किश्तों में आ रही लेजर मशीन

किश्तों में आ रही लेजर मशीन
- मामला मेडिकल कॉलेज का
- प्रशासन में भी सीरियसनेस का अभाव
फहीम खान, 8483879505
शहर को स्मार्ट बनाने के लिए करोड़ों की लागत वाली परियोजनाएं बनना तो स्वाभाविक ही है. लेकिन अफसोस तब होता है जब करोड़ों की लागत वाली ऐसी परियोजनाओं को लेकर प्रशासन ढीला-ढाला रवैया अपनाता है. बड़ा खर्च तो किया जाता है, पर उस खर्च का रिटर्न पाने के लिए आम जनता को लंबा इंतजार करना पड़ता है. इस बार बात इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज की हो रही है. यहां पर आंखों की गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए अत्याधुनिक लेजर मशीन खरीदी तो गई है लेकिन अबतक इसका इंस्टालेशन ही नहीं हो सका है. जिसके चलते इसके कुछ हिस्से धूल खा रहे हैं. चौंकाने वाली बात तो यह है कि करोड़ों रुपए की यह मशीन किश्तों में यहां पहुंच रही है. पेश है रिपोर्ट.
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नागपुर मेडिकल कॉलेज में आंखों से जुड़ी गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए करीबन एक साल पहले चार करोड़ की लागत से एक लेजर मशीन खरीदी गई है. लेकिन ‘एमई’ को जानकारी मिली है कि मशीन को अलग-अलग हिस्सों में यहां पहुंचाया जा रहा है. किश्तों में इसके हिस्से यहां पहुंचाए जाने के चलते पिछले डेढ़ महीनों से मशीन का पहले पहुंच चुका ज्यादातर हिस्सा मेडिकल के बंद कमरों में धूल खा रहा है.
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इतनी देरी क्यों?
4 करोड़ की लागत वाली इस लेजर मशीन की खरीदी एक साल पहले ही हो चुकी है. पर जानकारी है कि मशीनों के हिस्से एक-डेढ़ माह पहले ही मेडिकल अस्पताल में पहुंचने शुरू हुए हंै. लेकिन सवाल यह भी है कि यदि एक साल पहले ही इस मशीन की खरीद हो चुकी थी तो फिर प्रशासन ने इसे तुरंत यहां पर इंस्टॉल कराने के लिए प्रयास क्यों नहीं किए? उल्लेखनीय है कि इस मशीन के शुरू होने के बाद से जरूरतमंदों को कम खर्च में लसिक सर्जरी करना आसान हो जाएगा. ज्यादा नंबर वाले (मायनस 12 और प्लस 10 तक) मरीजों को इस मशीन से नंबर खत्म करने में सहायता मिलेगी.
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मशीन रूम में ‘नो एंट्री’
मेट्रो एक्सप्रेस ने अपनी पड़ताल के दौरान इस मशीन के हिस्सों तक पहुंचने की भी कोशिश की. लेकिन आई डिपार्टमेंट के लेजर सेक्शन में जहां इसे रखा गया है, वहां पर दरवाजे पर ताला लगा है. भीतर किसी भी व्यक्ति को एंट्री नहीं दी जा रही है. उल्लेखनीय है कि इस मशीन को जल्द से जल्द इंस्टॉल करने को लेकर जितनी कोशिश नहीं की जा रही है, उससे ज्यादा कोशिश इस बात की होती दिखी कि इस मशीन तक किसी को पहुंचने नहीं दिया जाए. खास बात तो यह है कि डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए मेडिकल अस्पताल में तैनात सुरक्षा जवानों की इस काम में भी मदद ली जा रही है.
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कब तक राह तकेंगे ट्रेंड डॉक्टर्स?
यह भी पता चला है कि करोड़ों की इस मशीन को आॅपरेट करने की ट्रेनिंग भी स्थानीय डॉक्टर्स को दी जा चुकी है. पर ऐसे ट्रेंड संबंधित डॉक्टर्स भी इसके इनॉगरेशन के इंतजार में बैठे हैं. बता दें कि यह मशीन अबतक राज्य में केवल मुंबई के जे जे अस्पताल में ही है.
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वर्जन...
कोशिश जारी है
इस लेजर मशीन के बारे में मैं अभी कुछ नहीं बता सकता. जब इसका इनॉगरेशन किया जाएगा, तभी मीडियाकर्मियों को इसकी जानकारी दी जाएगी. मशीन का इंस्टॉलेशन कराकर इसका इनॉगरेशन जल्द कराने की हमारी कोशिश जारी है.
-डॉ. अभिमन्यु निसवाडे, डीन, इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज.
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