से तकनीकी गड़बड़ियों का हवाला देकर वाहन मालिकों को आरसी का कम्प्यूटर प्रिंट थमा रहा है. जब इस पर आपत्ति की जाती है तो इस प्रिंट को अधिकृत बताया जाता है. लेकिन इसी बीच एमएच 31 यानी शहर आरटीओ ने एक एनओसी की कम्प्यूटर कॉपी वाहन चालक को थमा दी. जब यह मामला ग्रामीण आरटीओ में पहुंचा तो अधिकारियों ने इसे लेने से इनकार कर दिया. वो कहते है कि शहर आरटीओ से एनओसी की ओरिजनल कॉपी ही लानी पड़ेगी. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
क्या है मामला?
गांधी बाग निवासी कैलाश ने शहर आरटीओ कार्यालय से थ्री व्हीलर का लाइसेंस बनवाया. इस पर उनका सरनेम ‘बरोले’ लिखा गया. जबकि ये होना चाहिए था, ‘बोरेले’. इसे लेकर उन्होंने जब आरटीओ अधिकारी को बताया कि जरूरी सारे डॉक्युमेंट्स तो दे दिए थे. बावजूद इसके सरनेम ठीक करने के लिए उन्हें नए से अप्लाई करना पड़ा. नाम बदलने की प्रक्रिया में उन्हें शहर आरटीओ ने एनओसी का कम्प्यूटर प्रिंट दे दिया, जिसे एप्लिकेशन के साथ जोड़ा गया. लेकिन ग्रामीण आरटीओ ने इस एनओसी को अधिकृत मानने से इनकार कर दिया है.
क्यों लेते है डॉक्यूमेंट्स?
उल्लेखनीय है कि आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस निकालने से लेकर सभी कामों के लिए एप्लिकेशन के साथ जरूरी डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं. कैलाश ने भी आधार और लीविंग सर्टिफिकेट दे दिया था. बावजूद इसके सरनेम में गलती हो गई. उनका कहना है कि यह गलती आरटीओ कार्यालय के कर्मियों की थी, बावजूद इसके इसके लिए उन्हें ज्यादा फीस चुकानी पड़ गई. कैलाश ने सवाल किया है कि जब उनसे सारे डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं तो फिर ऐसी गलतियां होती क्यों हैं?
"200 ज्यादा क्यों?
ग्रामीण आरटीओ में नाम बदलने के लिए कैलाश ने जो एप्लिकेशन दी थी, उसे अब तक आॅफलाइन लिया जाता रहा है. लेकिन अब आॅनलाइन प्रक्रिया से इसे जोड़ दिया गया है. उनके अनुसार पहले 270 रुपए कैश देकर यह काम हुआ करता था . जबकि अब आॅनलाइन काम के लिए 467.38 रुपए देने पड़ गए. उल्लेखनीय है कि परसां तक आॅफलाइन काम ही किया जा रहा था. लेकिन अब आॅनलाइन ही करना अनिवार्य कर दिया गया है. जिसके चलते वाहन चालकों को 200 रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं.
- मामला आरटीओ का
फहीम खान, 8483879505
सरकारी विभागों की कार्यप्रणाली कई बार आम आदमी की समझ में ही नहीं आती. अब बात आरटीओ विभागों की ही लीजिए. एमएच 49 यानी ग्रामीण आरटीओ पिछले कुछ महीनों से तकनीकी गड़बड़ियों का हवाला देकर वाहन मालिकों को आरसी का कम्प्यूटर प्रिंट थमा रहा है. जब इस पर आपत्ति की जाती है तो इस प्रिंट को अधिकृत बताया जाता है. लेकिन इसी बीच एमएच 31 यानी शहर आरटीओ ने एक एनओसी की कम्प्यूटर कॉपी वाहन चालक को थमा दी. जब यह मामला ग्रामीण आरटीओ में पहुंचा तो अधिकारियों ने इसे लेने से इनकार कर दिया. वो कहते है कि शहर आरटीओ से एनओसी की ओरिजनल कॉपी ही लानी पड़ेगी. पेश है मेट्रो एक्सप्रेस की रिपोर्ट.
क्या है मामला?
गांधी बाग निवासी कैलाश ने शहर आरटीओ कार्यालय से थ्री व्हीलर का लाइसेंस बनवाया. इस पर उनका सरनेम ‘बरोले’ लिखा गया. जबकि ये होना चाहिए था, ‘बोरेले’. इसे लेकर उन्होंने जब आरटीओ अधिकारी को बताया कि जरूरी सारे डॉक्युमेंट्स तो दे दिए थे. बावजूद इसके सरनेम ठीक करने के लिए उन्हें नए से अप्लाई करना पड़ा. नाम बदलने की प्रक्रिया में उन्हें शहर आरटीओ ने एनओसी का कम्प्यूटर प्रिंट दे दिया, जिसे एप्लिकेशन के साथ जोड़ा गया. लेकिन ग्रामीण आरटीओ ने इस एनओसी को अधिकृत मानने से इनकार कर दिया है.
क्यों लेते है डॉक्यूमेंट्स?
उल्लेखनीय है कि आरटीओ कार्यालय में लाइसेंस निकालने से लेकर सभी कामों के लिए एप्लिकेशन के साथ जरूरी डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं. कैलाश ने भी आधार और लीविंग सर्टिफिकेट दे दिया था. बावजूद इसके सरनेम में गलती हो गई. उनका कहना है कि यह गलती आरटीओ कार्यालय के कर्मियों की थी, बावजूद इसके इसके लिए उन्हें ज्यादा फीस चुकानी पड़ गई. कैलाश ने सवाल किया है कि जब उनसे सारे डॉक्यूमेंट्स मांगे जाते हैं तो फिर ऐसी गलतियां होती क्यों हैं?
"200 ज्यादा क्यों?
ग्रामीण आरटीओ में नाम बदलने के लिए कैलाश ने जो एप्लिकेशन दी थी, उसे अब तक आॅफलाइन लिया जाता रहा है. लेकिन अब आॅनलाइन प्रक्रिया से इसे जोड़ दिया गया है. उनके अनुसार पहले 270 रुपए कैश देकर यह काम हुआ करता था . जबकि अब आॅनलाइन काम के लिए 467.38 रुपए देने पड़ गए. उल्लेखनीय है कि परसां तक आॅफलाइन काम ही किया जा रहा था. लेकिन अब आॅनलाइन ही करना अनिवार्य कर दिया गया है. जिसके चलते वाहन चालकों को 200 रुपए ज्यादा खर्च करने पड़ रहे हैं.
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